Save journalism...save journalists..आज सभी मीडिया संस्थानों पर आर्थिक संकट छाया हुआ है। कई मीडिया संस्थान इस कोरोना काल में न जाने कहां कहाँ से स्टोरी और दूसरों का दर्द कैमरे में कैद कर के ला रहे हैं। लेकिन ये सभी मीडिया संस्थान अपने इन्ही कैमरा मैन और अपने कर्मचारियों की सुध क्यों नहीं ले रहे हैं। स्टूडियो में बैठ कर नेताओं और मंत्रियों से सवाल किए जा रहे हैं कि सरकार की तरफ से आया पैसा कहां कहाँ खर्च हुआ..! कितना बचा है..! कितना लगा है.?
पर क्या इन संस्थानों ने आपने कर्मचारियों से पूछा कि तुम्हारा मकान मालिक किराये के लिए परेशान तो नहीं कर रहा..! घर में राशन है..! अरे ये तो वो ही चैनल हैं जो टीवी पर बोल रहे हैं कि अपने आस-पास वालों की मदद करें।लेकिन ये तो अपने ही कर्मचारियों की मदद नहीं कर रहे हैं।ऐसे में कौन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भरोसा करेगा।
मैं एक पत्रकार हूँ, और मेरा काम है सच बोलना।मेरे ये शब्द सभी मीडिया संस्थानों के लिए नहीं हैं। केवल उनके लिए हैं जो अपने ही कर्मचारियों की सैलरी नहीं दे रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं।
आप सभी से निवेदन है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसे परेशान कर्मचारियों की सहायता करने और उनका वेतन दिलाने में सक्षम है तो कृपया कमेंट में अपने नाम के साथ ईमेल एड्रेस दें।ताकि जरूरत मंद की मदद हो सके।और आपको भी किसी की मदद कर के सुकून मिले।
पर क्या इन संस्थानों ने आपने कर्मचारियों से पूछा कि तुम्हारा मकान मालिक किराये के लिए परेशान तो नहीं कर रहा..! घर में राशन है..! अरे ये तो वो ही चैनल हैं जो टीवी पर बोल रहे हैं कि अपने आस-पास वालों की मदद करें।लेकिन ये तो अपने ही कर्मचारियों की मदद नहीं कर रहे हैं।ऐसे में कौन लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर भरोसा करेगा।
मैं एक पत्रकार हूँ, और मेरा काम है सच बोलना।मेरे ये शब्द सभी मीडिया संस्थानों के लिए नहीं हैं। केवल उनके लिए हैं जो अपने ही कर्मचारियों की सैलरी नहीं दे रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं।
आप सभी से निवेदन है कि यदि कोई व्यक्ति ऐसे परेशान कर्मचारियों की सहायता करने और उनका वेतन दिलाने में सक्षम है तो कृपया कमेंट में अपने नाम के साथ ईमेल एड्रेस दें।ताकि जरूरत मंद की मदद हो सके।और आपको भी किसी की मदद कर के सुकून मिले।
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