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5.10.20

मीडिया की गिरती हुई इंसानियत

Sachin tripathi
    
मीडिया की भारीभरकम भीड़ की वज़ह से हाथरस का पीड़ित परिवार पिछले कई दिनो से ठीक से खाना भी नहीं खा पा रहा है


मृतका की भाभी ने घर में कई बार आटा गूथा लेकिन मीडिया के जमावड़े की वज़ह से वहीं आटा फ़ेक दिया

पूरा परिवार कई बार बिस्किट खा कर अपनी भूख को मिटाता रहा है

इस बेहद गम्भीर मामले में पीड़ित परिवार का घर मानो मीडिया का केंद्र बन चुका था यदि कोई सुबह मल के लिए भी घर के बाहर निकलता था तो उसे मीडिया की पैनी नज़र बच पाना बेहद मुश्किल था

ऐसा गंभीर कांड होना दुर्भाग्यपूर्ण है... मीडिया के लोग भी इंसान हैं... लेकिन वे चैनल के टीआरपी के चक्कर में सब भूल जाते हैं... उन्हें समझ होनी चाहिए कि वे पत्रकार बाद में हैं, पहले एक इंसान हैं...

किसी की भूख भी नहीं दिखती इन्हें तो...

आप तो पत्रकार हैं, कही भी घूम-घाम के खाने का जुगाड़ कर लेंगे...

लेकिन गाँव का वो दलित परिवार ना बाहर जा सकता है ना घर पर रोटी बना सकता है....

आज मीडिया के ताबड़तोड़ रिपोर्टिंग करने पर ही SIT का गठन और जाँच के लिए मुख्यमंत्री द्वारा CBI की सिफ़ारिश की गई है....

लेकिन पत्रकार का सर्वप्रथम कर्तव्य है कि वो इंसानियत को ज़रूर समझे।  
 
sachintripathi.cool@gmail.com

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