Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

1.3.08

कीचड़ की होली बस करिए.........

होली का मौसम गया है भड़ास पर ऐसा जिक्र चल ही रहा था कि कुछ फागुन गाया जाए ,गीत गुनगुनाए जाएं कि लोगों को लगने लगा कुछ बवाल हो गया है । भाई लोग इतने समय से जो भी हुआ उसमें नया क्या था ? हम सब भड़ासी नीच, गन्दे, ढीठ, घिनौने, बदबूदार, कमीने, असभ्य, गलीज़ ,छिछोरे वगैरह-वगैरह न जाने क्या-क्या ऐसे हैं जो कि बौद्धिकता के नुमाइंदे नहीं हो सकते । अरे भाई लोग ,ये तो हम सरल सहज भावुक भड़ासियों का सम्मान है ,यही तमगे हैं जो हमारे सीने पर जगमगा कर हमें उस वर्ग से अलग रखते हैं । अब मैं दिल ,फेफड़ों ,गुर्दों ,तिल्ली ,आमाशय आदि(इनमें दिमाग़ शामिल नहीं है) तमाम अंग-उपांगों से यही कहना चाहता हूं कि यशवंत दादा और अविनाश भाई ने जो होली की शुरुआत कीचड़ से करी है अब वह रुके ; अरे भाई कितने सारे रंग हैं क्या साला पूरा मौसम कीचड़ की ही होली खेल कर बिता देना चाहते हैं आप लोग ? बस करो एक दूसरे पर कीचड़ उछालना । भड़ासी तो औघड़ हैं ही तो जिसने एक अंजुरी कीचड़ उछाला तो साले सब चल पड़े उसके ऊपर गटर का ढक्कन खोल कर मलीदा निकाल कर उछालने और छोटे बच्चों की तरह उसी में लोट-पोट होकर खुश होने लगे । अविनाश ,मसिजीवी और मनीषा पांडेय बहन ने बस कीचड़ की अंजुलि भर कर उछाला ही था कि यशवंत दादा ,मुनव्वर आपा ,मनीष (महा)राज , अपने पंडित जी ग्रीन लाइट (हरे प्रकाश) उपाध्याय और मैं खुद दौड़ पड़े ,होली है-होली है का नारा बुलंद करके कीचड़ की टोकरियां लेकर इन सब पर । आज मनीषा दीदी ने मुझे टोका तब होश आया कि यार वाकई और भी रंग हैं भड़ास में जो हम उड़ाकर समां रंगीन कर सकते हैं । आज उनसे मिला तो वे अपने ही अंदाज में एक उंगली से कुछ छिपा कर टाइप कर रहीं थीं मैंने जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि मै यह अपने नाम वाली मनीषा के लिए लिख रही हूं ,जब पूरा हो जाएगा तो खुद ही भड़ास पर भेज दूंगी और मैंने देखा मेरी बहन मनीषा की आंखो में कि वो इन्दौर वाली मनीषा बहन से शायद कुछ प्यार की बात कहना चाह रही हैं तो अब इंतजार है उनकी पोस्ट का कि कब पूरा कर पाती हैं वो अपनी बात.......
अरे मेरे प्यारों तो देर किस बात की है जरा हो जाए क्रांति-भ्रांति-शान्ति की सारी खुशबुओं को होली के रंगों में मिला कर भरपूर-भरपेट मस्ती करने का । अब मैं जरा गब्बर सिंह के अंदाज़ में यशवंत दादा से पूंछता हूं कि कब है होली ? होली कब है ?

2 comments:

Anonymous said...

DOCTOR SAHAB AB HOLI KAA ITEM HI DALNA CHAHIE KYUKI HOLI TO AB SAR PAR HAI

Unknown said...

kichhad vali holi gayee dr. sab gulal nikalo...