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16.4.08

यशवंत और डॉ.रूपेश ने मुहिम छेड़ दी है : गाधीगिरी बनाम गांडूगिरी

गांडीवर लात मारुन बाहेर काढ़ुन टाक या दोघा आई झवाड़्याना आले मोठे पत्रकार... (गांड पर लात मारकर बाहर निकाल दो इन दोनो मादरचो॑** को बड़े आए पत्रकार....)........। क्या आप यकीन करेंगे कि ये किसी गुंडे या मवाली के शब्द नहीं बल्कि एक ऊंचे सरकारी ओहदे पर बैठे अधिकारी के हैं। जरा ये भी जान लीजिये कि ऐसी ही दसियों गन्दी-गन्दी बातें कही किसके लिये गयी हैं। भड़ास परिवार के लिये आदरणीय माने जाने वाले तीखे तेवरों के लिये पहचाने जाने वाले आपके भड़ास के मॉडरेटर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के लिये और उनके साथ में था मैं नाचीज़(आप लोगों की मुनव्वर आपा का बाप हूं मैं) जो अपने जमाने का बड़ा रंगबाज हुआ करता था लेकिन अब सचमुच बूढ़ा हो गया हूं। बात भड़ास के मॉडरेटर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव के द्वारा चलाए जा रहे सरकारी कामों में अनियमितता के खिलाफ़ R.T.I.(सूचना प्राप्ति के अधिकार) की है। उन्होंने तमाम सरकारी घपलों की पोल खोल कर रख दी है लेकिन धन्य हैं मुंबई और नई मुंबई के पत्रकार जो सिर्फ भड़वागिरी के अलावा कुछ नहीं करते हैं,पत्रकारिता के तमाम उसूल उन्होंने बेंच कर खा लिये हैं। सूचना प्राप्ति के अधिकार के अंतर्गत जो दस्तावेज कार्यालयों ने रो-रोकर दिये उन्हें हाथ में लेकर जब भड़ास के मॉडरेटर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव हमारे क्षेत्र की नगर परिषद के चीफ़ आफ़िसर के पास लेकर गये तो उसने जो न सिर्फ़ गाली-गलौच करी बल्कि धक्का-मुक्की करते हुए कहा कि जो उखाड़ सकता है उखाड़ ले तुम पत्रकारों में इतनी भी ताकत भी नहीं है कि मेरी झांट का एक बाल भी टेढ़ा कर सको। इस अधिकारी ने कहा कि तुझे क्यों चाहिये ये सब जानकारी ? लोगों को ब्लैकमेल करता है साले....... पता नही कहां-कहां से मादरचो** हिन्दी बोलने वाले आकर हमें चो * ना सिखा रहे हैं..... । भड़ास के मॉडरेटर डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ने इतना अपमान सहकर भी अपना आपा नहीं खोया बिना किसी नाराजगी के उन्होंने उस नीच अधिकारी से माफ़ी मांगी कि मेरी वजह से आपको तकलीफ़ हुई इसके लिये माफ़ करें। मेरे सामने उन्होंने तुरंत ही बाहर आकर भड़ास के दूसरे मॉडरेटर श्री यशवंत सिंह को फोन करके घटना की जानकारी दी और मशविरा किया कि ये लड़ाई कैसे लड़ेंगे हम सारे भड़ासी। उन्होंने मुझे अभी बताया कि भड़ास के दिग्गजों ने निर्धारित किया है कि इस लड़ाई को गांधीगिरी से लड़ना है। मुझे निजी तौर पर नहीं मालुम कि लड़ाई का ये कौन सा तरीका है? मेरे लिये तो ये एक बिलकुल नया अनुभव होने वाला है क्योंकि मैंने तो मामले पिस्टल से सुलझाए हैं अबतक। डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ने मुझे बताया कि भड़ास के दूसरे मॉडरेटर श्री यशवंत सिंह ने तो ये मुहिम छेड़ भी दी है और उस अधिकारी से सीधे बात भी करी है कि आपने जो भी किया वो बड़ा अच्छा किया हम लोगों के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिये क्योंकि हम हैं धरती ग्रह के हिन्दी के सबसे बड़े हिन्दी कम्युनिटी ब्लाग से जुड़े लोग, जिसमें हिन्दी मीडिया से जुड़े कथित महान-महान लोग जुड़े हैं। अब मैं देखना चाहता हूं कि बाकी भड़ासी क्या करते हैं मैं इस पोस्ट को लिख कर मूक दर्शक रहूंगा देखने के लिये कि भड़ास की ताकत क्या है और कितनी है?
उस सुअर अधिकारी का नाम, पता और टेलीफोन नं. लिखने को कहा है कि अगर हो सके तो उसे गांधीगिरी करते हुए फूल और गिफ़्ट भेजिये उसके कमीनेपन के व्यवहार के लिये धन्यवाद करिये-------
नाम : ए.के.देसाई
पद : चीफ़ आफ़िसर(मुख्याधिकारी),
पता: पनवेल नगर परिषद,जिला रायगढ़(नई मुंबई)-४१०२०६
फोन: ०२२-२७४५५७५१(आफ़िस)
०२२-२७४५२२०६(निवास)
०९३२४९८३३४४(मोबाईल)

9 comments:

Anonymous said...

chach cha jee,

mainai abhi abhi is sarkaar ke kalank se baat kari or bahoot saari badhaiyaan de daali.

age kya karna hai ye aadesh karen.

or waisai bhi gandhigiri ho ya laat giri juta giri danda giri sab kardalenge.

Adesh ki pratiksha main hoon.

Jai JAi Bhadaas

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा said...

अब्बाजान,अगर इस बात पर भड़ासियों ने नरम रुख दिखाया तो मैं मान लूंगी कि मेरे अधिकांश भाईयों और मुझमें कुछ खास अंतर नहीं है। गांधीगिरी करनी है तो ये भी जरा ज़ोर से हो ढीले ढंग से किया कोई भी काम फलीभूत नहीं होता जैसे मनीष भाई ने संगीता बहन का मामला लिया है मैं चाहती हूं कि सारे भड़ासी इस मामले को सम्हालें और गांधी जी के पास जो डंडा था उसे इस आफिसर किए पिछवाडे़ घुसा कर गांधीगिरी करें वरना ये सुअर मानने वाले नहीं इतनी आसानी से...
जय भड़ास

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ said...

मैं मनीषा दीदी की बात से सौ प्रतिशत सहमत हूं गांधी जी का डंडा ही भड़ासियाना गांधीगिरी होना चाहिये वरना अहिंसा वाली बातें इन सुअरों की समझ में नहीं आने वाली। अब्बा ने बताया कि उसने बहुत ही कमीनापन करा लेकिन मान गये डा.साहब को जो कि इतना सहकर भी गांधीगिरी करना चाहते हैं,धन्य हैं अपने दोनो सूरमा....
वैसे तो मैं सिर्फ़ चप्पलों से उसका मुंह पीटना चाहती हूं.....
भड़ास जिन्दाबाद

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मैं निजी तौर पर मानता हूं कि अगर कोई भ्रष्ट अधिकारी ऐसी हिमाकत कर पाता है तो वो इसलिये क्योंकि वो जानता है कि आजकल की पत्रकारिता सड़क पर पड़ी उस खुजली वाली कुतिया की तरह है जिसे कोई भी अधिकारी या नेता लतिया कर चला जाए। बस छवि सुधारने का मुहिम है जो इस प्रचंड गांधीगिरी से शुरू किया गया है.... बस मशाल जलाए रखिये...
जय जय भड़ास

अबरार अहमद said...

पहली बात तो यह वाकई शर्मनाक घटना है। और यह घटना वाकई में इस बात का प्रमाण है कि बाजार में आज एक पत्रकार की औकात क्या है। यह केवल इसलिए है कि हम एक दूसरे के साथ खडा नहीं हो सकते। क्या करें आदत से मजबूर हैं। बास की चमचागीरी ने हमारे स्वाभीमान को खत्म कर दिया है। बाजार ने हमें दलाल बना दिया है और सरकार ने हमे अपनी कुरसी का पहिया।
दूसरी बात यह कि भाई रूपेश जी के साथ जो घटना हुई वह भडास के हर मेंबर की अपनी घटना है। हमें इसके लिए आगे आना होगा चाहे इसके लिए कोई भी राह चुननी पडे। चाहे वह गांधीगीरी हो या गरमगीरी। सभी भडासी साथी कई मौकों पर एक हए हैं और हमने दिखाया है कि हम क्या है। मेरी राय में 250 भडासी साथी अगर एक एक बार उस अधिकारी को फोन कर उससे बात करें तो शायद उसको इसका अंदाजा हो कि उसने क्या किया है। यह बात किसी भी रूप में हो सकती है चाहे उसे गाली दें या माफी मांगे। पर ढाई सौ बार में तो वह पक्का समझ जाएगा।

यशवंत सिंह yashwant singh said...

इस अफसर को सभी भड़ासी फोन करें, कभी मोबाइल पर तो कभी घर के नंबर पर तो कभी आफिस के नंबर पर और उससे सिर्फ यही कहें कि मैं भड़ास से बोल रहा हूं, आपने डा. रूपेश के साथ जो किया बहुत अच्छा किया और मैं आपसे बात करके जो कर रहा हूं बहुत अच्छा कर रहा हूं, जल्द ही हम लोग शरद पवार से मिलेंगे और तुम्हारी वाट लगवायेंगे। इतना कहकर फोन रख दें। हम दिल्ली वाले लोग जल्द ही शरद पवार से मिलकर डा. रूपेश के साथ हुई अभद्रता के बारे में ज्ञापन सौंपेंगे और इस बददिमाग अफसर को जल्द से जल्द दंडित करने की मांग करेंगे। अगर ऐसा न किया गया तो हम लोग फिर आंदोलन की कार्रवाई शुरू कर देंगे।
जय भड़ास
यशवंत

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ said...

आप सब भड़ासी भाई बहनो से हाथ जोड़ कर विनती है कि मेहरबानी करके इस घटना के बारे में ऐसा हरगिज़ न लिखें कि हम घटना की निंदा करते हैं या कड़े स्वर में भर्त्सना करते हैं बल्कि कुछ कारगर लिखिये और करिये......
क्योंकि उस हरामी ने कहा कि सारे R.T.I. एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर होते हैं जो गड़े मुर्दे उखाड़ कर सरकारी अधिकारियों और बिल्डरों आदि को ब्लैकमेल करना चाहते हैं वरना तू क्यों चाहता है ये सारी जानकारी? इसलिये अब जल्द ही मैं भी एक काम करने वाली हूं कि पूरे मुल्क के भड़ासियों का आह्वान करूंगी कि जो जानकारी डा.साहब मांग रहे हैं वो आप सब भी मांगे ताकि इन सुअरों को पता चले कि सूचना प्राप्ति का अधिकार क्या है और जनता की आवाज क्या और कितनी बुलंद हो सकती है....
भड़ास ज़िन्दाबाद

Anonymous said...

DOCTOR JI,MAINE ABHI US SUAR KO FON LAGAYAA.FON PAR BHI USNE BADTAMIJI BAKI.MAGAR MAINE GARIA DIYA AUR BOLA KI TERE KO JO KARNA HAI KARO HAM LOG APNE STYLE SE TUMHARA JABAB DENGE.

RAVI SHEKHAR said...

Patrakar kee takat usaki KALAM he.N ki usakee juvan.Lekin jaroorat padne par ham dono balki teeno"KALAM JUVAN OR JOOTA" se taiyaar he.