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24.11.10

संघर्ष के रास्ते से समाजवादी राज्य की स्थापना

संघर्ष के रास्ते से समाजवादी राज्य की स्थापना

अरविन्द विद्रोही

समाजवाद और समाजवादी आन्दोलन ही किसानों,मजदूरों,छात्र-छात्राओं,महिलाओं एवं आम जनों के अधिकार बहाली का एकमात्र रास्ता है।पूँजीवाद का राक्षस समाज के प्रत्येक अंग को निगल चुका है। भ्रष्टाचारियों का काकस समाज व देश का रक्त चूसता ही चला जा रहा है।पूँजीवाद के राक्षस और भ्रष्टाचार के दानव का मुकाबला आम जन में सदाचरण, नैतिकता, सामूहिकता, सामाजिक एकता व देश-प्रेम के बीज रोपित,अंकुरित,पोषित व पल्लवित करके ही किये जा सकते हैं।शासन सत्ता के जिम्मेदार लोग भ्रष्टाचार में सराबोर होकर बेशर्मी का लबादा पहने हुए भारत के लोकतन्त्र को भीड़तन्त्र में तब्दील करके एक कुशल चरवाहे की तरह भारतीय जनमानस को जानवरों की मानिन्द हांक रहें हैं।

जनता के प्रतिनिधि आज अव्वल दर्जे के स्वार्थी हो गये हैं।राजनीति में सत्ता प्राप्ति और सत्ता प्राप्ति के पश्चात् जनता के द्वारा दिये गये विभिन्न राजस्व करों से अर्जित धन से बने विकास कार्यों के प्रचुर धन की लूट व बन्दर-बाँट ही इनकी राजनीति का प्रमुख उद्देश्य बन चुका है।आज महामानव महात्मा गाँधी के ग्राम्य स्वराज्य की कल्पना अनियंत्रित व अनियोजित औद्योगीकरण के चलते दम तोड़ चुकी है।क्रांतिकारियों के बौद्धिक नेता भगत सिंह के अनुसार-क्रांति की वास्तविक सेनायें किसान व मजदूर हैं,और आज भी भारत का किसान अपनी कृषि गत् समसयाओं से परेशान है,किसान अपनी कृषि योग्य बेशकीमती भूमि के मनमाने अधिग्रहण से भयाक्रांत है।किसान को खाद,बीज,सिंचाई,बिजली,शिक्षा,स्वास्थ्य परक सुविधा कुछ भी समय पर पूर्णतःमयस्सर नहीं है।मजदूर कल-कारखानों के मालिकान की शोषक नीति के शिकार हो कर दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

डा0राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि लोग मेरी बात सुनेंगें जरूर,लेकिन मेरे मरने के बात।डा0लोहिया की बातें मात्र 12वर्ष की उम्र में ही आत्मसात् कर चुके,आज 72वर्ष की उम्र के मुलायम सिंह यादव ने डा0लोहिया के विचारों व समाजवाद की अग्नि को प्रज्जवलित करे रहने का बहुत ही बड़ा, नेक,सराहनीय व अनुकरणीय काम किया है।संघर्षों की ज्वाला में तपकर व समाजवादी मूल्यों की बदौलत मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनैतिक जीवन में अपना लोहा समस्त राजनैतिक दलों व नेताओं को मनवाया।मुलायम सिंह यादव की राजनैतिक-मानसिक दृढ़ता का कारण उनकी महात्मा गाँधी,भगत सिंह,डा0लोहिया,चैधरी चरण सिंह जैसी महीन विभूतियों के आदर्शों,विचारों पर पकड़ और अनवरत् चलते रहने का संकल्प ही है,एैसा मेरा अपना मानना है।अब समाजवादी आन्दोलन,लोहिया के लोगों,समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं,मुलायम सिंह यादव के अनुयायियों को समाजवाद के मायने व समाजवादी आन्दोलन व कार्यक्रम पुनःपढ़ना चाहिए।डा0लोहिया के द्वारा प्रदत्त कार्यक्रम समाजवादी विचारधारा व आन्दोलन के प्राण हैं।डा0लोहिया के कार्यक्रमों पर चले बगैर,जनता को साथ लिए बगैर,सामाजिक चेतना का काम किए बगैर कोई भी पक्का समाजवादी कार्यकर्ता नहीं हो सकता है।अपने को समाजवादी कहने मात्र से,किसी समाजवादी संगठन में पदाधिकारी हो जाने मात्र से कोई समाजवादी नही हो जाता है।समाजवादी तो वही है जिसने समाजवाद के सिद्धान्तों को आत्मसात् किया हो,उन सिद्धान्तों पर चला हो,अड़िग रहा हो,जिसके लिए राजनीति सत्ता साधन मात्र हो-साध्य नही।समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव समाजवाद की कसौटियों पर खरे साबित हो चुके हैं।13मार्च,2003 को समाजवादी पार्टी के विशेष राष्टीय सम्मेलन में मुलायम सिंह यादव ने कहा,‘‘क्या याद है,4-5नवम्बर1992 को जिस बेगम हजरत महल पार्क के ऐतिहासिक मैदान में फैसला लिया था,संकल्प किया था,क्या वह संकल्प याद है?क्या आप उस संकल्प पर चलने के लिए तैयार हैं?इसीलिए हम कहते हैं कि किस खेत की मूली है यह सरकार,चाहे वह दिल्ली की हो,चाहे उत्तर-प्रदेश की हो।हम लोग वे लोग हैं जो देश के गरीब लोगों के लिए इस देश के नौजवान विद्यार्थियों के लिए,इस देश के किसानों के लिए,झुग्गी-झोपड़ी वाले लोगों के लिए जिन्होंने 56साल की आजादी के बाद भी पक्की छत नहीं देखी,उनको छत दिलाने के लिए,नौजवानों को रोजगार दिलाने के लिए,किसानों की लूट बचाने के लिए,वैट द्वारा व्यापारियों को आतंकित करके उनका पूरा धंधा बर्बाद करने के खिलाफ,मँहगाई बढ़ाने के खिलाफ,इस देश के विकास के लिए,उत्तर प्रदेश के विकास के लिए,सारे हिन्दुस्तान के विकास के लिए,चाहे हम लोगों को खून नहीं,जीवन की आहुति भी देनी पड़ेगी तो देंगें,हम इस व्यवस्था को बदलेंगे।’’

और आज नवम्बर,2010 में,वर्तमान परिस्थितियों में समाजवादी आन्दोलन से जुड़े लोगों विशेषकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं,पदाधिकारियों को आम जनता के मुद्दों पर संघर्ष की तैयारी करके संगठन करना चाहिए।मुलायम सिंह यादव में यह क्षमता विद्यमान है कि वे जनता के हित के मुद्दों पर आन्दोलन खड़ा कर देते हैं।समाजवादी आन्दोलन को अब कर्म प्रधान कार्यकर्ताओं की पुनःआवश्यकता आन पड़ी है।देश की समस्याओं,जनता के बुनियादी अधिकार व समाज के प्रति कत्र्तव्यों पर मुखरित होकर ही समाजवादी आन्दोलन अपना विकास कर सकता है।राजनीति का व्यवसायीकरण व आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की राजनीति में प्रभावी कब्जेदारी के खिलाफ मोर्चा समाजवादियों को ही सम्भालना होगा।डा0लोहिया के कार्यक्रम क्रमशःसमान शिक्षा नीति,विशेष अवसर व समता के सिद्धान्त,चैखम्भा राज,पंचायती राज का अनुपालन,अल्पसंख्यकों की समस्याओं,न्यूनतम मजदूरी,कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण का विरोध,भारतीय संस्कृति का सर्व-धर्म समभाव प्रधान रूप,हिन्दी का प्रसार आदि वैचारिक क्रांति के रूप में हैं।इन कार्यक्रमों के जमीनी संचालन से एक लहर उत्पन्न होगी जो देश के समस्त समाजवादियों को जागृत करके देश को सशक्त-समृद्ध बनायेगी।प्रसिद्ध समाजवादी लेखक लक्ष्मीकांत वर्मा के कथनानुसार-कर्म और ज्ञान,बुद्धि और हाथ,चिन्तन और वाणी एक सजग प्रहरी के रूप में यदि समाजवादी आन्दोलन को दिशा देंगें और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में निरन्तर धार पैदा होती रहेगी तो निश्चय ही समाजवादी आन्दोलन का भविष्य उज्जवल होगा।

समाजवादी आन्दोलन,डा0लोहिया की सोच,मुलायम सिंह यादव का समाजवादी राज्य स्थापना का प्रयास व संकल्प तभी साकार हो सकते हैं,जब समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता व पदाधिकारी कर्म के क्षेत्र में समाजवादी विचारों को आन्दोलन का स्वरूप प्रदान करें।

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