योगगुरू स्वामी रामदेव भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाकर उसे पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने हाल ही में बयान दे डाला कि एक मंत्री ने उनसे धर्मशाला के नाम पर दो करोड़ की रिश्वत मांगी थी। सुर्खियों में रहने का कोई मौका न छोड़ने वाले विवादित बयानों के लिये भी जाने वाले स्वामी जी ने मंत्री का नाम नहीं खोला। यहां उनकी बांसुरी मौन हो गई। यहां तक की उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें नाम खोलने की चुनौती तक दे डाली, लेकिन स्वामी जी बिल्कुल खामोश हैं। राजनीति का भोग लगाने का वह ऐलान कर चुके हैं। देर-सवेर वह सत्तासीन होंगे भी इरादे तो यहीं हैं। सवाल ये है कि क्या उनसे कोई रिश्वत मांग सकता है ओर यदि मांगी भी तो इतने समय बाद ही क्यों उन्हें बताने की याद आयी? कितना सच है ओर कितना झूठ ईश्वर जानें परन्तु उनकी खामोशी संशय तो पैदा कर ही रही है। आश्चर्य की बात यही है आजकल राजनीति सबसे मुफीद धंधा है तभी वह सभी को लुभाती है। सत्ता का सुख सभी भोगना चाहते है। साधु-सन्यासियों से लेकर नामचीन अपराधी तक ओर वह भोग भी रहे हैं अब यदि स्वामी रामदेव ऐसा सोचते हैं तो शायद कोई गुनाह भी नहीं है।
23.11.10
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