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25.11.10

जग बौराना: परिवारवाद की पराजय ।

लेखक: श्री नरेश मिश्र ।

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पाकिस्तान में एक खातून को ईशनिंदा के जुर्म में फांसी की सजा हो गयी । उस महिला का गुनाह माफ करने के लिये प्रेसिडेंट जरदारी को दरख्वास्त दी गयी है । लेकिन आंध्र में जगनमोहन को माफी नहीं मिलेगी क्योंकि उन्होंने मैडम सोनिया गांधी की निंदा की है और कांग्रेसियों की नजर में वह ईशनिंदा से ज्यादा भयंकर पाप है । कांग्रेस के सामने मुश्किल दर मुश्किल पेश आती जा रही है । आंध्र में जगनमोहन रेड्डी ने बगावत की, सजा रूसैया को मिली । उनसे इस्तीफा मांग लिया गया । यह कांग्रेस हाईकमान यानी दस जनपथ का नया फैसला है ।
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बिहार के चुनाव में कांग्रेस का बंटाधार हो गया । चौबे जी गये थे छब्बे बनने, दुबे भी नहीं रह गये । चुनाव नतीजे में हाथ का पंजा सार्थक हो गया । पांच सीटें मिलने वाली हैं उसमें भी एक का घाटा नजर आ रहा है । नौ सीट से कांग्रेस चार या पांच पर पहुंच गयी है । इतनी बड़ी तरक्की सियासत में गांधी परिवार की कड़ी मेहनत का नतीजा है । मैडम सोनिया गांधी बिहार गयीं, युवराज राहुल गांधी भी गये, यहां तक कि बिचारे सरदार मनमोहन सिंह को भी जाना पड़ा । उन्नीस विधानसभा क्षेत्र में युवराज राहुल गांधी ने चुनाव सभाएं की । एक को छोड़ कर बाकी सब में कांग्रेस का बंटाधार हो गया ।

बिहार की जनता ने कांग्रेस के पंजे को अंगूठा दिखा दिया ।Thu
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चौवन विधानसभा सीटें ऐसी थीं जिनमें बीस फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता थे । कांग्रेस ने बहुत उदार हो कर मुस्लिम भाईयों को बिहार चुनाव में टिकट दिया था । वैसे टिकट देने के मामले में कांग्रेस ने बिहार में कई प्रयोग किये । जो बाहुबली जेल में थे उनकी पत्नियों को टिकट दिये, शायद बाहुबल के भरोसे उनकी पत्नियां जीत जायें । एक भी नहीं जीतीं ।
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बिहार में परिवारवाद का पूरा सफाया हो गया । यह सफाई लोकतंत्र में अभूतपूर्व है । नेहरू-गांधी परिवार की नहीं चली । लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी दोनों विधान सभा चुनाव क्षेत्र से हार गयीं । लालू यादव के सभी साले चुनाव हार गये । रामविलास पासवान का तो पूरा कुनबा ही चुनाव लड़ रहा था, उसे भी कामयाबी नहीं मिली । यह श्रीमती सोनिया गांधी के लिये एक सबक है । अगर वो कांग्रेस का भला चाहती हैं तो बिहार के चुनाव से कुछ सबक लें । हालत यह है कि रपट पड़े तो हर गंगा ।

चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद मैडम का यह कहना है कि उन्होंने तो बिहार में जमीन तैयार की थी । जमीन तैयार हुयी, जुताई भी हो गयी (243 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा), बीज भी डाले गये थे लेकिन पौधे नहीं उगे । यह प्रयोग अजीबोगरीब था । खेती चौपट हो गयी ।

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बिहार चुनाव में कांग्रेस की एक ही रामधुन थी, हमने बहुत पैसा दिया मगर बिहार सरकार ने उसका इस्तेमाल नहीं किया । इस ‘हमने’ का मतलब समझना होगा । ‘हमने’ का मतलब कांग्रेस के खजाने से पैसा दिया गया था, नेहरू परिवार की सम्पत्ति से पैसा दिया गया था या युवराज राहुल गांधी ने अपनी जेब से पैसा दिया था । पैसा किसने दिया था ? पैसा केन्द्र सरकार ने दिया था । बिहार को जितना हिस्सा मिलना चाहिये था उससे कम ही मिला, हां नितीश कुमार ने उसका सही इस्तेमाल करके बिहार का विकास किया । यह उनकी महारत है । कांग्रेस को इसके लिये शिकायत नहीं करनी चाहिय बल्कि नितीश की तारीफ करनी चाहिये ।
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बहुरानी श्रीमती सोनिया गांधी आज अपने ससुराल इलाहाबाद आ रही हैं । इलाहाबाद में रैली का रैला है । पेट्रोल पंपों पर तेल खत्म हो गया है । देहातों से गाड़ियों में भर भर कर रैली में शामिल होने वाले तथाकथित लोग जुटाये जा रहे हैं । रैली बड़ी शानदार होगी । राहुल गांधी का बिहार में रोडशो जो भी था, जितनी भी रैलियां थीं, शानदार थीं । लेकिन वो रैली वोट में नहीं बदली । इसकी वजह मैं समझ नहीं पा रहा हूं । अक्ल शीर्षासन करने लगी है ।
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Phot

Pho

इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का एक प्रसंग याद आता है । एक बार किसी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि आप तो बहुत प्रसिद्ध हैं, लोकप्रिय हैं । इंग्लैण्ड में आप जहां जाते हैं आपको देखने के लिये बड़ी भीड़ एकत्र हो जाती है । विंस्टन चर्चिल ने हंस कर जवाब दिया था – भीड़ के भरोसे मत रहना । भीड़ के मिजाज को समझना बड़ा टेढ़ा काम है । अगर कल को लंदन के अखबारों में यह खबर छपे कि दस डाउनिंग स्ट्रीट (इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री का निवास स्थान) के बाहर खंभे पर विंस्टन चर्चिल को फांसी दी जायेगी तो सबसे ज्यादा भीड़ इकट्ठी होगी । भीड़ तो तमाशबीन होती है । वह वोटर नहीं होती ।
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थोड़ी देर इलाहाबाद का दर्शन करने के लिये गांव के लोग अगर खाली होंगे (वैसे खेती का मौसम है कम ही लोग खाली हैं) तो तशरीफ लायेंगे । आजकल भीड़ भी अपनी कीमत वसूलने लगी है । लोग रैली में जाने के लिये दुगना तिगुना पैस वसूलना चाहते हैं । मनरेगा में जितना मिलता है अगर उससे कम मिले तो कोयी गांववाला क्यों आयेगा । वैसे पैसा बांटने के मामले में मुझे कुछ नहीं कहना है । कांग्रेस बहुत धनी संस्था है । बड़े बड़े घोटाले हो रहे हैं आखिर यह पैसा कहां जा रहा है । जैसी की कहावत है – सारी नदियां समुद्र में ही जाती हैं, कांग्रेस तो महासमुद्र है । पैसा तो कांग्रेस के पास बहुत है बस कोयी नीति नहीं है ।
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इलाहाबाद की बहूरानी आ रहीं हैं । हम सबको उनको स्वागत करना चाहिये । पोस्टरों में कई जाने-पहचाने और बहुत से गैर जाने-पहचाने चेहरे दिखाई दे रहे हैं, सिर्फ वे दो शख्सियतें पोस्टरों में नहीं दिखाई दे रही हैं जिनके हाथ किसी न किसी तरह से प्रशासनिक और राजनैतिक सत्ता है । विधायक अनुग्रह नारायण सिंह और मेयर जितेंद्र नाथ चौधरी के अलावा बाकी सभी दगे हुये अनारों को पोस्टरों में जगह दी गयी है । कांग्रेस की सोच उसको मुबारक ।

1 comment:

अजित गुप्ता का कोना said...

राहुल गांधी उर्फ युवराज कहते फिर रहे थे कि विकास देखना है तो आंध्र का देखो, तो भाई देख लिया आंध्र का विकास। हिम्‍मत आ गयी है लोगों में जो यह टीवी पर कह दे कि मेडम को भाषण देना ही नहीं आता। वाह खूब।