कांग्रेस की जो इज्जत बिहार में 4 सीटों के कारण बच गई है उसका मलाल वहां की जनता को जरूर हो रहा होगा । बिहार की जनता नें पासवान और लालू के साथ साथ गांधी नाम की गाडी पंचर कर दी है । जनता के बागी तेवर की शुरूआत कामनवेल्थ से हुई जब सत्ता का देशद्रोही रवैय्या देश नें देखना शुरू किया । सत्ताधारी दल देश के पैसों को इस तरह से हडप रहे हैं जैसे वो उनके बाप का माल हो । खेल के नाम पर, संचार के नाम पर, सोसायटी के नाम पर खुलेआम चल रहे भ्रष्टाचार को नजरअंदाज करना और देश के अनाज गोदामों में सड रहे अनाज को जनता में बांटने से इंकार करना देश को नागवार गुजरा औऱ बिहार में उसने हर भ्रष्ट दल को और व्यक्तियों को उनकी चुनौती खत्म करते हुए न्याय और विकास की राह चुनी ।
क्या बिहार चुनाव का नतीजा यूँ ही आ गया है ? नही ... ऐसे ही नही आया बिहार चुनाव का अनुकुल नतीजा इसके पीछे था लालू का चारा भूत, पासवान का जाति खेल, राहुल का सिमी - संघ का एक चश्मा, मनमोहन का कायरों की तरह दबे रहना, कश्मीरी अलगाववादीयों को अप्रत्यक्ष समर्थन, देशद्रोहीयों के खिलाफ चुप रहना, हिंदु धर्म समर्थितों पर कार्य़वाही का होना और सब7से बडी बात प्रदेश के विकास कार्य़ों के लिये धन रोकना ।
चाहे जो हो बिहार के नतीजों से पूरे देश को फायदा होगा आखिर नरेन्द्र मोदी के बाद नीतीश कुमार जैसा जुझारू, कठोर लेकिन जनता के हित को समझने वाला दुसरा नेता तो मिल गया ।
अब बाकि देश को समझना है कि भ्रष्ट लोगों से कैसे निपटा जाता है ।
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