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20.11.10

मच्छर और ताली बजाते लोग

आइये आपका स्वागत है ताली बजाने वालों के प्रदेश में .. ना...ना अरे भई गलत मत समझिये दरअसल हमारे प्यारे राज्य की सरकार  को मच्छरों से प्यार हो गया है और सारा प्रदेश अब ताली बजा बजा कर डंक चुभाते मच्छरों को अपने से दूर करने का प्रयास कर रहा है । मच्छरों की आबादी बढ रही है जिसके जिम्मेदार कुछ हम लोग भी है जिन्होने अपने कूलरों का पानी अब तक खाली नही किये हैं और घर की छतों, बगीचों, टंकी और गमलों में जमा पानी की निकासी या सफाई का समुचित उपाय नही कर रखे हैं । चलिये इतनी गल्ती तो हम जनता लोग कर रहे हैं लेकिन सरकार क्या कर रही है ? हम अपने घरों की नालियों की सफाई तो करवा लेते हैं लेकिन आगे की सार्वजनिक नालीयों की सफाई कौन करेगा ?
इस बात की शिकायत हमारे कार्य़ालय में पधारे प्रख्यात पुजारी पं. रामनरेश जी पाण्डेय जी की है । इनका कथन सुनिये - हम अपने घरों की पुरी सफाई दीवाली के पहले ही करवा लेते हैं इसके पीछे का बडा कारण होता है कि ठंड के समय मच्छरों की आबादी अचानक बढ जाती है ठंड में पंखे नही चलते इस वजह से ये बडे आऱाम से हमारे घरों में घुस कर खून चूसते रहते हैं । हमने  तो अपने घर की पूरी सफाई करवा लिये हैं यहां तक की नालियों में हर तीन चार दिन में फिनाइल या मिट्टीतेल का छिडकाव करते रहते हैं लेकिन फिर भी मच्छरों की आबादी लगातार बढती जा रही है । इसके जिम्मेदार निगम अधिकारी  हैं जो क्षेत्र में सफाई व्यवस्था की निरंतरता नही बना रहे हैं । शहर की सभी  नालीयां खुली हुई है पानी जगह जगह रूका हुआ है और तो और गंदे पानी की निकासी करने वाला नाला ही गंदगी से अटा पडा है । बडे नालों की सफाई साल में दो बार होना जरूरी है जबकि लगभग डेढ साल से नाले की सफाई नही हुई है जिसके कारण गंदा पानी रूका रहता है । शहरों में मच्छर इन्ही गंदे नाले नालियों से होकर हमारे घरों पर धावा बोलते हैं ।
                         ये सवाल केवल एक का नही है बल्कि हर शहर के निवासियों का है, लेकिन प्रशासन तब होश में आता है जब लगातार मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकडा बढते जाता है । कल एक विधायक के चाचा की मौत मलेरिया से हुई तो आज की खबर बन रही है ।

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