इलाहाबाद का दौरा केवल दिन का ही था और रात में प्रयागराज से वापस लौटना था, इसलिए बजाय होटल में रुकने के हालैंड हाल चला गया। चचेरा भाई मुझे लेने स्टेशन आया हुआ था सो उसके कमरे में रुका। तभी अपने महाशक्ति ब्लाग के प्रमेंद्र का फोन आया। उन्हें एड्रेस बताया और उनका इंतजार करने लगा। इस बीच हम नाश्ता करने कटरा की तरफ गये जहां चाय पान जलेबी अंडे अखबार अमरुद आदि की दुकानें लाइन से सजी थी। उससे पहले पुरानी किताबें, सड़क पर तुरंता फोटो खींचने वाला बाबा आदम के जमाने वाला बड़ा सा कैमरा, वजन तोलने हाइट नापने वाली मशीन, नौकरी के फार्म, रबड़ की मोहरें आदि की दुकानें लगी थीं। ये सब कुछ इसलिए कि इस रोड के अगल बगल कई किलोमीटर में सिर्फ छात्र और छात्रावास ही हैं सो इनसे जुड़े सामान की सभी दुकानें आसपास मिलेंगी। नाश्ता करके सौ रुपये का भांति भांति का नाश्ता पैक भी करा लिया ताकि हास्टल के छात्रों को भी नाश्ता करा दिया जाए। सब लडकों ने बड़े चाव से जलेबी, आमलेट और समोसे का लुत्फ उठाया। देर तक हास्टल के लान में कुर्सी पर बैठकर धूप सेंकते रहे।
हास्टल के कमरे, बाथरूम, टायलेट सब इतने जर्जर हो चुके हैं कि मत पूछिए। लेकिन इन्हीं हास्टलों के कमरों के लिए कितनी मारामारी होती है। इलाहाबाद के छात्रों में दो तरह का साफ साफ विभाजन होता है। एक हास्टल में रहने वाले एलीट छात्र, दूसरे डेलीगेसियों में रहने वाले छात्र। छात्र आपस में बतिया रहे थे। नए साल पर रात में हास्टल में डांस और खाने पीने की पार्टी है। कोई मोबाइल पर बता रहा था कि फलां सर एमपी में एडीजे बन गए।
इस माहौल में खुद को जीता रहा और अपने समय के इलाहाबाद विवि के छात्र जीवन को याद करता रहा।
दोपहर में महाशक्ति वाले प्रमेंद्र आए तो मुझे पहली नजर में निराशा हुई। महाशक्ति नाम और उनके आरकुटी प्रोफाइल आदि को देखकरर मैंने उनके बारे में जो धारणा बनाई हुई थी वो एक मजबूत कदकाठी वाले व्यक्ति की थी जो देखते ही देखते विस्फोट कर देता होगा लेकिन ये तो बड़े सामान्य से छात्र की तरह निकले। उम्र भी ज्यादा नहीं, बस 21 साल। मैंने अपनी इस धारणा का उनसे जिक्र किया तो वे हंसने लगे। यहां यह साफ कर दूं कि प्रमेंद्र से मैं आरकुट और ब्लाग के जरिए ही परिचित हुआ, उनसे पहले कभी मिला नहीं था। प्रमेंद्र ने बताया कि वे 2006 से ब्लागिंग कर रहे हैं और शुरुआती सैकड़ा ब्लागरों में से एक रहे हैं। साथ ही यह भी कि वे उस समय के सबसे कम उम्र ब्लागरों में से थे।
प्रमेंद्र ने अरुण अरोरा पंगेबाज, अविनाश मोहल्ला, शशि सिंह आदि का जिक्र किया और ब्लागिंग पर खूब बातें हुईं। उन्होंने भड़ास को लेकर भी अपनी राय दी। प्रमेंद्र के साथ उनके मित्र देवेंद्र और एक अन्य साथी आए थे। इन सभी ने खूब बातें कीं। मेरा भी मन लग रहा था। वाम पंथ, दक्षिण पंथ, मानवतावाद....ब्लागिंग के विवाद....मोहल्ला विवाद....सभी मुद्दों पर खुलकर बातें कीं। ये बातें ज्यादातर निजी किस्म की थीं इसलिए यहां देना उचित नहीं।
अंत में फिर मिलने की उम्मीद लेकर हम लोग विदा हुए।
दिन में अपनी आफिसियल मीटिंग निपटाकर जब हालैंड हाल लौटा तो हास्टल में डीजे सज चुका था और थिरकने वाले गाने बजने लगे थे। पर स्टेज पर अभी कोई नहीं था। मैंने हास्टल के कमरे पहुंचकर विदा होते साल को विदा करने के लिए पैग बनाया। साथ में एक छात्र भी थे जो मेरा साथ देते रहे। इसके बाद दो चार छात्रों को बिठाकर मैंने ब्लागिंग के बारे में भाषण दिया। उन्हें ब्लागिंग करने की तरकीब बताई।
दो पैग के बाद मेरे साथी अपने बाइक पर बिठाकर मुझे स्टेशन छोड़ने के लिए गए। रास्ते में सिविल लाइंस में स्पाइसी बाइट से दो तंदूरी चिकन पैक कराया और प्रयागराज में सीट पर बैठकर, आसन लगाकर पीते हुए खाया गया। वाह, मजा आ गया। खाने पीने में। ट्रेन चली तो साथी को विदा किया और फिर लगा फोनियाने। तीन चार लोगों को फोन किया तो मुझे याद आया कि बेटा तुम्हारा मोबाइल तो रोमिंग में है और सभी को मैसेज भेजना या फोन करना काफी भारी पड़ जाएगा। सुबह तक का सब्र कर ले। इसके बाद मैंने सोने की तैयारी कर ली। रात 4 बजे आंख हलकी सी खुली तो फोन की घंटी भी बजी। कानपुर के कई पत्रकार साथी दारू पीते हुए नये साल को सेलीब्रेट कर रहे थे और मुझे मिस कर रहे थे। पिछली साल मैं कानपुर में ही था इस मौके पर। उन्हें बधाई दी और मोबाइल जब रखने लगा तो देखा कि 75 मैसेज और 18 मिस काल पड़ी हुई हैं। सारे मैसेज नए साल के और सारी मिस काल रात 12 बजे के ठीक बाद के। मतलब ढेर सारे लोगों ने विश किया मैसेज से और काल से विश करना चाहा था।
सभी भाइयों को मैं यहीं ब्लाग के जरिए नए वर्ष की बधाई देता हूं और उनके परिवारर के सुखी और समृद्ध होने की कामना करता हूं। जिन भाइयों ने फोन किया उन सभी को खास आभार क्योंकि उन्होंने नए साल के जश्न में मुझे याद किया।
नए साल के पहले ही दिन सुबह से ब्लाग और नेट पर लगा हूं। यह इसलिए कि इस नए साल में ब्लागिंग को एक नई ऊंचाई देनी है। सभी ब्लागर मित्रों को भी नए साल की शुभकामनाएं और हिंदी की तरक्की व हिंदी ब्लागिंग की स्पीड बढ़ाने के लिए उनके प्रयासों को सलाम। साथ ही नए साल में कुछ ज्यादा करने और रचने की अपेक्षा भी।
धन्यवाद
जय भड़ास
यशवंत
1.1.08
हालैंड हाल- छात्र, ब्लागर और अलविदा 2007
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