एक बात की तो तसल्ली हो गयी है कि हमने हमारी मौलिकता नहीं बदली ठीक वैसे ही जैसे हम बबूल की तरह कांटेदार थे अभी भी हैं लेकिन कुछ ऐसी बकरियां अभी भी इस बबूल के पास चर रही हैं जिन्हें कांटो से कोई सरोकार नहीं है वो तो बस चपर-चपर चर रही हैं पर वो बकरियां भी मरकही हैं ,मुंडी झुका कर सींग तान कर दौड़ा लेती हैं । इसका भी दोष बबूल पर ही मढ़ देना चाहिये क्योंकि भला बकरियों का भी कोई स्वभाव होता है ये तो बबूल का ही असर है । हम बेशरम के फूलों की तरह थे और हमेशा रहेंगे कुछ डंक मारने वाली मधुमक्खियां और कुछ गन्दे, काले, गुन्डे किस्म के भंवरे अभी भी हमारे पास आकर सुख-दुःख बांटते हैं और इन्हीं के बीच कभी कोई सुन्दर मासूम इन्द्रधनुष को पंखों पर समेटे नन्ही सी तितली भी आ जाती है और हम सब उसे सिर पर बैठा लेते हैं । हम सब स्वंभू पतित हैं या नहीं पर लोग हमें जो भी नाम दे देते हैं हम उसे सम्मान देकर स्वीकार लेते हैं । लोगों की मौलिकता बदलाव की हवा में उडी़ जा रही है या फिर उनकी कोई निजता थी ही नहीं ,बस जैसा माहौल रहा उस हिसाब से कभी कद्दू ,कभी ककड़ी और कभी बैंगन बन गये लेकिन हम भड़ासी जंगली करेलों की तरह से ही बने रहे सदा । आज फिर एक बार शरीफ़ लोगों ने हमें बेदखल कर दिया शराफ़त के स्वयंभू मंच से जिस पर उनका ही अधिकार है यानि कि ब्लागवाणी नामक एग्रीगेटर से भड़ास को हटा दिया । इससे क्या होगा ? ये बात तो सब जानने लगे हैं कि भड़ास पर आने वाले लोग किसी चौराहे पर खड़े ट्रैफ़िक वाले से भड़ास का पता नहीं पूंछते बल्कि इस गन्दे पानी के ठहरे हुए किन्तु अपनी मौलिकता और निजता लिये तालाब में सीधे ही आकर डुबकी मारते हैं । जो यहां आ गए एक बार वे जानते हैं कि इस ठहरे हुए तालाब के पानी में जो गंध है वह गंधक की है जिसमें स्नान कर लेने से तमाम रोग दूर हो जाते हैं जैसे पुष्कर का कुंड है । जिन्हें लगता है कि हम सब भड़ासी अव्वल दर्जे के सुअर हैं तो भाई तुम लोग बने रहो बारहसिंघे हमें सुअर ही बना रहने दो हम अपने इसी गन्दे ,एक दूसरे के गमों और दुखों को पोंछ कर बनाए कीचड़ के तालाब में थूथुन मारते हुए एक दूसरे पर कीचड़ उछालते ही खुश रहे हैं और रहेंगे हमेशा ही । कभी अगर इस कीचड़ के तालाब में कोई खुशियों का कंदमूल निकल आता है तो हम उसे मिल बांट कर खा लेते हैं । अच्छा है कि इस तालाब के पास एक अब तक जो ब्लागवाणी नामक एग्रीगेटर यानि एलीगेटर(घड़ियाल) रहा करता था उसने स्वयं ही हमारा पीछा छोड़ दिया तो यारों और यारियों इसी खुशी में आइये और जोर से एक बार होली मनाने वाले अंदाज में कीचड़ में थूथुन मारते हैं और सुरेष चिपलूनकर जी के विदाई समारोह का आयोजन करते हैं । मनीषा दीदी ने यशवंत दादा से बात करते हुये कहा कि ये आदमी कुछ औरतों के खरी-खोटी सुनने पर भड़ास से जा रहा है तो हो सकता है कि एक हिजड़े के बुलाने पर वापिस आ जाए लेकिन अगर नहीं आया तो समझ जाना कि सचमुच शरीफ़ आदमी है इतने दिन गलती से भड़ास के संग रहा । चलो प्यारों होली होली करते हैं । हमारे पास जो महिलाएं हैं वो अगर चिपकलूनकर जी को शरीफ़ नहीं लगती हैं तो क्या हम सब उनसे झगड़ा करें कि आप तो हमें जबरन कैरेटक्टर सर्टिफ़िकेट दो ही कि हम अच्छे हैं । अरे हम उनके हिसाब से गलीज हैं तो वही सही हमारे संग अगर मुनव्वर आपा या रक्षंदा आपा जैसी महिलाएं हैं तो उन लोगों की नजरों में ये तो घटिया औरते हैं जो भड़ास पर हैं तो भाई लोग चलो घुर्र्र्र्र्र्र्र्र घुर्र्र्र्र्र्र्र की आवाज करते फिर अपनी औकात पर आ जाएं । होली है होली है चिल्लाते हुए............
16.3.08
आखिर शरीफ़ लोगों की जीत हुई और गलीज़ भड़ासी हार गये
Posted by डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)
Labels: मनीषा दीदी, मुनव्वर आपा, मौलिकता, यशवंत, रक्षंदा आपा, शरीफ़
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3 comments:
"क़त्ल कर दो तुम मुझे और काट लो मेरी जुबाँ
मैं भड़ासी कब्र में भी खामोश न रह पाऊंगा"
DOCTOR DAADAA ...BARI TAKLIF HO RAHI HAI ...CHUTION KI SOCIETY MEIN HAM DILVALON KE SAATH YE SALE MAJAK NAHI TO AUR KYA KAR RAHE HAIN. DAADA HAM GARIB HI SAHI LEKIN APNI ROTI KO BAANT KAR KHAANE KE AADEE HAIN...JO IN MAADARCHODON KO NAAGVAAR GUJARTAA HAI...DAADA HAMNE JO YOJNAA BANAAYEE HAI AUR JIS PAR KAAM KAR RAHE HAIN VAH YAH HAI KI HAME UPEKSHIT MANUSHY PRAJAATI KE SAMVARDHAN KE LIYE JEE JAAN SE JUT KAR KAARY KAR KE PARIVARTAN KI VAYAAR BAHAA DENAA HAI...HAME DESH KE JUBAAN OPAR ''BHADAAS'' KAAM CHADHAA DENAA HAI ...HAME DESH KE VEVASH PRANI KO YAH BATAANAA HAI KI AGAR KOI TUMHARI AAVAAJ NAHI SUNTAA HAI TO ''BHADAAS'' TUMHE NYAAY DILVAAYEGAA...PURE JOR SE..MUMBAI MEIN DOCTOR JI...DELHI MEIN YASHVANT DAADAA...PANKAJ BHAIYAA..HARE DAADAA...CHANDRABHUSHAN BVHAIYAA...MANISHAA DEEDEE...SAB MIL KAR EK NAYE SAMAAJ KI PARIKALPNAA KO SAAKAAR KARENGE HAm bhadaasee....vanchiton ke swar bankar ubhregaa ''bhadaas''...
jai bhadas
jai yashvant
manish raj begusarai
dr. sab chutiyon se mai puchhta hoon ki ve bhala aur achchha aadmi bnne ke trike bataen to ve batate nhi aur hmse ghrina krte hai...hmari sangt se bhag jate hain....dr. sab donot worry...
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