दिल्ली में सीरियल बम धमाके की दर्दनाक घटना को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने जिस तरह से कवरेज़ दिया है। उससे हमें तो लगता है की बम से ज्यादा उन खबरों ने ज्यादा आतंक मचाया है। वैसे भी जब भी ऐसी निंदनीय, अक्षम्य घटनाए होती है चैनल वाले इसी तरह ख़बर दिखाते है। इससे हमें लगता है की चैनल वाले ऐसी ख़बर बढ़ा चढा कर दिखाते है, उससे आतंकियो की मदद हो रही है। या यूँ भी कह सकते है की देश में आतंकियों का नापाक मंसूबा है आतंक फैलाना और चैनल इसमे उनकी मदद kar रहे है।
14.9.08
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4 comments:
शहजाद जी,
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इन खबरों को प्रिंट मीडिया अपने सम्पादकीय में बैठ कर बड़े चाव से देखता है, इनमे नमक मिर्च का मेल कैसे हो कि प्लानिंग कर के सुबह सुबह लोगों को चटपटा मिक्स मसालेदार चाऊमीन पेश करता है,
क्या इलेक्ट्रोनिक क्या प्रिंट नंगे पण कि दोड़ में सभी नागे दोड जा रहे हैं, खबर को बेचने कि जल्दी में सामाजिक जिमेदार्यों को कब कि तिलांजलि दे चुके हैं.
जय जय भड़ास
aatank ko bada-chada kar pesh karna galat hai
ye channel wale businessmen hain. ye aasuon ko bachte hain. khauff khud hi khadi karte hain phir boom pakad kar camera pe chikte chillate hain.
main rajnish jha ji ke baaton se sahmat hu.
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