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14.9.08

आतंकवादियों के हिमायती

----- चुटकी----
बम विस्फोटों की घटना
को भारी -भारी शब्दों में
जो धिक्कारतें है,
वही अन्दर बैठकर
आतंकवादियों को
पुचकारते हैं।
---गोविन्द गोयल,श्रीगंगानगर

4 comments:

Unknown said...

क्यों कि वह आतंकवादियों का दूसरा रूप हैं.

Anonymous said...

नारद जी,
पुचकारने के खेल में पत्रकार भी शामिल रहते हैं,
सुबह सुबह के लिए ताजे ताजे मसाले का,
अन्दर कि बैठक में शामिल हो कर
जुगाड़ करते रहते हैं

जय जय भड़ास

mrit said...

यह अतयंत दुख की बात है कि आंतकवादीयों के पास न्यूक्लियर बम नहीं है.मैं आतंकवाद का समर्थक नहीं हूँ पर ये इन्ही घिनौने राजनीतिज्ञॉं की ही अपनी बोई हुई फसलें हैं.

Unknown said...

sahi kaha aapne.