तनहा-तनहा जलता रहता हूँ
पर किसी का मैं क्या लेता हूँ !!
मुझमें तो हर कोई शामिल है
सबकी बातें कहता रहता हूँ !!
सबके गम तो मेरे मेरे गम हैं
सबके दुखडे सुनता रहता हूँ !!
सबमें खुद को शामिल करके
और सब खुद ही हो जाता हूँ !!
सबका दुखः मैं रोता रहता हूँ
अन्दर-अन्दर बहता रहता हूँ !!
सबको बेशक कुछ मुश्किल है
मुश्किल का मैं हल कहता हूँ !!
मुझमें कौन बैठा है "गाफिल"
सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ !!
4.4.09
सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ.....!!
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2 comments:
sabse judkar rahana bhe,
asan nahi hai lagta,
kai bar home karte hue bhe ,
hath khud ka hi jalata.
bahut badiya likha haa.........shabdo me jaan dal di haa apne keep it up.......
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