दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार जरनैल सिंह ने आखिर क्यों प्रैस वार्ता में पी.चिदंबरम की तरफ़ जूता फ़ेंका?? यह कहना कि जूता पी.चिदंबरम को मारा गया था, गलत होगा। पहले क्रम में बैठे जरनैल सिंह अगर पी.चिदंबरम को हानि पहुँचना चाहता, तो वह बहुत असान होता। तो आखिर क्यों फ़ेंका गया जूता??
दरअसल अगर इस पूरे घटनाक्रम से पत्रकारिता हटा दे, तो यह एक आम आदमी का सिस्टम के खिलाफ़ बढता अविश्वास का फ़लसफ़ा मात्र हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में भड़के सिख विरोधी दंगों में मारे गये हजारों निर्दोषों के परिजन आज पच्चीस साल बीत जाने के बावज़ूद न्याय के लिये दर-दर ठोकर खा रहे हैं। कितने आयोग बनी, न्यायपालिका का मखौल बनाया गया। और साथ में मखौल बनाया गया न्याय की उम्मीद लगाये परिजनों का।
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9.4.09
आखिर क्यों फ़ेंका जरनैल सिंह ने जूता ???
Posted by सुमीत के झा (Sumit K Jha)
Labels: Sumit K Jha, जरनैल सिंह, जूता, पी.चिदंबरम
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1 comment:
jab chot lagi hogi to dard kabhi na kabhi ghalke ka hi. jarnail ne kisi ko mara nahi keval apne dard ka ijhaar kiya.
mai bhi dainik jagran me patrakar hoon. 84 ke dango me mere apne bhi maare gaye.
titelar aur sajan kumar ko dekhkar mere bhitar bhi akrosh aata hai
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