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9.4.09

अरे ब्लागरों, थोड़ा बच्चा बन जाओ, जरा बाल सजग पर घूम आओ

कविता- बंदर
कटी दल पर बैठा बन्दर
ले कर केला और चुकंदर
लम्बी चोटी उसके सर पर
लम्बी पूंछ है उसके ऊपर
कभी - कभी वह घर के अन्दर
लेकर सिर पर एक कलेंडर
लेके बंदरिया अपने संग
करने लगा रंग में भंग
-सोनू
कुमार
अपना घर

कक्षा 7
पेंटिंग:- आदित्य कुमार
अपना घर
कक्षा 6

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आजकल जब लोग मैं मैं मैं मैं करते हुए लिखते पढ़ते पढ़ाते बतियाते गरियाते चले जा रहे हैं, ऐसे में कोई शख्स बच्चों की बात करे, उनकी कविताओं और पेंटिंग को प्रकाशित करे, वो भी एक डेडिकेटेड ब्लाग बनाकर तो उसकी भूरि भूरि तारीफ की जानी चाहिए। लेकिन हम लोगों की आदत तो सनसनी पढ़ने पढ़ाने बतियाने और सुनाने की होती है। किसी ने किसी को गरिया दिया तो वो सब खूब पढ़ा जाएगा लेकिन कोई किसी दूसरे के हित में जी रहा है तो उस पर कोई ध्यान नहीं देगा। बाल सजग ब्लाग के महेश जी का मेल मिला कि उनके ब्लाग को भड़ास के कोने में दर्ज करें तो इस ब्लाग को खोला। मजा आ गया। क्या कविताएं हैं बच्चों की। कहानियां हैं। पेंटिंग हैं। प्लीज, आप लोग एक बार बाल सजग पर जाएं और महेश जी की हौसलाअफजाई जरूर करें, इतना शानदार ब्लाग बनाने और चलाने के लिए....।
उपरोक्त रचना बाल सजग से साभार ली गई है।
बाल सजग का पता है-
http://balsajag.blogspot.com
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आभार
यशवंत

1 comment:

BAL SAJAG said...

yaswant jee bahuat - bahuat aabhar aapka bachcho aur mere taraf se apne blog pe jagah dene ke liye...
Mahesh