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8.4.09

सीख जूते की....

जरनैल का जूता एक साथ बहुत कुछ कह .गया...!हमारे चारों और जो घटित हो रहा है...उसकी कहानी कह गया!अब दुनिया बहुत छोटी हो गई है..!एक मामूली सी घटना थोडी देर में पूरे विशव में फ़ैल जाती है..!बुश पर जूता पड़ते सारी दुनिया ने देखा..लेकिन नेताओं ने इससे सबक लेना उचित नहीं समझा..!ये तो बोलना जानते है..सुनना कहाँ पसंद है इनको..?तो लो खाओ जूते...!नेता लोग एक अलग जाती होती है...पार्टी चाहे कोई हो इनका खून एक है ..तभी तो हर पार्टी में ये झट से एडजस्ट हो जाते है...इनके ब्लड ग्रुप वाली कोई समस्या नहीं ...है..!ये खून करे या दंगे करें या कुछ भी करे ..अवल्ल तो जेल जाते नहीं और चले भी जाएँ तो जल्दी वापिस भी आ जाते है...!जबकि एक आम आदमी को traffik नियम तोड़ने जैसे अपराध में भी इतना .शर्मिन्दा होना पड़ता है की क्या बताएं...?बड़े अपराध में तो जाने क्या होगा? जबकि नेताओं को देखिये...कुछ भी अनाप सनाप बोले जा रहें है..!सब .चुपचाप सुनते जा रहे है....!.देखिये वरुण गांधी को,देखिये लालू जी को ,देखिये रामविलास और मुलायम को...हुआ किसी को कुछ....अब आम आदमी क्या करे ...सुनता रहे इनकी बकवास....क्यूँ? इस sannatte को तोड़ने के लिए फ़िर जूता फेंकना पड़ेगा क्या?

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