31.7.11
फेसबुकी संसार में यारो, बनते मीत हजार हैं
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गीत: आज भी रोये वन में -nazrul giti
गीत: आज भी रोये वन में -nazrul giti:आज भी रोये वन में कोयलिया
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समाचार '' भारतीय नारी'' से सम्बंधित
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Labels: aalekh shikha kaushik
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है.......
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है.......
दुनिया के दस्तूर बदलते देखे हैं,
मैंने, मैंने, रिश्ते और रिश्तेदार बदलते देखे हैं
मैंने, अपनो को बैगाना होते देखा है,
हाँ, हाँ, मैंने वक्त बदलते देखा है......
मैंने लोगो की मधु-मुस्कान में स्वार्थी बदबू को आते देखा है...
कथनी और करनी में अंतर को देखा है....
मैंने, मैंने, रंग बदलते इंसानी गिरगिट देखे हैं,
मैंने अपनेपन की केचुली पहने इंसानों को देखा है
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है....
मैंने अपने लियें सजी 'अपनो' की महफ़िल भी देखी है
मैंने गैरों की गैरत को देखा है, और 'अपनो' के 'अपनेपन' पन को भी देखा है,
मैंने, हाँ, हाँ, मैंने इस 'अपनो की दुनिया ' में अपने को अकेला भी देखा है.
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है.......
- पंकज व्यास, रतलाम
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तथाकथित आधुनिकता पता नहीं भारत को कहाँ पहुँचा कर छोड़ेगी ?
बेशर्मी मोर्चा छोटे कपड़ों को गलत नहीं मानता .मैं इन तथाकथित समाजसुधारकों जैसे नफीसा अली आदि से पूछना चाहूँगा जिस प्रकार से हानिकारक गैस वातावरण को प्रदूषित करके प्राणियों पर मानसिक व शारीरिक दुष्प्रभाव डालती हैं.ऊँची ध्वनियों से ध्वनि प्रदूषण होता है.जिस प्रकार से किसी बच्चे के अबोध मन मस्तिष्क पर अश्लील चित्र गलत असर डालते हैं.अगर आप अपने किसी भी मकान दूकान ,वाहन,वस्तु,रुपये पैसे या अन्य भौतिक संशाधन को उचित देखरेख व सुरक्षा में नहीं रखोगे तो हरेक व्यक्ति का हौंसला बढ़ जाता है कि वह मौका मिलते ही उपरोक्त चीजों पर हाथ साफ़ करदे.छेड़खानी की घटनाओं में अभिवृद्धि के पीछे गलत कपड़ों का पहनना भी एक कारण है.सही सोच वाला पुरुष भी यदि छोटे कपड़ों में महिलाओं को बार बार देखेगा तो कभी न कभी उसकी मानसिक कलुषिता इतने खतरनाक स्तर पर पहुँच जायेगी कि वह कोई दुर्व्यवहार कर बैठेगा.जब मुनि विश्वामित्र जैसे तपस्वी ऋषियों का तप भंग हो सकता है तो आज के वातावरण में,जहाँ विभिन्न माध्यमों से वैचारिक प्रदूषण चरम पर है, इसकी सम्भावना कई गुणा बढ़ जाती है.मोर्चा के संयोजकों का एक और बेहूदा तर्क कि हम क्यों नहीं पुरुषों की तरह अपनी छाती को खुला रख सकते,हमें भी पुरुषों की तरह अपने शरीर पर पूरा अधिकार है.समाज और परिवार में इसप्रकार आपस में कोई तुलना या प्रतिस्पर्धा नहीं होती,फिर तो बच्चे,नौजवान व बूढ़े हरेक यह सवाल उठा सकता है कि अमुक काम वह क्यों नहीं कर सकता.विश्व की प्राचीन मानव सभ्यताओं का निर्माण इसप्रकार की बेतुकी प्रतिस्पर्धा से नहीं हुआ है.तदुपरान्त इससे एक कदम और आगे यह भी कहने में कोई बुराई नहीं है कि यदि पशु पक्षी जीव जन्तु स्वच्छंद जीवन शैली जीते हैं तो हम क्यों नहीं .हम तो सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ हैं..इस प्रकार की तथाकथित आधुनिकता पता नहीं भारत को कहाँ पहुँचा कर छोड़ेगी ?
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''भारतीय नारी '' ब्लॉग पर आज प्रस्तुत हैं दो महत्वपूर्ण पोस्ट
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Labels: bhartiy nari
राष्ट्र निर्माण .......
जैसे जल है और शर्बत ।
शर्बत में बहुत सी अन्य चीजें घुली हुयी हैं पर जल ही की प्रधानता है , उसी का परिस्कार है या संस्कार है , ऐसी ही किसी राष्ट्र की संस्कृति है ।
कभी एक राज्य के अन्दर कई राष्ट्र होते हैं और कभी एक राष्ट्र के अन्दर कई राज्य ।
यूरोप में कभी ऑस्ट्रिया के अन्दर कई राष्ट्र थे यद्यपि राज्य एक ही था , औस्ट्रिया । यही राष्ट्र जर्मनी और इटली के रूप में स्वतंत्र राज्य भी बने ।
जब जर्मनी का विभाजन हुआ तो एक ही राष्ट्र दो राज्यों में बँट गया ।
फिर एक दिन वह बांटने वाली दीवार ढह गयी और राष्ट्र तो एक था ही वह फिर एक राज्य बन गया ।
अब आप आसानी से भारत का परिदृश्य देख सकते हैं और मेरी पीड़ा को को समझ सकते हैं ।
Posted by Dr Om Prakash Pandey 0 comments
समलैंगिकता एक अक्षम्य अपराध-ब्रज की दुनिया
समलैंगिकता एक अक्षम्य अपराध
मित्रों,प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में मृत्यु के भयानक तांडव को देखकर पश्चिम के लोग यह सोंचकर भोगवादी हो गए कि जब जीवन का कोई ठिकाना ही नहीं है तब फिर नैतिकता को ताक पर रखकर क्यों नहीं जीवन का आनंद लिया जाए?बड़ी तेजी से वहां के समाज में यौन-स्वच्छंदता को मान्यता मिलने लगी और इसी सोंच से जन्म हुआ सार्वजनिक-समलैंगिकता के इस विषवृक्ष का.बेशक समलैंगिक व्यवहार पहले भी समाज में प्रचलित था लेकिन ढके-छिपे रूप में.
मित्रों,इन दिनों भारत में भी पश्चिम की संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के चलते समलैंगिकों की एक नई जमात खड़ी हो गयी है.ये लोग गुदा से मलत्याग के साथ-साथ यौनाचार का काम भी लेने लगे हैं.उनमें से कईयों ने तो आपस में शादी भी कर ली है.हद तो यह है कि भारत की केंद्र सरकार भी इन सिरफिरों के कुकृत्यों को मान्यता देने की समर्थक बन बैठी है.
मित्रों,यह एक तथ्य है कि वर्तमान काल की सबसे भयानक बीमारी एड्स की शुरुआत और फैलाव में सबसे बड़ी भूमिका इन समलैंगिकों की ही रही है.गुदा-मैथुन से ई-कोलाई नाम जीवाणु जो आँतों में पाया जाता है के मूत्र-मार्ग में पहुँचने और गुर्दों के संक्रमित होने का खतरा भी रहता है.सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह बिलकुल ही अनुत्पादक और वासनाजन्य कार्य है.इससे सिर्फ काम-सुख मिलता है प्रजनन नहीं होता.
मित्रों,कुल मिलाकर मेरे कहने का लब्बोलुआब यह है कि समलैंगिकता व्यक्ति,परिवार,समाज और राष्ट्र सबके लिए हानिकारक है;सबके प्रति अपराध है.यह नितांत भोगवादी प्रवृत्ति है जैसे कि अफीम का सेवन.इसका परिणाम हमेशा बुरा ही होनेवाला है इसलिए ऐसे समाज-विरोधी लोगों के प्रति सरकार को अत्यंत कठोरता के साथ पेश आना चाहिए और यदि ऐसा करने के लिए वर्तमान कानून पर्याप्त नहीं हों तो बिना देरी किए ऐसे कानून बनाए जाने चाहिए.
Posted by ब्रजकिशोर सिंह 2 comments
हदों की भी हदें लांघी न्यूज़ 24 ने
इस बार हदों की भी हदें लांघी हैं न्यूज़ 24 ने. पता नहीं चैनल कौन चला
रहा है और उसका मकसद क्या है, पर एक बात तय है कि जो भी इसके मालिक या
एडिटर होंगे, उन्हें न्यूज़ की कोई समझ नहीं होगी.
शनिवार शाम सात बजे के बुलिटेन में 'धोनी का छुपा हथियार' का हैडिंग चल
रहा था. समझा शायद कुछ खास दिखा रहे होंगे. काफी देर बकवास करने के बाद
युवराज सिंह को छींकते हुआ दिखाया गया.
स्क्रीन पर लिखा था- छुपा हथियार बनाएगा धोनी को ट्रेंटब्रिज का सिंघम.
वाइस ओवर था-
....................
पूरा पढ़ने के लिए- http://mydunali.blogspot.com/
Posted by SANSKRITJAGAT 0 comments
राष्ट्र निर्माण...... (श्री अशोक गुप्ता जी अवश्य पढ़ें )
राष्ट्र क्या है ?
क्या राज्य एवं राष्ट्र एक ही हैं ?
क्या प्रान्त एवं राज्य एक ही हैं ?
प्रान्त एवं राज्य का अंतर राजनैतिक संप्रभुता को लेकर है ।
इसके विपरीत राष्ट्र (नेशन ) वास्तव में एक नस्ल या नस्लों का एक सुचारू मिश्रण है जिसमें एक की प्रधानता एवं अन्य के विलय से प्रधान तत्त्व को समृद्ध करने वाली एक संस्कृति बनती है ,वही राष्ट्र है । मैंने राष्ट्र का अर्थ यही समझा है । जैसे जल है ।
Posted by Dr Om Prakash Pandey 2 comments
अमन का पैग़ाम: क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होत...
अमन का पैग़ाम: क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होत...: "क्यों साऊथ अफ्रीका मैं बलात्कार इंडिया से अधिक होते हैं? यह सवाल उस समय मेरे दिमाग मैं आया जब मैं दुनिया मैं हो रहे अपराधों की तुलना करने व..."
Posted by एस एम् मासूम 0 comments
30.7.11
ठंड रख कलमाड़ी !
Posted by Shikha Kaushik 2 comments
Labels: politics
'समीक्षा: अन्ना हजारे के अनशन की राह में ......
Posted by Anamikaghatak 1 comments
Labels: Anna Hazare
Posted by आशेन्द्र सिंह 0 comments
Labels: नम्रता की बात
हे अतिथि (कसाब) तुम कब जाओगे ?"
हम स्वर्ग- नरक पर थे वहा हडकंप मचा हुआ है क्यूंकि कसाब ने अपनी फासी की सजा के खिलाफ उच्चतम नयायालय जाने का फैसला लिया है अब साल भर वो वहा निकाल लेगा और फिर भी संतुष्टि ना मिली तो राष्ट्रपति के पास अर्जी दे देगा....हाँ तो स्वर्ग में हडकंप इसलिए है क्यूंकि २६/११ के हमले में जो बेकुसूर मारे गए उनकी आत्माएं कराह रही है बार बार कह रही है "हमें किसी ने मौका क्यों नहीं दिया काश हमें भी मौका मिला होता कुछ पल और जीने का" .इन आत्माओं के साथ वो आत्माएं भी दुखी है जो हाल ही में हुए मुंबई हमले के कारण वहा पहुंची है.आखिर सबका एक ही दुःख है हम उस हत्यारे को सजा तक नहीं दे पा रहे जिसने इतने मासूम लोगो को अधूरी जिंदगी और अकाल मृत्यु की सौगात दी.
Posted by kanu..... 0 comments
''भारतीय नारी '' ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है -ये ''हॉरर किलिंग हैं ''
Posted by Shikha Kaushik 4 comments
Labels: aalekh shikha kaushik
अरे निकम्मो, देश लुटेरो,बापू को कुछ याद करो
मगर सियासतदां सब के सब अपनी आदत से लाचार
कैसे-कैसे दम्भी बैठे कांग्रेस में आज हैं
दमन कर रहे जन आकांक्षा, नहीं किसी को लाज है
एक पीएम से आस बची थी, वह भी निकले अ-सरदार
सारे नेता बने हुए हैं चमचों के परचमबरदार
अरे निकम्मो, देश लुटेरो,बापू को कुछ याद करो
देश हमारा सबसे ऊपर, मत इसको बरबाद करो
कुंवर प्रीतम
Posted by KUNWAR PREETAM 0 comments
29.7.11
Bezaban: क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे?
Bezaban: क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे?: "क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे? परेशान ना हों भाई आप को तो केवल अपनी पसंद बतानी है. अभी इस सप्ताह मैंने दो पोल (POLL) किये और आश्चर्य जन..."
क्या कहा आपने शादी नहीं करेंगे? परेशान ना हों भाई आप को तो केवल अपनी पसंद बतानी है. अभी इस सप्ताह मैंने दो पोल (POLL) किये और आश्चर्य जनक रूप से टिप्पणिओं से अधिक इमानदार नतीजे सामने आये.
उन विषयों पे जहाँ लोग कम बोलना चाहते हैं पोल (POLL) वैसे भी एक कामयाब तरीका हुआ करता है हकीकत जानने का.
आज हम जिस समाज मैं रह रहे हैं वहाँ शादी के पहले सेक्स या शादी के बाद पति या पत्नी के अलावा सेक्स स्वीकार नहीं किया जाता. लेकिन ऐसा होता है यह भी सत्य है और बहुत से परिवारों मैं शादी के पहले सेक्स की इजाजत तो नहीं लेकिन बहुत बुरा नहीं समझा जाता. और कई जगह तो बिना शादी जीवन साथ गुजरने मैं भी आपत्ति नहीं होती लोगों को.
1) आप को क्या लगता है?
2) शादी के बाद परायी स्त्री या पराये पुरुष से सेक्स
Posted by एस एम् मासूम 0 comments
है कोई निर्माता ! या सब अपने आप .......जादू से !....कहाँ है ! ...कौन है वो जादूगर.....
इस फूल को किसने बनाया ! who made this flower !
यह एक सुंदर फूल है न .
कभी सोचा इसे किसने बनाया !
क्या बेवकूफी भरा सवाल है !
अरे किसी ने भी बनाया हमें क्या लेना देना .
हाँ ! यह प्रश्न सबके लिए नहीं है . केवल उस विचारक के लिए, जिसके पास इन चीजों के लिए , दिमाग , वक्त व जरुरत है .
बिना जरूररत तो मनुष्य करवट भी नहीं बदलता .
अब मुझे क्या जरुरत आन पड़ी .
बस आन पड़ी . और आज सुबह सैर करते हुए यह प्रश्न आ गया कि इतना सुंदर फूल कैसे बन गया ,
बराबर में साथ सैर कर रहे गोयल साहेब से मन का प्रश्न कह दिया ,
उन्होंने वही घिसा-पिटा उत्तर दे दिया - "भगवान ने".
पर मैं तो विज्ञानं का विद्यार्थी रहा हूं. (विद्यार्थी = जो विद्या की अर्थी निकाल दे ) , मैंने कहा , विज्ञानं वाले तो कहते हैं , जीवन , अपने आप बन गया .
दादा डार्विन का तो यही सिद्धांत , हमने स्कूल की पुस्तकों में पढ़आ है , कि अपने आप कुछ कैमिकल इकठ्ठे हुए , बिजली चमकी , बादल गरजे , और जीवन बन गया . और वह जीवाणु इतना होशियार था कि बनते ही उसने विकास का मन बना लिया, और अपने आप को मछली , मेंढक , जानवर, पक्षी , बन्दर व मानव में विकसित कर लिया.
ऊँचे वृक्षों के पत्ते खाने से घोड़ा , जिराफ बन गया. बच्चे को दूध चाहिए था तो अपने आप माता के स्तनों में दूध बन गया . बच्चे का इतना विकास हो चूका था कि पैदा होते ही उसने दूध पीना भी आ गया.
गोयल साहिब हँसने लगे, कि गुप्ता जी, जब बच्चे थे तो विज्ञानं के इतिहास में आपने ये सब बातें पढ़ लीं , पर अब तो तुम बड़े हो गए हो , जरा फिर अपने आप से ही पूछो , ये चंदू खाने की कहानि तुमको खुद भी सच लगती है क्या.
मिटटी, पानी , चाक , डंडा यदि करोड़ साल भी पड़े रहें तो एक बर्तन नहीं बन सकता, और आपने बिना किसी चीज के इतना विकसित जीवन बना दिया , जो इस फूल में रंग भर गया, दूसरे फूल में दूसरा , पहले कली , फिर फूल , फिर फल .....फिर ..... सब अपने आप .........
इस बेवकूफी की बात को मानने से तो अच्छा है आप दूसरी भी बेवकूफी की बात मान लें , कि एक अनजानी, अद्रश्य शक्ति ने इस विश्व का, इस फूल का निर्माण कर दिया.
और आप उस शक्ति को मान कर अपने को दकियानूसी समझ रहे हैं. तो एक इससे अच्छी कल्पना ले आओ , मगर ये बन्दर से आदमी की बात तो इंडिया के अलावा , कहीं भी नहीं मानी गई , विज्ञान में भी , न तब , न अब , पर पश्चिम की , की हुई उल्टी भी हमें स्वाद ले कर खाने की आदत सी हो गई है , तो सारे तर्क बेकार हैं.
मैंने आते समय उनका धन्यवाद किया , और सोचा कि अपने ब्लॉग मित्रों से भी राय ले लूँ.
जय सच्चिदानंद
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हमे नहीं पता? कहाँ का प्रधानमंत्री नपुंसक है?
एक बार एक आम आदमी जोर जोर से चिल्ला रहा था,प्रधानमंत्री नपुंसक है.पुलिस के एक सिपाही ने सुना और उस की गर्दन पकड़ के दो रसीद किये और बोला चल थाने, प्रधानमंत्री की बेइज्ज़ती करता है.वो बोला साहब मै तो कह रहा था इंग्लैंड का प्रधानमंत्री नपुंसक है.ये सुन कर सिपाही ने दो और लगाए और बोला साले, बेवक़ूफ़ बनाता है, हमे नहीं पता ? कहाँ का प्रधानमंत्री नपुंसक है?
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बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होए ?
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होए ?
प्रदुषण की मार को लेकर दिन रात क्यों तू रोता है
गन्दगी फ़ैलाने वालों में तू सबसे पहले होता है
सरकारी कामों को लेकर दिन में आवाज़ बुलंद करे
रात में तू ही गिट्टी , रेती को चोरी से घर में बंद करे
पैसे के लालच में घटिया लोगो को संसद में भेज दिया
अब क्यों कहता है नेताओं ने दिन रात का चैन लिया
रिश्वत का पैसा मिले तो बेबस को पूरी तरह से छील लिया
फिर क्यों कहता है भ्रष्टाचारियों ने भारत को पूरा लील लिया
पाप की घघरी खुद ने भरी अब ईश्वर के आगे रोए
बोया बीज बबूल का तो आम कहाँ से होए ?
भूल गया जब पिताजी को घर के बाहर की राह दिखाई थी
अब क्यों दुखी है जब बेटे ने वृद्धाश्रम की बुकिंग कराई है .
poori rachna padhne ke lie click karein
http://meriparwaz.blogspot.com/2011/07/blog-post_29.html
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दिलेरी का एक नाम ‘फूलबाई’, अब तक 7 हजार पोस्टमार्टम !
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राजकुमार साहू, जांजगीर, छत्तीसगढ़
अक्सर कहा जाता है कि नाम बड़ा होता है या काम और अंततः कर्म की प्रधानता को तवज्जो दी जाती है। ऐसी ही एक महिला है, जिसने नाम के विपरित बड़ा काम किया है, वो भी हिम्मत व दिलेरी का। जिस काम को कोई मर्दाना भी करने के पहले हाथ-पांव फुला ले, वहीं यह नारी शक्ति की मिसाल महिला करती हैं, लाशों का पोस्टमार्टम। ऐसा भी माना जा रहा है कि संभवतः यह छत्तीसगढ़ की पहली महिला होगी, जिसने ऐसे हिम्मत के काम को चुना और एक नई मिसाल भी कायम की है।
जी हां, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा में ‘फूलबाई’ नाम की एक महिला है, जो पिछले 25 बरसों से पोस्टमार्टम करती आ रही हैं। हर हफ्ते 3-4 पोस्टमार्टम करती हैं तथा वह सालाना 2 सौ पीएम कर लेती हैं। अनुमान के मुताबिक फूलबाई ने अब तक करीब 7 हजार पोस्टमार्टम कर लिया है।
ब्लाक मुख्यालय मालखरौदा में रहने वाली फूलबाई का नाम सुनने के बाद हर किसी के मन में सहसा ही एक ऐसी महिला की तस्वीर बनेगी, जो फूलों की तरह नाजुक हो, मगर इन बातों को फूलबाई ने धता बताते हुए कोई पुरूष भी जो काम करने से कतराता है, उसे अपनी कांधों पर लेकर निश्चित ही नारी शक्ति को जाग्रत किया है। वैसे भी जब कोई क्षत-विक्षत लाश को देखता है तो उसकी रूह कांप जाती है। किसी भी की रोंगटे खड़े हो जाते हैं, मगर फूलबाई ने हिम्मत के साथ दिलेरी भी दिखाई और पोस्टमार्टम करने लगीं। दूसरी ओर एक सामान्य व्यक्ति भी लाश देखते ही नाक-भौंह सिकोड़ने लगता है। ऐसी स्थिति में फूलबाई का सख्त निर्णय भी तारीफ के काबिल है।
सन् 1985 में काम की तलाश करते हुए फूलबाई, अपने एक बेटे व छह बेटियों के साथ मालखरौदा आई, क्योंकि इतने बड़े परिवार को पालने की जो सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी। फूलबाई का पति चरणलाल मजदूर है, जिससे इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि इतने बड़े परिवार की आवश्वकताओं की पूर्ति की जा सके। लिहाजा फूलबाई को भी चारदीवारी से बाहर निकलकर काम तलाशनी पड़ी। आर्थिक परेशानियों से जुझने वाली फूलबाई को कुछ दिनों में ही मालखरौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में स्वीपर की नौकरी मिल गई और इस तरह उसकी परिवार की गाड़ी जैसे-तैसे दौड़ने लगी। कुछ दिनों बाद फूलबाई, अस्पताल में पोस्टमार्टम करने वाले स्वीपर ‘महादेव’ का सहयोग करने लगी और कुछ महीनों में उसने भी पीएम करने महारथ हासिल की ली। इस तरह फूलबाई की हिम्मत को देखकर अस्पताल के डाक्टर भी हैरत में पड़ गए और डॉक्टरों ने उससे पोस्टमार्टम का काम लेना शुरू कर दिया।
दिलचस्प बात यह है कि फूलबाई ने हत्या की घटना वाले शव को अकेली ही पहली बार पोस्टमार्टम किया। फूलबाई कहती हैं कि इस दौरान थोड़ी घबराहट हुई, क्योंकि इससे पहले वे पीएम साथ में किया करती थी, मगर इस बार उसे अकेले इस काम को अंजाम तक पहुंचाना पड़ा। वह बताती हैं कि उसकी चार बेटियों का विवाह हो चुका है और परिवार में पति समेत दो बेटियों व एक बेटे के साथ गुजारा करती हैं। देखा जाए तो इतने बड़े परिवार को किसी भी सूरत में एक मजदूर होकर चरणलाल (फूलबाई के पति ) किसी भी सूरत में नहीं चला पाता, मगर नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति ‘फूलबाई’ के अथक प्रयास व परिश्रम से परिवार की आर्थिक हालत पहले से बेहतर हो गई और उसने अपने पति का साथ हर राह पर बखूबी दिया। वह पोस्टमार्टम जहां बेधड़क करती हैं, वहीं शव के चीरफाड़ में उसके हाथ भी नहीं कांपते। इस बात को कई तरह से अहम मानी जा सकती है।
फूलबाई बताती हैं कि मालखरौदा व डभरा क्षेत्र के शवों का उसे पोस्टमार्टम करना पड़ता है, इसमें डाक्टरों का भी पूरा सहयोग मिलता है और जैसे ही कोई घटना के बाद अस्पताल में शव आता है, उसके बाद उसकी खोज-खबर शुरू हो जाती है। डॉक्टर भी उसकी ऐसे काम की भुरी-भुरी प्रशंसा करते हैं, क्योंकि फूलबाई को जैसे ही पोस्टमार्टम करने की सूचना मिलती है, वह बिना किसी लाग-लपेट के सहसा चली आती हैं।
मालखरौदा के बीएमओ डा. आरपी कुर्रे कहते हैं कि फूलबाई को पीएम का अच्छा अनुभव हो गया है और वह किसी सुलझे की तरह पोस्टमार्टम करती हैं। इधर समाजशास्त्री भी फूलबाई द्वारा पोस्टमार्टम जैसे कार्य किए जाने को नारी सशक्तीकरण से जोड़कर देखते हैं, उनका कहना है कि निश्चित हीऐसा कोई काम नहीं है, जो आज महिलाएं नहीं कर सकतीं। पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की समाज में यह भागीदारी काफी मायने रखती है।
अंत में, एक महत्वपूर्ण बात, जिले ही नहीं वरन्, प्रदेश में ‘स्वीपर’ की कमी है और इस समस्या से तब दिक्कतें होती हैं, जब शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। कई बार देखने में आ चुका है कि महज स्वीपर की कमी या फिर उसके नहीं आने से शव का दूसरे दिन पोस्टमार्टम हो पाता है। इस मामले को भी छत्तीसगढ़ सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए और नारी शक्ति के लिए मिसाल बनी ‘फूलबाई’ को सम्मानित भी किया जाना चाहिए। इससे उन महिलाओं का मनोबल बढ़ेगा, जो खुद को दबे-कुचले समझ कर आगे बढ़ने की सोच को मन में रख लेती हैं और बंद कमरे में जिंदगी जी कर बेनाम रूखसत हो जाती हैं।
Posted by jindaginama 1 comments
एक मजबूत आस्ट्रेलियन प्रधान मंत्री की देश विरोधियों को ललकार . पढ़ओ और सीखो
निचे लिखा ब्लॉग इंग्लिश में है,
बहुत आसान इंग्लिश में,
फिर भी चूँकि यह ब्लॉग की भाषा हिंदी है, इसलिए पूरा पढ़ने वालों को मेरे ब्लॉग के लिंक में जाना चाहिए जो कि शीर्षक पर क्लिक करने से खुल जायेगा
केवल कुछ फोटो , पंक्तिया इस ब्लॉग पर छोड़ रहा हूं . .
a leadership with honest thinking can be so bold as the australian prime-minister - ms julia gilliard. a lot of salutes to her and her nation.
this post is a lesson to india
growth of muslim population in the world is very clearly shown in this video link :
http://www.youtube.com/watch?v=6-3X5hIFXYU
कब तक अपने को धोखा देकर नकली सेकुलर बने रहेंगे .
जय श्री राम
Posted by https://worldisahome.blogspot.com 0 comments
अलसी का पॉवर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन
http://flaxindia.blogspot.com/
Posted by Shri Sitaram Rasoi 0 comments
अन्ना के सवार
* अन्ना बाबा को
कहीं मार न डाले
लोकपालिका !
## [हाइकु ]
* समय तो अवश्य ही व्यस्तता का है ,होना ही चाहिए प्रगति के लिए | वक्त आपाधापी का भी है | लेकिन उस अनुपात में समय की कीमत भी समझी जा रही है , इसमें मुझे संदेह है | एक टेम्पो में छः सवारियां बैठती हैं | कोई बीच में उतरता है , बड़े आराम से सभी जेबें टटोलता है ,पर्स के सारे खाने तलाशता है | फिर एक जेब से दो रूपये ,दूसरी से दो रूपये और ऊपर कमीज़ की जेब से एक रुपया , कुल पाँच रूपये ड्राइवर को देता है | इस दौरान शेष सात सवारियों का कितना समय बर्बाद होता है उसे इसकी कोई फ़िक्र नहीं होती | जब कि यह टटोलना गाडी रुकवाने से कुछ पहले भी बैठे - बैठे भी किया जा सकता है | तब तो कुछ और टटोलते हैं | और कहीं यदि कोई नारी सवारी उतरी तो गज़ब ही समझिये | उसका नाटकीय चित्रण बड़ा मनोरंजक हो सकता है दर्शकों के लिए | सहयात्रियों के लिए तो वह समय खाऊ ही होता है | पहले उतरेंगी ,फिर बड़ा बैग खोलेंगी | सारे खाने दूंध कार एक छोटा पर्स निकालेंगी | उसके सारे चेन चलाएंगी, पर कोई पैसा नहीं निकलेगा | निकलेगा तभी जब हाथ ब्लाउज के अन्दर जायगा |
यह तो सवारियों का हाल है जब वे छः हों | विक्रम टेम्पो ड्राइवर को यह मंजूर नहीं | उसे चार + चार + तीन सवारियां पूरी होनी चाहिए , तभी वह गाडी हांकेगा | आप को देर हो रही है तो आप चिल्लाते रहिये | बैठाने का गुन भी उसे मालूम है | बहन जी , आप पीछे खिसकिये , भाई साहब , आप आगे होकर बैठिये | और इस तरह इस तरह एक का पुट्ठा दूसरे की जांघ से सटा कर तीन की सीट पर चार सवारियां फिट कर देता है |
इस भ्रष्टाचार पर न राम देवता बोलेंगे , न किरन देवी और उनकी अन्ना -टीम ,न अति उत्साही बालक केजरीवाल , न घुटे हुए वकील भूषण बाप -बेटे | उन्हें तो सारा भ्रष्टाचार केवल पी एम की कुर्सी में नज़र आता है | मुझे कुछ अतिरिक्त नज़र आता है तो मैं टपर - टपर बोलता हूँ | तूती की आवाज़ की तरह | ##
Posted by Ugra Nagrik 1 comments
Labels: Citizens' blog
राहुल बाबा की शादी ------ हिना रब्बानी खार
हमने कही भाई कैटरीना कैफ़ सही रहेंगी, शर्मा जी सोच मे पड़ गये कहने लगे है तो बड़ी सुंदर पर वो तो फ़िल्मी कलाकार है । हमने कहा भाई वो एक दम सूट करेगी आपका बाबा आधा भारतीय वो आधी भारतीय दोनो मिलकर पूरे भारतीय बन जायेंगे । शर्मा जी फ़िर भड़क गये कहने लगे यार दवे जी मजा लेना है तो मै चला वरना बात गंभीर चिंतन की है गंभीरता से लो । हमने सर खुजाया भाई हिंदू या मुस्लिम लड़की कैंसल शर्मा जी अचकचाये फ़िर तो नब्बे फ़ीसदी लड़कियां कम हो जायेंगी । हमने कहा भाई बाबा हिंदू लड़की से शादी तो मुस्लिम साथ छोड़ देंगे मुस्लिम से करेगा तो हिंदू वोट बैंक खसक जायेगा । शर्मा जी ने सर हिलाया बोले सिख लड़की कैसी रहेगी हमने मेनका गांधी जिंदाबाद का नारा लगा दिया शर्मा जी ने तड़ से विषय बदल लिया । बोले गुरू मैने ट्रंप कार्ड खोज लिया है दलित लड़की से करवा देता हूं । हमने कहां मियां दलित घरों मे सोने की नौटंकी अलग बात है शादी कर पायेगा तुम्हारा बाबा अनपढ़ गरीब लड़की से । शर्मा जी भड़क गये बोले क्या बेकार की बात है दलितो मे पढ़े लिखे लोग नही है क्या कई दलित उंचे पदो पर बैठे है उनमे से किसी की सुंदर सी लड़की से करवा देंगे ।
पूरा पढ़ने के लिये अष्टावक्र
Posted by Arunesh c dave 1 comments
मन्नू ------- राजा बोला अब तेरा क्या होगा
सोहन शर्मा उर्फ़ कांग्रेसी ने नुक्कड़ मे घोषणा की खामखा तुम तोग स्विस
बैंक का नाम भजते रहते थे वहां तो सिर्फ़ ग्यारह हजार करोड़ का कालाधन जमा
है । हमने तुरंत शर्मा जी को प्रणाम कर कहा मान गये आपको स्विस सरकार से
भी अपने प्रवक्ता टाईप बयान दिलवा दिया । खैर उन की भी मजबूरी है भारत का
बॊस लाख करोड़ से ज्यादा का काला धन वहां से निकल गया तो बेचारे भिखारी
नही हो जायेंगे । शर्मा जी भड़क गये बोले क्यों जनता को भड़काते हो दवे जी
मनगढ़ंत आकड़ो से क्या सबूत है तुम्हारे पास । हमने कहा भाई राजा खुद ही
सामने है आप ही की सरकार ने एक लाख अस्सी हजार करोड़ के घोटाले मे बंद
किया है उसको । फ़िर भारत तो ऐसे राजाओं का देश ही रहा है ये तो सिर्फ़
राजा है यहां तुम्हारी मम्मी से लेकर चिद्दीबम तक अनेको महाराजा भी हैं ।
और मन्नू तो है ही राजा ने खुला बोला है अदालत मे कि मन्नू को भी मालूम
था वह भी शामिल था ।
शर्मा जी ने तुरंत श्रद्धा से सिर नवाते हुये कहा आदरणीय मन्नू जी पर
लांछन लगाना सूरज पर थूकने के समान है । हमने कहा "भाईयों कल से रेनकोट
पहन कर आना" आसिफ़ भाई ने हैरानी से पूछा क्यों भाई! तो हमने कहा पूरा देश
इनके सूरज उर्फ़ मन्नू पर थूक रहा है सूरज तक तो पहुंचेगा नही हमारे उपर
ही न गिर जाये । पूरा नुक्कड़ ठहाके लगाने लगा तो गुस्साये शर्मा जी बोले
आप लोग एक अपराधी की बातो पर मन्नू पर आरोप लगा रहे हो । हमने कहा यह जो
आपको आज अपराधी लग रहा है कल तक आप ही को ईमानदार नजर आ रहा था । जैसे
कपिल बाबू पहले छाती ठोक एक रूपये का भी घोटाला नही हुआ कह रहे थे आज आप
मन्नू को वैसे ही निर्दोष बता रहे हो । कल इसका मामला भी सामने आयेगा तो
कहोगे हमारी प्यारी मम्मी पर जो आरोप मन्नू लगा रहा है वह गलत है ।
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