१ - लगे हाथ अन्ना हजारे टीम उसी चांदनी चौक में यह जनमत संग्रह भी करा लें कि कितनी प्रतिशत जनता उन्हें अपना सिविल प्रतिनिधि मानती है | और हाँ , अब तो अन्ना को कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव जीतने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए | ##
२ - अन्ना जी , दस करोड़ क्यों लगेंगें आपके चुनाव में भला ? फिर अन्य में और आप में क्या अंतर रह जायगा ? और यदि आप जानते हैं हैं कि इतना पैसा लगता है , तो यह क्यों लगता है , इस प्रश्न पर आपने क्यों नहीं सोचा ? यदि इसी मुद्दे पर आप काम करते तो देश का कुछ पक्का काम हो जाता बनिस्बत उसके जो आप कार रहे हैं , या जो आपसे कराया जा रहा है | ##
३ - आप दस दिन बिना खाए रह सकते हैं तो क्या इस आधार पर कोई जिद करेंगें ? आप पांच लोग प्रधान मंत्री और न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाना चाहते हैं , तो दस लोग मानते हैं कि ऐसा करना गलत होगा | फिर आप अनशन करके अपनी ही बात देश को मनवाने पर क्यों तुले हैं ? क्या यह जिद अनुचित नहीं है ? मामला संसद में है ,और आप संसद की तौहीन कर रहे हैं | दुःख है की आप जानते ही नहीं की आप क्या कर रहे हैं | आप लगातार अपनी समझ में नहीं ,दूसरों के उकसावे में हैं | तिस पर भी यदि आप जिद करते हैं तो आप ख़ुशी से जान दे दीजिये | यह देश के हित में ज्यादा होगा | आप ही नहीं , आपके साथ भीड़ भी नहीं समझती कि आप देश के लिए कितना घातक आन्दोलन कर रहे हैं जो लोकतंत्र के खिलाफ है , आज़ादी का नाशक है , और गुलामी का दिशा निर्देशक | उलटी बात यह है कि अभी आप और देश एश यह समझ रहा है कि आप आज़ादी के लिए लड़ रहे हैं | जब संसद और संसद की गरिमा समाप्त हो जायगी ,और आप की पूँछ पर पाँव धरकर कोई बदमाश भारत का लोक - अध्यक्ष बन जायगा तब समझ में आएगा ,आपने कितना नुकसान किया देश का ! आप की टीम अलोकतांत्रिक अक्ल की है | और जो आप यह समझते हैं कि देश में केवल आप पांच ईमानदार हैं ,शेष सब बे ईमान , तो यह सोच गलत है | फिर भी यदि ऐसा है तो लोकतंत्र में तो बे ईमानों की ही चलेगी | यहाँ आपकी सात्विक तानाशाही नहीं चलेगी | गुस्ताखी मुआफ | ##
४ - इसे विडम्बना ही तो कहेंगे , या कोई छद्म किगाँधी के अनुयायी अब भगत सिंह , चन्द्र शेखर आज़ाद , सुभाष चन्द्र बोस बन ने की होड़ में हैं | ##
५ - एक शातिर दिमाग अरविन्द केजरीवाल को तो लगता है पक्का भ्रम हो गया है कि भारत के प्रथम जन लोक पाल वही बनेंगे , और वह देश से भ्रष्टाचार भगा देंगें | बड़ी मशक्कत कर रहा है बेचारा | अब इस महत्वाकांछा के आगे भला कलक्टरी की नौकरी कैसे पसंद आती ? ##
६ - पूछने पर श्रीमान जी कहते हैं की कितना समय लगा सरकार को अपने आरोपित मंत्रियों के खिलाफ कार्यवाही करने में | इसका श्रेय उन्होंने सरकार के बजाय सुप्रीम कोर्ट को दिया | वे सुप्रीम कोर्ट से ज़रा पूछें की उसके पास कितने मामले कितने दिनों से लंबित हैं ? ##
७ - लोकपाल भी कोई कार्यवाही तभी तो कर पायेगा जब उसके पास कोई सूचना , शिकायत पहुंचेगी ? यदि भ्रष्टाचारी ऐसा आपस में प्रबंधन कर लें कि सब काम अन्दर अन्दर हो जाय , जैसा अभी हो रहा है , और उन तक पौंचे ही नहीं | तो क्या कर लेगा लोकपाल भी , जैसा कि अभी ही लोकायुक्त एवं अन्य एजेंसियां नहीं कर पा रही हैं | ##
८ - देखने वालों ने देखा होगा कि 'लगे रहो मुन्ना भाई ' देश के मानस पर अन्ना के आन्दोलन से ज्यादा कारगर हुआ था | ##
९ - सभ्य समाज लोकतान्त्रिक सरकारों के खिलाफ साज़िश नहीं किया करते | ##
१० - निष्कर्ष = यदि यह मान लिया आय कि यह राजनीतिक भ्रष्टाचार का युग है | दूसरी ओर यह ध्यान दिया जाय कि दलितों की आर्थिक स्थिति सबसे ख़राब है | तो हमें समग्रतः यह जिद बनानी , अपनानी चाहिए अन्ना की तरह कि फिर अब तो हम केवल दलितों को ही राजनीतिक सत्ता में जाने देंगें | नेत्र बंद करके केवल दलित उम्मीदवार को ही वोट देकर विधायक -सांसद बनायेंगे जिस से यदि वे भ्रष्टाचार भी करे तो उनकी आर्थिक दशा सुधरे , और वे मोद पायें | है न उम्दा बात और बेहतरीन प्रस्ताव ? ##
15.8.11
अन्ना से ज्यादा तो मुन्ना कारगर
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7 comments:
आपने हिम्मत तो दिखाई, मगर आज का दौर ऐसा है कि जो भी अन्ना में बुराई देखेगा, उसे ही देशद्रोही करार दे दिया जाएगा
असली देशप्रेमी तो केवल अन्ना और उनके समर्थक हैं, बाकी सब देशद्रोही
असली देशप्रेमी तो केवल अन्ना और उनके समर्थक हैं, बाकी सब देशद्रोही
एसी ही जिद गाँधी ने पकिस्तान के समर्थन में अनशन करके की थी ,
ये तो भला हो गोडसे का जो उन्हें शहीद बना दिया , वर्ना अन्ना से भी बुरा हाल होता.
Apke vichar parhe | Thanks
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Mana ki Anna galat hai mana ki keval bhrasht neta hi sahi hote hai agar janta koi aadmi janta ki baat kare to wo galat aap sab budhijeevi nahi jante ki desh mein neta mantri kaise bante sarkar kaise bante hai kya koi ek bhi shaksh poori imandari ke saat ke saath kah sakta hai ki usne kabhi bhrashtachari nahi kiya sab kahi na kahi chupe huie bhrasht hain per hum koshis karte hain wahi dikhane ki jo hum nahi hote hai mera khud ka sarkari tantre se 25 saal ka nikattam sambandh raha hai our maine ye mahsoosh kiya hai sabhi bhrashtachar ke oxygen lekar hi apna kaam chala rahe hain ......
Main vivad nahi karta ,kewal apni baat kahta hun.Ydi sachmuch hi itni avishvasneey ho chali hain sarkaren ,to kya yeh uchit hoga ki bharat ka shasan kisi PSU [private sector unit]ko saunp diya jaay, ya ise PPP [private public partnership]ke zariye chalaya jaye, ya kisi videshi manager ko theke par de diya jaaye?
Doosre , ydi bharat rajya ko daliton [Hindu]ko nahi diye jane ki peshkash ke gayi ,to rajya Hindu rajya to nahi hi ban payega , yeh islamic state zaroor ban jaayega . Is prastav par gusse me nahi balki swarth chintan chhodkar desh hit mein shantipoorvak vichar karne ki zaroorat hai ,khaskar unko jinhe rashtra ki gahri chinta ho aur jo rajneeti ko tarkik evam poetic tareeke se sochna jaante hon |##
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