आते जाते मैं अक्सर उस दुकान पर ठिठक जाता हूँ और उसमे सजाई चीजों को बड़ी हसरत से देखा करता हूँ. ये दुकान हैं सपनो की, काफी गहमा-गहमी का माहौल होता हैं पर मेरी निगाहें सीधे अपने सपनों पर ही जाकर टिक जाती हैं. हर बार मन करता हैं कि उनमें से कोई सपना साथ ले लू, लेकिन मजबूरी हैं की मैं चाह कर भी कुछ नहीं खरीद पता हूँ. मैं ही क्यों वहां आने वाला कोई भी व्यक्ति आसानी से कुछ भी नहीं खरीद पाता हैं क्योंकि अपना एक सपना खरीदने के लिए कम से कम दो सपने बेचने पड़ेंगे और मुझे तो बहुत सारे सपने खरीदने हैं, कुछ अपने लिए और कुछ अपनों के लिए. लेकिन इन सपनो की कीमत चुकाना मेरे बस में नहीं रहा. अब बस यही कशमकश में जी रहा हु आजकल की कैसे अपने और अपनों के सपनो को पूरा किया जाये और किन सपनो की क़ुरबानी दी जाये और किन्हें साकार करा जाए.....
आखिर इन सपनो पर भी महंगाई का असर हो ही गया, कई सपने अपने पापा के लिए देखे थे, कई सपने अपनी बेटी के लिए देखे थे, कई सपने अपनी माँ के लिए देखे थे, और कई सपने अपने लिए भी सजाये थे पर लगता हैं इन सपनो को पूरा करने में कितने सपने ही टूटेंगे और फिर मैं भ्रम रूपी आयाम से बहार निकल वास्तविकता का सामना करूँगा और निराशा का एक डर जो अभी सता रहा हैं, का सामना जल्द ही करूँगा अगर जल्द ही हमारे हुक्मरानों ने कुछ नहीं किया तो, कितने ही आम लोगो को अपने सपनो से समझौता करना पड़ेगा !!!!!!!
जय हो भारत सरकार की जिन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने ही स्वार्थ रूपी सपनो की पड़ी है आम आदमी के सपनो की कोई कदर नहीं, भाड़ में जाये आम आदमी के सपने.............
via : My Thought & My Life
5 comments:
Very true....
आपने एक सच लिखा हैं बहुत खूब अति सुन्दर
क्या खूब कहा संध्या जी आपने
भाड़ में जाये आम आदमी के सपने
नहीं बल्कि भाड़ मे जाय सरकार हमी बनाते सरकार खुद म खुद नहीं बनती संध्या शर्मा जी इसलिए सरकार को दोस देने से पहले हम खुद को समझे तो कितना अच्छा होगा
हम हिन्दुस्तानियो के सपने कुछ हिंदी फिल्मो के जैसे ही होते हैं जैसे हमारी फिल्मो के एंड तक वीर जारा को मिल ही जाता हैं ठीक वैसे ही आपके सपने भी पुरे हो ही जायेंगे ये मै नहीं कहता हमारी हिंदी फिल्मे कहती हैं
जरुर हिंदी फिल्मे देखे और अपने सपनो
के साकार होने का इन्तजार करे
जरुर पुरे होंगे जरुर कोई नहीं रोक सकता उन्हें
क्या करू संध्या जी मै सपना वही देखता हूँ जिसे कोई तोड़ न सके ?
प्रदीप गुप्ता
http://pradeepnoida1.jagranjunction.com/
jor ka jhatka vah amar singh ko laga
amar sing haija phailane wala makkha ,jaha udake jata mahamari hai phailta udate -udate gaya ambani pariwar choda aaya phoot kaa haija udate udate gaya pariwar ki sanstha me adhikari pariwarigada ko kiya darkinar swa swarthlabh ka rajyog ka phaila liya kala daag swarth labh ka hai ye sardar.
aaj blost jiasi ghatna se phir se desh dahal gaya hai videshiyo ke dil me deshwashiyo ke marane ka kaya dard kisi ka pariwar anath ho jaye isse vartman sarkar ko kaya phark padta hai
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