http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/article1-story-57-62-196222.html
शशि शेखर जी , लिखा आपने अच्छा है , प़र अख़बार के एक कोने में
लिखने मात्र से यह दुनिया बदलेगी नहीं , दुनिया को बदलने के लिए
बहुत कुछ करना पड़ेगा , जो आप चाह कर भी नहीं कर पाएंगे , इसे आप
भी अच्छी तरह समझतें हैं
प़र आप अपने पाठकों को सच बता नहीं सकते , क्यूंकि "शशि शेखर "
एक मजबूर इन्सान है , इसलिए नहीं शशि शेखर कमज़ोर दिमाग का
मालिक है बल्कि इस लिए कि वह इस अख़बार के एक वेतनभोगी
नौकर है , मालिक नहीं .
हाँ आप अपने पाठकों को कुछ समय तक भुलावे में ज़रूर रख सकते है
आप में बहुत कुछ करने का माद्दा है , प़र यह सब आप का दिखावा मात्र
है .
कब तक आप इस तरह का छलावा करते रहेंगे ?
इस दुनिया को बदल जाना चाहिए
शशि शेखर
लिखने मात्र से यह दुनिया बदलेगी नहीं , दुनिया को बदलने के लिए
बहुत कुछ करना पड़ेगा , जो आप चाह कर भी नहीं कर पाएंगे , इसे आप
भी अच्छी तरह समझतें हैं
प़र आप अपने पाठकों को सच बता नहीं सकते , क्यूंकि "शशि शेखर "
एक मजबूर इन्सान है , इसलिए नहीं शशि शेखर कमज़ोर दिमाग का
मालिक है बल्कि इस लिए कि वह इस अख़बार के एक वेतनभोगी
नौकर है , मालिक नहीं .
हाँ आप अपने पाठकों को कुछ समय तक भुलावे में ज़रूर रख सकते है
आप में बहुत कुछ करने का माद्दा है , प़र यह सब आप का दिखावा मात्र
है .
कब तक आप इस तरह का छलावा करते रहेंगे ?
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