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4.11.11

कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,



कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,

सामने वाले को कुछ ना जानु मैं ,

कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,
हो जाने दो तक्कदीरो से टक्कर मेरी ,
इस क़दर बेखबर चलुं मैं
यूं कब तक दिल में समेटे खव्वाब़ चलु मैं
सब से ना सही ना मिलुं मैं
बस एक मरदफ़ा खुद से मुलाक़ात करु मैं ,

कुछ तो गुब्बार लिए दिल में चलु मैं ,

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