शहीद हरविंदर सिंह जिंदाबाद shahid harvinder singh jindaabaad
में हरविंदर सिंह की इस कोशिश का भरपूर समर्थन करता हूँ.
मैंने युवा लोगों से इस विषय में विचार लिए . वो भी बहुत खुश थे .
यदि सरकार रामलीला मैदान में सोते लोगों पर लाठी प्रहार से जनता को मार सकती है, लोगों की (राजबाला की ) हत्या कर सकती है, तो क्या एक जनता का आदमी सरकारी आदमी को थप्पड़ भी नहीं मार सकता
अन्ना जैसे आदमी को बिना बात कैद कर सकते हैं..
शुरुआत सरकार ने की है .
अफ़सोस की विपक्षी दल भी विरोध कर रहे हैं , क्योंकि वे भी इसी भ्रष्टाचारी व्यवस्था का हिस्सा हैं.
मेरे विचार से इन नेताओं को जिन्होंने जनता को लाठी से , व भूख से , प्यास से मारा हुआ है, उनको लाइन से खरा करके मीडिया के सामने जुटे लगाने चाहिए .
2 comments:
You have some interesting thoughts! Perhaps we should consider about trying this myself.
From everything is canvas
कुछ लोग शरद पवार को थप्पड मारने वाले को शाबाशी दे रहे हैं, खुल कर पर नाज जाहिर कर रहे हैं, माना कि जो कुछ हो रहा है वह जाहिर तौर पर जन आक्रोश ही हे, वह सब वक्त की नजाकत है, उसके लिए पूरा सिस्टम जिम्मेदार है, मगर ऐसी हरकतों का समर्थन करके आज भले ही गौरवान्वित हो लें, मगर कल हम अराजकता के लिए तैयार रहें, अचरज तो तब होता है जब अपने आपको गांधीवादी कहने वाले अन्ना हजारे भी यह कह कर अराजकता का समर्थन कर रहे हैं कि बस एक ही थप्पड, यदि यह सही है तो हमको पाकिस्तान जैसी सैनिक क्रांति या मिस्र जैसी क्रांति के लिए तैयार रहना चाहिए
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