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16.11.11

अलसी वंदना



अलसी वंदना

 

आरती  अलसी  मैया   की

शशिधर रूप  दुलारी की ।।

 स्वास्थ्य की  देवी कहलाती

 भक्त  की  पीड़ा  हर लेती

 मोक्ष  के द्वार खोल  देती 

शत्रु  हो  त्रस्त

रोग हो  ध्वस्त

देह हो  स्वस्थ

दयामयी  अनुरागिनी  की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

त्वचा में लाये   कोमलता

कनक  जैसी  हो सुन्दरता

छलकता यौवन का सोता

वदन  में  दमक

केश  में  चमक

बदन  में  महक

मोहिनी  नील कुमारी की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

तुम्हीं हो  करुणा का सागर

कृपा से भर दो   तुम गागर

धन्य हो  जाऊँ   मैं  पाकर

तू देती  शक्ति

करूँ  मैं भक्ति

दिला दे मुक्ति

उज्ज्वला  मनोहारिणी की

शशिधर रूप दुलारी की ।।

ज्ञान और  बुद्धि  का वर दो

                                                                                          तेज और प्रतिभा  से भर दो

ओम को  दिव्य चक्षु  दे दो

न जाऊं भटक

बिछाऊं पलक

दिखादे झलक

रुद्र प्रिय  मतिवाहिनी  की

शशिधर  रूप दुलारी की ।।

क्रोध  मद आलस को हरती 

हृदय को  खुशियों से भरती 

चिरायु   भक्तों  को करती

मची  है धूम

मन रहा घूम

भक्त रहे झूम

स्कंद मां   पालनहारी  की

शशिधर रूप  दुलारी की ।।

5 comments:

Shri Sitaram Rasoi said...

अंबाला की एक वृद्धा को भोजन नली में कैंसर था। सबने जवाब दे दिया था। पानी भी मुश्किल से पी पाती थी। बडविग उपचार लेने से आज 2-3 महीने बाद खाना खा पा रही है।
वाह अलसी वाह बडविग

Shri Sitaram Rasoi said...

अंबाला की एक वृद्धा को भोजन नली में कैंसर था। सबने जवाब दे दिया था। पानी भी मुश्किल से पी पाती थी। बडविग उपचार लेने से आज 2-3 महीने बाद खाना खा पा रही है।
वाह अलसी वाह बडविग

Shri Sitaram Rasoi said...

अंबाला की एक वृद्धा को भोजन नली में कैंसर था। सबने जवाब दे दिया था। पानी भी मुश्किल से पी पाती थी। बडविग उपचार लेने से आज 2-3 महीने बाद खाना खा पा रही है।
वाह अलसी वाह बडविग

S.N SHUKLA said...

सार्थक प्रस्तुति, आभार.

S.N SHUKLA said...

सार्थक प्रस्तुति, आभार.