[कविता ]
* वही लिजलिजा मांस
वही कठोर हड्डी
माँ की , पत्नी की , प्रेमिका की
किस तो शरीर से प्यार करूँ !
फिर भी प्यार करना तो है
माँ से , पत्नी से , भाई - बहनों से
प्रेमिका से भी ।
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9.1.12
प्रेमिका
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2 comments:
Umda..
बेहद ख़ूबसूरत एवं उम्दा रचना ! बधाई !
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