नींद टूटी तो हमेशा की तरह अपनी आदत के मुताबिक न्यूज़ चैनलों का दीदार शुरू कर दिया। अरे ई का!! जहां देखो पीएम से अछईया (अक्षय) वाला इंटरव्यू चल रहा था। ज़ी न्यूज़, आज तक, एबीपी न्यूज़, डीडी न्यूज़, रिपब्लिक भारत और फलाना ढिकाना सारे चैनलों पर इनका ही इंटरव्यू चल रहा था, वह भी नॉनस्टॉप! बोले तो बिना ब्रेक के!
खैर इहां तक तो बात ठीक है लेकिन गजब तो ई ढाया कि इंटरव्यू एक फिल्मी सितारा ले रहा था। हां भाई हां, चौकीदार का इंटरव्यू एक खिलाड़ी ले रहा था। अक्षय जी फिल्मों में तो आपकी डिमांड अभी भी बनी हुई है फिर आखिर किस वजह से आप पत्रकारों की रोटी छिनने आ गए।
2014 में पीएम बनने के बाद मोदी अपने आकस्मिक फैसलों व चौका देने वाली गतिविधियों के माध्यम से अक्सर लोगों को अलग सोचने को विवश करते आए हैं। चाहे वह नोटबंदी कि घोषणा हो, जीएसटी हो, या फिर सर्जिकल स्ट्राइक्स।
माना जा रहा है कि ANI द्वारा आयोजित इस प्रायोजित इंटरव्यू या यूँ कहें एडवरटोरियल का मकसद एक तीर से दो शिकार है। पहला, देश भर में अक्षय के करोड़ों फैंस है। निश्चित तौर पर मोदी जी को इसका बड़ा फायदा होगा। बेशक अक्षय को भी करोड़ों नए फैंस मिल जाएंगे। दूसरा इस वायरल इंटरव्यू के माध्यम से उन अनुत्तरित सवालों का भी जवाब दिया गया है जो मोदीजी कहना तो चाहते थे किंतु पूछे ना जाने पर कभी कह नहीं सके थे। इंटरव्यू का टारगेट ऑडिएंस युवा है सो इसे गैर राजनीतिक रखा गया।
चुनाव के मौकों पर राजनेताओं के मीडिया मैनेजमेंट के ये नए पैंतरे हैं, पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी श्री मोदी जी ने सलमान के साथ पतंगबाजी करके कईयों के पतंग काटे थे। इस बार अक्षय के साथ हैं।
दरअसल भारत की तमाम राजनीतिक पार्टियां बॉलीवुड को एक 'मिडास टच' के रूप में देखती है जिस बॉलीवुड से देश की एक बड़ी युवा आबादी प्रभावित है उसे खुद से जोड़कर पार्टियां हमेशा से फायदा उठाती आई है। हैरानी की बात यह है कि इस इंटरव्यू को तमाम चैनलों ने देखा तो जरूर परंतु बगैर किसी समीक्षा के, बगैर किसी टिप्पणी के! अब कोई एडवर्टोरियल पर क्या बोले!!
-नीरज प्रसाद (छात्र)
(पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग)
विनोबा भावे विश्वविद्यालय, झारखंड
neerajprasad555@gmail.com
खैर इहां तक तो बात ठीक है लेकिन गजब तो ई ढाया कि इंटरव्यू एक फिल्मी सितारा ले रहा था। हां भाई हां, चौकीदार का इंटरव्यू एक खिलाड़ी ले रहा था। अक्षय जी फिल्मों में तो आपकी डिमांड अभी भी बनी हुई है फिर आखिर किस वजह से आप पत्रकारों की रोटी छिनने आ गए।
2014 में पीएम बनने के बाद मोदी अपने आकस्मिक फैसलों व चौका देने वाली गतिविधियों के माध्यम से अक्सर लोगों को अलग सोचने को विवश करते आए हैं। चाहे वह नोटबंदी कि घोषणा हो, जीएसटी हो, या फिर सर्जिकल स्ट्राइक्स।
माना जा रहा है कि ANI द्वारा आयोजित इस प्रायोजित इंटरव्यू या यूँ कहें एडवरटोरियल का मकसद एक तीर से दो शिकार है। पहला, देश भर में अक्षय के करोड़ों फैंस है। निश्चित तौर पर मोदी जी को इसका बड़ा फायदा होगा। बेशक अक्षय को भी करोड़ों नए फैंस मिल जाएंगे। दूसरा इस वायरल इंटरव्यू के माध्यम से उन अनुत्तरित सवालों का भी जवाब दिया गया है जो मोदीजी कहना तो चाहते थे किंतु पूछे ना जाने पर कभी कह नहीं सके थे। इंटरव्यू का टारगेट ऑडिएंस युवा है सो इसे गैर राजनीतिक रखा गया।
चुनाव के मौकों पर राजनेताओं के मीडिया मैनेजमेंट के ये नए पैंतरे हैं, पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी श्री मोदी जी ने सलमान के साथ पतंगबाजी करके कईयों के पतंग काटे थे। इस बार अक्षय के साथ हैं।
दरअसल भारत की तमाम राजनीतिक पार्टियां बॉलीवुड को एक 'मिडास टच' के रूप में देखती है जिस बॉलीवुड से देश की एक बड़ी युवा आबादी प्रभावित है उसे खुद से जोड़कर पार्टियां हमेशा से फायदा उठाती आई है। हैरानी की बात यह है कि इस इंटरव्यू को तमाम चैनलों ने देखा तो जरूर परंतु बगैर किसी समीक्षा के, बगैर किसी टिप्पणी के! अब कोई एडवर्टोरियल पर क्या बोले!!
-नीरज प्रसाद (छात्र)
(पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग)
विनोबा भावे विश्वविद्यालय, झारखंड
neerajprasad555@gmail.com
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