अज़ीज़ाने गिरामी-ए-मिल्लत एहले सुन्नत वल जमात अस्सलामोलेकुम...2010,2012 याद है या भूल गए.? जिस दौरान शर पसन्द ताकतों ने शहर की फ़िज़ा में ज़हर घोलने का काम किया,कौमी यकजहती को पामाल किया और बरेली जैसा अमन का पैरोकार शहर कर्फ्यू की ज़द में आगया था...याद होगा आपको रमज़ान का मुबारक महीना था! सूबे में समाजवादी सरकार की हुक़ूमत थी,मरकज़ी हुक़ूमत कांग्रेस की थी।
याद है न?
बरेली के भी एक सियासी रहनुमा सूबे में मुस्लिम वोटों पर जीत कर हुक़ूमत में आला वज़ीर बने बैठे थे...सद अफसोस!!!
सुनो मुसलमानों!जोगी नवादा,पनबढिया,रबड़ी टोला, सुभाषनगर...याद है न या ये भी याद दिलायूँ?
जिस वक्त अखिलेश हुक़ूमत ने रबड़ी टोला के इमरान को पुलिस की गोली से शहीद किया,सुभाष नगर बब्बन पुर्वा का इमरान शहीद हुया,जोगी नवादा का जाफरी भाई शहीद हुया तब सर पर कफ़न बांध कर रमज़ाम में जान हतेली पर लेकर जनाज़ों को कंधा कौन दे रहा था?
शहीदों की तदफ़ीन के लिये कफ़न और पटलो का इंतेज़ाम कर्फ्यू में हाथ जोड़-जोड़ कर लोगो से दुकान खुलवाकर कौन कर रहा था? जब मुसलमानों के घरों में चूल्हे नही जल रहे थे तब जान हतेली पर रख कर कर्फ्यू में राहत सामग्री लेकर पूरी बरेली के मोहल्लों मोहल्लों में कौन बाटता घूम रहा था? शराफ़त मियाँ हुज़ूर की खानकाह पर कर्फ्यू के दौरान फसी हामला बहनों को जान की बाज़ी लगाकर उनके घर तक कौन पहुँचा रहा था? जली हुई दुकानों के मुआवज़े और शहीद हुए लड़को के हक़ के लिये हुक़ूमत से अकेला कौन लड़ कर उनके हक़ का मुतालबा कर रहा था? कौन मस्जिदों में नमाज़ क़याम करा रहा था क्योंकि कर्फ्यू की वजह से लोग घरों से नही निकल पा रहे थे?
बरेली की कम से 50 से ज़्यदा मस्जिदों में सेहरी और अफ्तार का इंतेज़ाम कौन करा रहा था? मस्जिदों के इमाम साहब किन हालातो में रोज़े रख रहे थे उनको हौसला देने के लिये पुलिस-प्रशासन के सहयोग से रुट मार्च कौन निकलवा रहा था? बन्द रोज़गार और दुकानें कौन खुलवा रहा था? आश्रित परिवारों के लिये बरेली से लेकर लखनऊ तक मुआवज़े और सरकारी नोकरी के लिए हुक़ूमत से अकेले कौन लड़ रहा था?
सूबे में समाजवादी सरकार थी और जोगी नवादा में पुलिस के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अकेले जान पर खेल कर PAC किसने हटवाई थी? अहमद उल्लाह भाई, इफ्तेकार कुरैशी भाई अगर वाक़ई पंजतन के ग़ुलाम हो तो गवाही देना...ज़रा अल्लाह को हाज़िर नाज़िर जान कर बताओ बरेली के मुसलमानों! इस ख़ादिम ने क्या कोई कसर छोड़ी? जान की बाज़ी लगा दी आपके लिये तब कहाँ थे आपके कांग्रेसी और सामाजवादी नेता?
अरे मुझे गालियां देने से पहले निगाहों का लिहाज़ तो कर लेते...या सब लिहाज़,मोहब्बत,हया भूल गए? मेरे भाई तौसीफ भैया के लिये सऊदी हुक़ूमत से किसने पैरवी की थी? मदरसों को आतंक का अड्डा कहने वाले वसीम रिज़वी पर पूरे सूबे में उसके ख़िलाफ़ सबसे पहले किसने मोर्चा खोल कर FIR कराई थी?
चंद फेसबुक पर मुख़ालफ़त करने वालो सुन लो! जिंतनी आपकी तादाद है उससे लाख गुना ज़्यदा मेरे चाहने वाले और उनकी अज़ीम दुआएं मेरे साथ हैं...लगा लेना जितना ज़ोर लगाना हो!अगर बरेली और आंवला में 2014 के मुकाबले 5-10% ज़्यदा मुस्लिम वोट इस बार बीजेपी को नहीं पड़ा तो सियासत छोड़ दूंगा...
मुझे उम्मीद है मेरे हज़ारों,लाखो चाहने वाले मुझे मेरे मुखलीफो के सामने रुसवा नही होने देंगे...इन्शा अल्लाह!
आप सिर्फ मुझे देखिये बस और ये सोचिए कि बरेली और आंवला दोनों जगह से बीजेपी से आपका ख़ादिम डॉ हुदा लड़ रहा है"...
अरे मेरी कुर्बानियों का कुछ तो लेहाज़ करो मेरे अज़ीज़ों...
"व तो इज़्ज़ो मन्तशाओ व तो ज़िल्लो मन्तशा"...
जय-हिंद
याद है न?
बरेली के भी एक सियासी रहनुमा सूबे में मुस्लिम वोटों पर जीत कर हुक़ूमत में आला वज़ीर बने बैठे थे...सद अफसोस!!!
सुनो मुसलमानों!जोगी नवादा,पनबढिया,रबड़ी टोला, सुभाषनगर...याद है न या ये भी याद दिलायूँ?
जिस वक्त अखिलेश हुक़ूमत ने रबड़ी टोला के इमरान को पुलिस की गोली से शहीद किया,सुभाष नगर बब्बन पुर्वा का इमरान शहीद हुया,जोगी नवादा का जाफरी भाई शहीद हुया तब सर पर कफ़न बांध कर रमज़ाम में जान हतेली पर लेकर जनाज़ों को कंधा कौन दे रहा था?
शहीदों की तदफ़ीन के लिये कफ़न और पटलो का इंतेज़ाम कर्फ्यू में हाथ जोड़-जोड़ कर लोगो से दुकान खुलवाकर कौन कर रहा था? जब मुसलमानों के घरों में चूल्हे नही जल रहे थे तब जान हतेली पर रख कर कर्फ्यू में राहत सामग्री लेकर पूरी बरेली के मोहल्लों मोहल्लों में कौन बाटता घूम रहा था? शराफ़त मियाँ हुज़ूर की खानकाह पर कर्फ्यू के दौरान फसी हामला बहनों को जान की बाज़ी लगाकर उनके घर तक कौन पहुँचा रहा था? जली हुई दुकानों के मुआवज़े और शहीद हुए लड़को के हक़ के लिये हुक़ूमत से अकेला कौन लड़ कर उनके हक़ का मुतालबा कर रहा था? कौन मस्जिदों में नमाज़ क़याम करा रहा था क्योंकि कर्फ्यू की वजह से लोग घरों से नही निकल पा रहे थे?
बरेली की कम से 50 से ज़्यदा मस्जिदों में सेहरी और अफ्तार का इंतेज़ाम कौन करा रहा था? मस्जिदों के इमाम साहब किन हालातो में रोज़े रख रहे थे उनको हौसला देने के लिये पुलिस-प्रशासन के सहयोग से रुट मार्च कौन निकलवा रहा था? बन्द रोज़गार और दुकानें कौन खुलवा रहा था? आश्रित परिवारों के लिये बरेली से लेकर लखनऊ तक मुआवज़े और सरकारी नोकरी के लिए हुक़ूमत से अकेले कौन लड़ रहा था?
सूबे में समाजवादी सरकार थी और जोगी नवादा में पुलिस के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ अकेले जान पर खेल कर PAC किसने हटवाई थी? अहमद उल्लाह भाई, इफ्तेकार कुरैशी भाई अगर वाक़ई पंजतन के ग़ुलाम हो तो गवाही देना...ज़रा अल्लाह को हाज़िर नाज़िर जान कर बताओ बरेली के मुसलमानों! इस ख़ादिम ने क्या कोई कसर छोड़ी? जान की बाज़ी लगा दी आपके लिये तब कहाँ थे आपके कांग्रेसी और सामाजवादी नेता?
अरे मुझे गालियां देने से पहले निगाहों का लिहाज़ तो कर लेते...या सब लिहाज़,मोहब्बत,हया भूल गए? मेरे भाई तौसीफ भैया के लिये सऊदी हुक़ूमत से किसने पैरवी की थी? मदरसों को आतंक का अड्डा कहने वाले वसीम रिज़वी पर पूरे सूबे में उसके ख़िलाफ़ सबसे पहले किसने मोर्चा खोल कर FIR कराई थी?
चंद फेसबुक पर मुख़ालफ़त करने वालो सुन लो! जिंतनी आपकी तादाद है उससे लाख गुना ज़्यदा मेरे चाहने वाले और उनकी अज़ीम दुआएं मेरे साथ हैं...लगा लेना जितना ज़ोर लगाना हो!अगर बरेली और आंवला में 2014 के मुकाबले 5-10% ज़्यदा मुस्लिम वोट इस बार बीजेपी को नहीं पड़ा तो सियासत छोड़ दूंगा...
मुझे उम्मीद है मेरे हज़ारों,लाखो चाहने वाले मुझे मेरे मुखलीफो के सामने रुसवा नही होने देंगे...इन्शा अल्लाह!
आप सिर्फ मुझे देखिये बस और ये सोचिए कि बरेली और आंवला दोनों जगह से बीजेपी से आपका ख़ादिम डॉ हुदा लड़ रहा है"...
अरे मेरी कुर्बानियों का कुछ तो लेहाज़ करो मेरे अज़ीज़ों...
"व तो इज़्ज़ो मन्तशाओ व तो ज़िल्लो मन्तशा"...
जय-हिंद
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