Tabish Siddiqui : ISIS ने कहा है कि न्यूज़ीलैंड में मारे गए लोगों का बदला उन्होंने श्रीलंका में लिया है.. मतलब न्यूज़ीलैण्ड में किसी ईसाई ने मस्जिद में नमाज़ पढ़ रहे लोगों को मारा था तो ये दुनिया मे कहीं भी क्रिस्चियन मार के वो उसका बदला ले लेंगे. अब सवाल ये नहीं है कि ये सही है या ग़लत.. सवाल ये है कि आपको ये पसंद आया कि नहीँ?
क्यूंकि जिस तरह आपने न्यूज़ीलैंड पर पोस्ट डाली थी, इतना रोये थे आप, इतनी आफ़त मचाई थी, इतना दुःख हुआ था आपको.. उतना ही दुःख श्रीलंका पर भी हुवा आपको कि नहीं? क्या कहा?? दुःख हुआ है? मगर पोस्ट से लेकर डीपी तक मे कोई बदलाव तो दिख नहीं रहा है आपके??
न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जिस तरह से हिजाब लपेटकर आपके साथ गले मिल रही थीं और माफ़ी मांग रही थी, वैसा तो आपके पचास इस्लामिक मुल्क़ों के किसी भी बादशाह ने नहीं किया.. क्या कहा वो ईसाई मिशनरियों की तरह ही नाइटी पहनते हैं दिन भर? मगर वो किसी चर्च के आगे तो जाकर खड़े न हुवे.. और किसी से भी न कहा कि "हमाये लौंडे हैं, और लौंडों से ग़लती हो जाती है.. इसीलिए माफ़ी दई दियो"
बादशाहों को छोड़िए.. आपके किसी भी मदरसे के आलिम और मौलाना तक ने रोब पहनकर ईसाईयों को गले नहीं लगाया.. और इनकी छोड़िए.. आपने किसी चर्च के आगे जा कर फूल भी नहीं बिछाए.. और न ज़मीन पर लिखा कि "हमाये लौंडे हैं, और लौंडों से ग़लती हो जाती है.. इसीलिए माफ़ी दई दियो सरकार"
क्या हुवा हंसी आ रही है आपको??
माफ़ कीजियेगा.. मुझे आपके दोगलेपन और दोगले मज़हबी फ़लसफ़े पर ऐसे ही हंसी आती है.. मगर तब आप गुस्सा हो जाते हैं और कहते हैं कि मैं आपके आदिम युगीन हिंसक अरबी जज़्बात की क़द्र नहीं करता हूँ
आपके जज़्बात क्या किसी क़द्र के लायक़ हैं??
सोशल मीडिया के चर्चित लेखक ताबिश की एफबी वॉल से.
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