नगर निगम की सुनो कहानी, शहर हो गया पानी-पानी। कभी बहे बारिश का पानी, कभी जमे सीवर का पानी। घर-घर में भर जाता पानी, पर पीने को नहीं है पानी।खूब कही न सिल्ट उठाई, फिर पानी में दई बहाई। न नालों की हुई सफाई, हां, नोटों की हत्या करवाई। पाषर्द, जनता खूब चिल्लावे, नगर निगम का ध्यान न जावे। इन चीजों में जो कंपटीशन होता, निगम प्रथम पोजीशन लेता। नगर निगम पर लंबा बेड़ा, फिर भी पानी का है बखेड़ा। वर्षों से जमे है अफसर, फिर भी नहीं समस्या कमतर।चाहे गरीब की जान भी जावे, नगर निगम को लाज न आवे। पानी जनित समस्या कैसे, बिना बाप के बेटी जैसे। नगर निगम की कथा ये होई, परम स्वतंत्र न सिर पर कोई। कानों में जो रुई ठोक ले, वो नहीं सुनेगा, खूब भौंक ले। सीएम साहब से सिफारिश कराओ, नगर निगम से काम पाओ। चिकना घड़ा हो गए भइया, जनता रोवे दइया-दइया। नहीं चलेंगे पंप निगम के, इसके तो सब काम सितम के। हाय, जहां भगवान रहत हैं, निगम वहां पर जुल्म करत है।जो नगर निगम के रहे सहारे,पानी में फंस जाए प्यारे। इसीलिए मेरी बात मान लो, स्वीमिंग सीखने की ठान लो। स्वयं बचो, दूसरों को बचाओ, जीते-जीते पुण्य कमाओ। व्यापारी बंधु एक काम करो, नावों का इंतजाम करो। खाद्य सामग्री उसमें धर लो, घर-घर पहुंचा थैली भर लो। नगर निगम की कृपा रहेगी,नव धंधों की राह खुलेगी। बारिश-बारिश माल बनाओ, बोटिंग का संजाल बिछाओ। नगर निगम की सेवा कर दो, बिन लाइसेंस न्यू बिजनेस कर लो। नगर निगम की माया निराली, अफसर नाचें दे-दे ताली।
डॉ. भानु प्रताप सिंह
5 comments:
भानु भाई
भड़ासी बनने पर आपको बधाई। आशा है आपके संपादकत्व में अलीगढ़ हिंदुस्तान का काम बेहतर चल रहा होगा। नगर निगम को नरक निगम बनाने की आपकी मुहिम सराहनीय है।
मनोज पमार
भानु भाई
भड़ासी बनने पर आपको बधाई। आशा है आपके संपादकत्व में अलीगढ़ हिंदुस्तान का काम बेहतर चल रहा होगा। नगर निगम को नरक निगम बनाने की आपकी मुहिम सराहनीय है।
मनोज पमार
डा.सिंह हरपूर काव्यात्मक भड़ास निकाली... साधु साधु... पूरी खुन्नस निकाल ली या अभी शेष है?
बड़े भैया,
आप तो जबरदस्त भडास निकाली, पहली ही कविता और ट्वेंटी-ट्वेंटी कि तरह सबको धराशायी कर दिया, इस बेहतरीन भडास रचना के लिए आपको साधुवाद और हाँ उम्मीद कि जल्दी ही बहुतों कि पोल पट्टी का भड़ास आप निकालेंगे,
जय जय भड़ास
भानू जी
अच्छी लगी कविता इसे जारी रखें ताकि हमें भी आपकी संगत मिलती रहें
आपका कृपा शंकर पटना
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