1 परमाणु करार से आने वाले 30 वर्षों में कुल आवश्यकता की अधिकतम 6 प्रतिशत बिजली ही उपलब्ध हो पाएगी
2 भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर के पूर्व निदेशक डा. पद्मनाभ कृष्णगोपाल अय्यंगर के मुताबिक हमारे पास तीस साल तक के लिए 11 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने लायक यूरेनियम मौजूद
3 डील के बाद मिलने वाले यूरेनियम से पैदा बिजली काफी महंगी होगी
4 हम परमाणु परीक्षण करने का अधिकार खो देंगे
5 करार से हमें परमाणु शक्ति का दर्जा नहीं मिलने वाला
इसके बावजूद सरकार इस करार के लिए इतनी ललायित है कि इसने अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया, इसकी वजह क्या है॥
आप सबों से राय की अपेक्षा
22.7.08
वजह क्या है..
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4 comments:
भाई,हमारी राय से "गोपाल राय" होने वाला है मतलब क्या घंटा होने वाला है.... जो अरबों रुपए की सौर ऊर्जा रोज व्यर्थ हो जाती है उस क्षेत्र में तो अगर बात भी कर ली तो इन भैण के टकों को पाप लगेगा और हमारी आम जनता तो आम ही है बस चूसी जाती है.......
देखिये मैंने अभी तक जो समझा है, वो ये है कि सरकारें जब जन मुद्दों से घिर जाया करती हैं, तो जनमत से विमुख होने वाले सवालों को सामने ला कर एक नयी बहस की आड़ में मूल बहस से आम आदमी को विमुख कर देती है. आज से कुछ ही दिनों पहले आपको याद होगा कि इस करार से ज़्यादा महंगाई और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे देश भर में सुनाई दे रहे थे. बहुत हद तक जायज़ मुद्दे हैं. चावल, तेल, आंटा, नमक और खाने-पीने की एनी चीज़ों के दाम बढ़ गए हैं, और आगे भी बढ़ेंगे. ये सभी जानते हैं कि इन मुद्दों पर कोई भी सरकार असफलता की सबसे खरी कसौटी पर कसी जा सकती है. इसलिए सरकारें ऐसे मुद्दों की बलि चढ़ा कर जनता को एक नई उलझन में फंसा देती हैं. इस बार भी वही हुआ है. क्या रोटी से बड़ा मुद्दा परमाणु ऊर्जा है? मुझे नहीं लगता...
भाई पुष्यमित्र,
उर्जा कि बात चले ओर हमरे नेता सजग ना हों ऐसा कैसे हो सकता है, वैसै सजगता देश के लिये या अपने जेब के लिये ये महत्वपुर्न है। रही बात उर्जा की तो ससुरे ने देश कि परवाह करी होती तो हमारे देश के अपने श्रोत पर ध्यान दिया होता ना कि उस पर जिसमें पैसे तो हमारे लगने वाले हैं मगर कमिशन इनके जेब में।
सोर उर्जा ओर हमारे देश कि श्रम उर्जा को एकत्रित करो तो क्या अमेरिका ओर क्या नेपाल सभी हमारे से इस उर्जा का सौदा करते।
जय जय भडास
इन माँ... को कुछ भी कहना बेकार है.
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