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21.7.08

खोखचे में ले खोखचे में


टशन फिल्म में अक्षय कुमार का यह डायलाग हर लोगों के जुबां पर सुनाई पड़ता है, कुछ ऐसा ही नजारा हमारे यूपीए व विपक्षी पार्टियों के नेताओं के मुंह में सुना जा रहा है। 272 के जादुई आंकड़े को छूने के चक्कर में दोनों की तरफ से सांसदों को जुटाकर खोखचे में लेने की कवायद चल रही है, लेकिन इसका खुलासा कल ही हो जाएगा कि किसके खोखचे में कितने आदमी जुटे हैं। इस उठापठक को लेकर पिछले एक हफ्ते से मीडिया के उच्च पदों पर आसीन लोगों के माथे पर भी चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं। रही बात मीडिया में खबरों की तो सभी चैनल वाले और अखबार वाले अपने-अपने हिसाब से पल-पल की जानकारी दे रहे हैं। वैसे हमारी जनता को सरकार कोई भी रहे कोई फ्रर्क नहीं पड़ता है, फिर भी जब बात सरकार के गिरने या बनने की आती है तो गली-मोहल्ले से लेकर शहर की सड़कों में एक ही चर्चा सुनाई पड़ती है कि आखिर किसकी सरकार बनेगी।

इस तरह की सुगबुगाहट को देखकर मुझे अपना बचपन याद आता है। जहां पऱधानी चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव में लोग आपस में बहस करते थे। बहस करते-करते बात इतनी बढ़ जाती थी कि मारपीट तक की नौबत आ जाती थी। राजनीति के इस खेल में आखिर जनता का क्या सरोकार। सरकार चाहे कोई भी आए न तो महंगाई कम कर सकती है और न ही बिजली समस्या से छुटकारा दिला सकती है।

हां हम बात कर रहे थे कि क्या यूपीए सरकार विश्वासमत हासिल कर पाएगी। रविवार रात तक की जो स्थिति बनी उससे यही लग रहा था कि यूपीए सरकार पर विपक्ष कहीं न कहीं भारी पड़ रहा है, लेकिन जब जादुई आंकड़े की बात की जाएगी तो न जाने किसके खोखचे में ज्यादा सांसद आ गिरें।

आखिर खेल

रविवार देर रात तक जो आंकड़े सामने आए हैं उसमें यूपीए के पास 266 और लेफ्ट के पास 264 सांसद थे और दस उहापोह की स्थिति में थे। ये दस उहापोही ही तय करेंगे कि सरकार के सिर पर ताज होगा या नहीं। इस तरह से एक-एक सांसद और एक-एक वोट इतना कीमती हो गया है कि उसकी कीमत करोड़ों-करोड़ों में आंकी जा रही है। लगता ये है कि जितना दाम उतना काम।

आपको क्या लगता है कि सरकार बच पाएगी। विपक्ष क्या यूपीए पर भारी पड़ पाएगा। आखिर इस जादुई आंकड़े में माया का क्या रोल रहेगा।

4 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अरे भाई लोग अभी भी मौका है कि भड़ास को राष्ट्रीय स्तर की राजनैतिक पार्टी के रूप में रजिस्टर करवा लो अगर इस कुत्तेपन पर रोक लगाना है तो वरना,,,,.,.,फ़्र.?म,.फ़्झम,द....
(समझे न? अगर नहीं समझे तो भड़ासी बनने में समय लगेगा,ये शराफ़त के दायरे में रह कर दी गयी गंदी-गंदी गालियां हैं)

Anonymous said...

BHAI SAHEB ARTICLE TO KAAFI ACHCHHA HAI MAGAR AKSHAY KUMAR KA DIALOUGE KHOKHCHE ME LE NAHI THA.... SAHI HAI KHOPCHE ME LE... SORRY FOR CORRECTING U....

विशाल अक्खड़ said...

rupesh bhaiya sahiyay kah rahe hain alok.... chalo political party banate hain. jai rupesh bhaiya kii.. lage raho alok.

Anonymous said...

डागडर बाबु,
भडास से सभी की वैसै ही फ़टी हुई है अब बेचारे राजनेताओं कि कयौं रात की नींद हराम कर रहे हैं। वैसै ये दोगले की संताने नेता ने हमरा जीना जरुर दुशवार कर दिया है, लगता है यहं भी भडास भडास खेलना ही पडेगा।
जय जय भडास