अब पछताए होत क्या जब चिडिया चुग गई खेत और सांप निकलने पर लाठी पीटना । ये दोनों ही बातें अब भाजपा और लेफ्ट दोनों पर आज लागू होती दिखती हें । भाजपा ने अपने ८ संसद जबकि माकपा ने अपने वरिष्ठ संसद लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चेटर्जी को और तेलगुदेशम ने भी अपने एक सदस्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया हे । भाजपा जो स्वयं को अनुशाषित दल के रूप में प्रदर्शित करती है सांसदों की इस करनी से निराश और हताश दिखाई दे रही हे । माकपा को अपने ही संसद अध्यक्ष पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त नजर आ रहे हें ।
भाजपा और लेफ्ट दोनों ही सरकार के विरुद्ध रस्त्रव्यापी आन्दोलन की बातें कर रहें हें । ये ऐसा लगता हे जैसे खिसियानी बिल्ली खभा नोचे ।
इसमे भाजपा और लेफ्ट की गलती नही हे यह तो राजनितिक अवसरवादिता हे जिसने लोकतंत्र को आइना दिखाया हे ।
24.7.08
आइना,
Labels: मेरी भड़ास मेरी बकवास - अरुण जैन
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2 comments:
और अब लोकतंत्र इस आइने में अपना थोबड़ा देख कर मेकअप करेगा.. है न?
अरे ना ना ना ना अब लोकतंत्र दुसरे का थोबडा देख कर अपना थोबडा मिलायेगा कि उसके थोबडे से मेरा थोबडा कम भ्रष्ट कयों। कम है तो उसे ज्यादा कर लेते हैं
जय जय भडास
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