Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

5.7.08

माफीनामा

मित्रों ,

मैं अचानक से कुछ दिनों के लिए भड़ास से बिना सूचना के नदारद रहा, ह्रदय से माफ़ी चाहता हूँ। हालाँकि हमारे वरिष्ठ भडासी साथी डॉक्टर रुपेश,मुनवर आपा और मनीषा दीदी से मिलकर ही मैं छुट्टी पर गया था मगर फ़िर भी भड़ास पर बिना पूर्व सुचना देने के कारण एक बार फ़िर से माफ़ी चाहूँगा।

आज मैं वापस भडास पर आया तो भडास को अपने उसी रंग रूप में रचा बसा पाया। भाई करुणाकर का मामला देख कर दिल बड़ा कचोट रहा है की इस लड़ाई में मैं पीछे कैसे रह गया। लानत है घर जाने की जब जंग में मेरी जरूरत तो मैं नदारद, शर्मिन्दा हूँ। मगर भडास की एकजुटता, भड़ास की ताकत और सबसे बड़ी बात जिम्मेदारी और जवाबदेही को आत्मसात करने की तत्परता। नमन है भडास को और तमाम भडासी बंधू को संग ही इश्वर से प्रार्थना की हमारे विजय पथ को बस अग्रसर करने में हमारे साथ रहे।

अंत में सर्फ इतना की मैं भी किसी भडासी से पीछे नही हूँ करुणाकर के साथ होने में और विजय पथ पर भाई के साथ ही रहूँगा।

रजनीश के झा

3 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई,कोई देर नहीं हुई है अब उस अभियान मे तो आप जुड़ ही गये हैं,पूरी शक्ति लगा दीजिये और सिरसा जाकर हाल बताइये,आज की कवि गोष्ठी में मैं भी होना चाहता था तो आप मेरा प्रतिनिधित्व करिये प्लीज और नीरव जी को गोद में उठा लीजियेगा........

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...
This comment has been removed by the author.
जगदीश त्रिपाठी said...

कोई बात नहीं भाई.अगर सुबह का भूला दो चार दिन में घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते.इतना जरूर है कि आपकी कमी खल रही थी.जगदीश त्रिपाठी