लूमर को उड़ती उड़ती ख़बर मिली कि एक आने वाला न्यूज़ चैनल के सीईओ को उनके ही ऑफिस में उनके ही अधिकारीयो ने बुरी तरह पीटाई कर दी । कारण ,सीईओ साहब लगातार अपने सहकर्मियों का शोषण करते रहे । वे उनको समय पर वेतन नही देते थे ,हद तो तब हो गई जब उन्होंने अपने समाचार संपादक एवं ह्यूमन रिसोर्स हेड का वेतन पुरे माह का काट लिया । बहस होती गई ,होती गई ........................................................ और सीईओ साहब उनके आक्रोश का कोपभाजन का शिकार हुए .यह चैनल रांची बेस्ड है,जहाँ सीईओ का आतंक मचा हुआ है।
मीडिया वालों के विषय मेंन कहा जाता है कि ये दूसरों की समस्याओं को उठाते है और दूसरों के शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते हैं ,लेकिन एक विदम्बना इनके साथ बनी रहती है कि ये अपनी मीडिया कंपनी /बॉस के ख़िलाफ़ जो कि उनका शोषण करते है आवाज़ नही उठा पाते। कहा जाता है कि इंसान परिश्थितियों का गुलाम होता है ,ऐसी ही परिस्थिति से रांची से शुरू होने जा रहा उपग्रह चैनल के संपादक ,प्रोड्यूसर ,ह्यूमन रिसोर्स ,मार्केटिंग ,रिपोर्टर्स ,टेक्नीकल एक्सपर्ट्स आदि गुजर रहे हैं। उक्त चैनल में पिछले सात आठ माह के अन्दर लगभग २ दर्ज़न पत्रकारों को या तो हटा दिया गया या फिर ऐसी इस्थिति बना दी गयी कि वे छोड़ कर चले गए .२ दर्ज़न पत्रकारों का वेतन पिछले छ सात माह से नही दिया गया है । जो कुछ लोगो को चैक के रूप में दिया गया है उनका भी लगभग सारा चैक बौंस कर गया है ।
.....................................ऐसी स्थिति से गुजर रहे है बिहार ,झारखंड के पत्रकार । ये पत्रकार आख़िर वहां क्यों जाते है ? यह प्रश्न पुरे मीडिया जगत के लिए बहस का विषय है क्यूँ कि ये वही बिहार झारखण्ड के पत्रकार हैं जो मीडिया जगत में काफी ऊंचाई को छू रहे है पर अपने ही प्रदेश के मीडिया में उनकी स्थिति आर्थिक रूप से बदतर है
यह बात वैसे पत्रकारों से नही जुरा हुआ है जो राजधानी से जुड़े हुआ है । जिला ,अंचल ,प्रखंड पत्रकारों कि स्थिति अवर्णनीय है ,उनके बारे में कुछ भी लिखना कम लिखना होगा ।
हम बात कर रहे थे रांची के उस चैनल कि जहा का सीईओ तानाशाह के रूप में काम कर रहा है । इससे पहले सीईओ रांची में एक राष्ट्रीय चैनल का ब्यूरो चीफ था जहाँ उसने बिहार झारखण्ड से उक्त चैनल के लिए रिपोर्टर्स को बहाल करने के लिए ३५ हज़ार रुपैये लिए थे .मामला कोर्ट में लंबित है .सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनके ऊपर १४ ,१५ केस है जिनमे से कुछ क्रिमिनल केस भी है । इन केसेज के कारण ही शायद चैनल को लाइसेंस सरकार ने अभी तक नही दिया है और ऐसा सुना जा रहा है कि लाइसेंस अगले छ माह तक मिलने कि संभावना नही है । "सीईओ के हाथ में नारियल "ऐसा ही उस चैनल के एम्प्लोयीस सोचते हैं और यह भी सोचने पर मजबूर हैं कि कही उनका करियर भी तो नारियाल नही हो गया है ?
7.7.08
सीईओ के हाथ में नारियल
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3 comments:
bolgge ke liyea bahut bahut dhanyabad jese channel ki aap yahan charcha kar rahe hain uska mea bhukt bhogi hoon mea bhi kisi samay uska employee tha mera bhi ek mah ka vetan baki hai unhone mujhe dhamki bhara e_mail bhi kiyea hai channel kea websit wale e_mail se.
apne carrier ki shuruwat mea main ko vivad nahi chahata tha eas liea chup raha magar abe mujhe eahsas ho gyay hai ki anayea sahana aneya karne se bada jhulm hai
mea aapni awaz uthane ke liye tayarr hoon.
sambhav
mujhe lagta hai aap ki tarah abhi bahut sare patrakar anayay sah rahe honge.sabko aise boss ke khilaf aawaz uthani chahiye.thanks
shrimaan bahut bahut dhanyabad bahut khushi hui ki aap ne 365 ke haal par bhadas mein likha. .
maine bhi apne blog "www.humaap.blogspot.com" pe kuch likha hai mauka mile to padh lijiaga.
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