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7.7.08

मै और मीडिया

मैने कोल्कता से जौर्नालीस्म कीया है। सहारा समय में मुझे बतौर ट्रेनी मौका मीला। बड़ी मेहनत से ६ महीने कम कीए। रांची aaya तो पता चला की kolkata के एक बड़े ग्रुप का चैनल रांची मै खुल रहा है। मेरी खुशी का ठीकाना नही था। और लोगों की तरह मेने भी अपपल्य कीया मेरा सेलेक्शन भी हो गया। काम भी करने लगा।

दो तीन महीने बाद मुझे पता चला की मेरे अयौग बॉस के कारण इस चैनल का कोई भविष्य नही है। उसपर रोज़ नए नए नीयम बनने लगे। सारे सीनियर पदों पर बठे लोगों को हटा दीया गया. बडेही मानसिक तनाव में mene भी इस्तीफा दे दीया।

इसके बाद मुझे धमकी भरे फ़ोन कीए गए। मै अच्छे काम की तलाश मै डेल्ही आगया उस्वक्त जब में डेल्ही की गलीयों मै भटक रहा था तब मुझे एक ऐ_मेल मीला। जीस में मुझे मेरे पुराने रांची वाले ऑफिस से धमकी भरा ऐ_मेल था। मुझे कहा गया था की आप को मीडिया में काम करने नही दीयाजाएगा। अभी तक उस चैनल में मेरा एक महीने का मेहनताना बचा हुआ है। में डरता हूँ की कही वो लोग मुझे मीडिया में काम ही न करने दें।


लेकिन अब में डरने वाला नही हूँ। मुझे धमकी di गई तो में भी आपने साबुत के साथ नय्लय में जाऊँगा। मुझे पुरा वीश्वास है की आप सभी मेरा साथ देंगे।

4 comments:

Akhilesh k Singh said...

kumar sambhav ji media me aaj kal dogle aur thago ki jamat khadi hai .aap waise hi doglepanthi logo ke shikar hua hain . sabr kare aap jaise log hi media mein mukam banate hain . hum sabhi strugllers aap ke saath hain

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

अरे भाई कुमार संभव,क्या मीडिया किसी के बाप का है जो आपको काम न करने दिया जाएगा। जरा खुल कर लिखिये ताकि उन भड़ुओं की तानाशाही का अंत करा जा सके।
जय जय भड़ास

Anonymous said...

sambhav bhaai,

niraash or hatash hone ki jarurat nahi, ye desh kisi ek ka nahi to media kisi ki jaageer kaisai ho sakti hai. aap behichak likhen or khul kar likhen. kala chithha khulte hi apne aapko top samajhne wale ye khujliwale kute ki paidaish patrakaar gali se bhi bhagte najar aayenge. bhaaii likh dalo or veeru darne ka nai kya....

jay jay bhadas

ADMIN said...

Dear Kumar Sambhav,

एक अकेले तुम ही नहीं हो जो मीडिया के बकैतो की दादागिरी के शिकार हुये हो, मुझे भी कई बार इस तरह से धमकियां मिलीं गाली गलौज हुयी पर यार हम भी किसी से पतला थोडी न मूतते हैं| मैं पत्रकार के साथ साथ वकील भी हूं| सभी पत्रकार भाइयों को एकदम मुफत सेवा देता हूं| कभी भी जरूरत हो नि:संकोच बताना| साले हमसे लडने की हिम्‍मत जुटा लेगें हमारे जैसा कमीनापन कहां से लायेंगें|(चुराया हुआ डायलाग है,पर फिट है)
हमेशा तुम्‍हारे और सभी पत्रकार/ब्‍लागर भाइयों के साथ-

Puneet Nigam
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