विनय बिहारी सिंह
संत महात्माओं ने कहा है कि जैसे एक सूर्य पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित करता है, ठीक उसी तरह ईश्वर भी हैं। वे एक हैं लेकिन सभी प्राणियों की देखभाल करते हैं। जैसे अपने जन्म लेने में हमारा कोई अधिकार नहीं होता, ठीक उसी तरह मृत्यु में भी हमारा अधिकार नहीं होता। इसीलिए अपने जीवन काल में हमें सतर्क रहना चाहिए। ऐसा काम हम क्यों करें जिससे बाद में हमें कष्ट हो। क्यों हम वे चीजें खाएं- पीएं जिनसे कोलेस्टेराल बढ़े, जिसमें निकोटिन हो या फैट या चर्बी हो। क्यों न हम भोजन करते वक्त स्वाद के बदले पौष्टिक तत्वों पर ध्यान दें। शरीर स्वस्थ होता है तो मन भी स्वस्थ होता है। जब मन स्वस्थ रहेगा यानी तनाव रहित रहेगा तो जीवन पहले की तुलना में खुशहाल रहेगा। तो बात शुरू हुई थी सूर्य को लेकर। वह ईश्वर सर्वत्र है, सर्वग्य है औऱ सर्वशक्तिमान है। अद्वैतवाद कहता है- ईश्वर तो एक ही है। पानी एक ही है- कोई उसे पानी कहता है, कोई जल तो कोई वाटर और कोई आब। लेकिन इससे पानी को क्या फर्क पड़ता है। वह तो सबकी प्यास बुझा कर ही संतुष्ट है। सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।।
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12.1.09
ईश्वर सूर्य की तरह हैं
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