Thursday, April 2, 2009
भारत के संविधान की प्रस्तावना.....और हम....!!
भारत के संविधान की प्रस्तावना"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए-------
न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ;
स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की;
समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की;
बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ;
सुरक्षित करने के उद्देश्य से
आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"
देश के सारे बंधू-बांधवों..........!! हमारे सर के एन ऊपर चुनाव है.....और हमारे चारों और इसी की सरगर्मियां भी.....क्या हमारे अतीत के प्रतिनिधि ,वर्तमान प्रतिनिधि तथा हमारे समक्ष खड़े हुए तमाम उम्मीदवारों में ऊपर उल्लिखित संविधान के किसी भी गुणों का भाव पाते हैं...??
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!संविधान का कोई मतलब ,कोई पवित्रता ,उससे अपनी कोई अभिन्नता ,अपने इस देश में रहने का कोई अर्थ क्या सचमुच हम समझते हैं....??
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!क्या आप यह जानते हो कि हमारे देश के संविधान को बनाने वाले लोग कोई ऐसे-वैसे लोग नहीं बल्कि अत्यन्त ही पढ़े-लिखे ,अत्यन्त ही विषय-मर्मग्य ,अत्यन्त ही प्रखर और स्वाधीनता के संघर्ष की आंच में तपे-तपाये लोग थे ,जिन्होंने अत्यन्त ही श्रमसाध्य कार्य कर हमारे देश के संविधान को जन्म दिया.....लेकिन साथ ही बाबा साहब आंबेडकर ने इस देश की राजनीति का मन भांपकर आने वाले दिनों में संभावित खतरों के बारे में इस देश की संसद को तथा प्राकारांतर से इस देश की जनता को आगाह भी किया था....आसन्न संकट को भांपते हुए जो भय ,जो डर उन्होंने आज से साठ साल पहले व्यक्त किया था...आज वही हम सब के सर चढ़कर बोल रहा है..........!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!जैसा कि आप सब जानते हो कि आप सबने अब तक किसी भय....किसी लालच....किसी तत्कालीन भावना....किसी नशे के लती होकर किसी ना किसी उम्मीदवार को अपना मत देकर संसद को सुशोभित किया है....अब उसने संसद में क्या किया है....और आप सबके बीच क्या....यह आपको भलीभांति मालूम है.....!!यह जो हाल हमारे देश का और संसद में बैठे अपराधियों के कारण हारे संविधान का दिखायी पड़ता है.....वह दरअसल हमारे ही कर्मों का प्रतिफलन है.....जिन्होंने उपरिउल्लिखित कारणों से गैर वाजिब व्यक्ति को वोट दिया....और सबसे बढ़कर उनलोगों ने ,जिन्होंने वोट ही नहीं दिया यानि जिन्होंने संसदीय-व्यवस्था में या कि संविधान में अपनी आस्था ही नहीं जताई.....!!.......और वही सबसे बढ़कर देश के हालात का रोना रोते और कल्पते-कूटते हैं.....!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!...........सबसे पहले तो यही तय करो कि कम से कम इस चुनाव का भी आप वही हाल ना बना डालो....प्रकारांतर से देश की संसद को कुडाघर.........अजायबघर.....अपराधियों की पनाहगाह.....देश-द्रोहियों की शरणगाह.....लम्पट लोगों का अड्डा....या ऐसी ही कोई चीज़ ना बना डालो.....अपनी माँ की इज्जत के लिए जो भी तुम करते हो.....वही सब इस देश की आत्मा की रक्षा के भी करो....जैसे अपने बच्चों पर दया करते हो वैसे ही देश की जनता पर भी दया करो.....जैसे अपने किसी परिचित के लिए दुआ करते हो....वैसे ही इस देश की कुशल मंगल के लिए भी दुआ करो.....!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!जो कुछ भी तुम सब अपने हक़ के लिए करते हो....वही सब जो भी तुमसे मुमकिन हो सके....इस देश के हक़ के लिए भी करो....कभी भी उनलोगों के माथे पर तिलक मत करो....जो अंततः तुम्हारे हक़ को खा जाने वाले हैं.....और देश की आत्मा का गला ही घोंट देने वाले हैं....जो भारत माता का बलात्कार ही कर डालने वाले हैं....याद रखो यह बलात्कार वो तो बाद में करते हैं.....उससे पहले तो तुम ही करते हो उन्हें संसद में भेजकर.....उन्हें अपना नुमाइंदा बनाकर.....भारत की दुर्दशा की पूर्व पीठिका तुम्हीं हो.....ओ मेरे देश के मासूम और भोले-भाले लोगों.....मगर अपने इस भोलेपन के चोले को अब उतार भी फेंको.....एक सुंदर भविष्य तुम्हारी राह तक रहा है.....एक मानवता तुम्हे बड़ी हसरत से देख रही है.....एक बहुत बड़ा स्वप्न अब पूरा होने को है......अगर तुम आँखे खोल कर देख सको.....!!सच.....!!!!
1 comment:
koshish achchi hai magar kitani aankhein khulengi ye kehna phir bhi sambhav nahi..
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