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3.5.09

अरे बिलागर बंधुओं......एक बात तो बताओ......!!


...........अरे बिलागर बंधुओं...........हम ढेरों दिनों से यह सोचता रहा हूँ.......कि जो लोग-वोग ब्रांडेड-वरान डेड करते रहते हैं.....इसमें तनिको सच भी है...कि झूठो-मूठो ही लोग ब्रांड नाम के पीछे हलकान रहते हैं....!!
............एक बताओ हमका बताओ तो भइया.....कि हमको तन ढकने के लिए कपड़ा....पैर को साफ़-सुथरा बनाए रखने के लिए जूता.....और जीवन की सब जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछो--कुछो चाहिए ही होता है.... अगरचे जे कोई ब्रांड आदि का नहीं होता तो का ससुरा एकदम "ख़त्म"होता है......??
.........हम लोगन के बाप दादा जो झकास धोती-कुरता पहिन-पहिन कर जिनगी गुजार कर इहलोक सिधार गिये..... लोग आदमी नहीं थे का......??.....जो चीज़ दू पईसा में उपलब्ध होती है......उसके लिए ब्रांड नाम पर दस पईसा खर्च करके लोग बाग़ का जताते हैं....और जादे पईसा खर्च करके बार-बार किसको सुनाते हैं.....??
......अरे बंधुओं.....तुमरे बाप-ददा-परदादा-लकड़दादा-सकड़दादा-फकड़दादा......सब के सब इंहे सब जईसन-तयिसन कपड़ा-लत्ता पहिन वहिन कर समूचा जिनगी बेहतरीन ढंग से जी कर चले गए.....उसका दसो पईसा जिनगी तुम सब लोग ब्रांडेड वैगरह के झंडे पहराने वाले तुम सब लोग जी सकते हो का......????
......अरे भईया जो कुछ वो खा गए..... सब तो खाना दूर का बात......तुम सबको सब देखने को भी नसीब में नहीं है......!!......दिन-रात ब्रांडेड-ब्रांडेड करते रहते हो......बड़ी-बड़ी कंपनियों की थैलियाँ भरते रहते हो.... उनके नुमायिन्दों को उंचा वेतन देते रहते हो.....!!.......अरे भईया कभी तो सोचो कि सब है तो आख़िर है क्या...!!
......एक बात बताएं बिलागर भईया.....??"संसार में सबसे ज्यादा धन आदमी के अंहकार का पोषण करके कमाया जाता है......तमाम ब्रांडेड चीज़ों में उनके जबरदस्त दाम के अनुपात में क्वालिटी हो या ना हो.... मगर उनको इस्तेमाल करने वाले लोगों का अंहकार बेशक बहुत पुष्ट होता है.....अपने अंहकार की पूर्ति के आदमी बहुत कुछ करता है.....और ब्रांड नाम का ईजाद उसके इसी अंहकार नाम की पूर्ति के लिए कुछ बेहद ही चालाक लोगों ने किया है....और यह क्षेत्र इस कदर पहला-फूला कि कालांतर में अनेकों लोगों ने इस नटवरलालगिरी को अपना लिया ......वे लोग जल्द ही कंपनी बन गए......और फिर बहुराष्ट्रीय कंपनी.....!!और जल्द ही विश्व-व्यापार की नकेल इनके हाथ में गई......जैसा कि ये चाहती भी थीं......!!!!
...........बस एक ही बात पूछूँगा बिलागर बंधुओं आपसे.....कि जो भी चीज़ आपके हाथ में है.....अपनी उपयोगिता.....क्वालिटी....महत्त्व.....और अन्य चीज़ों के हिसाब से और उसके अनुपात से उसका मूल्य कितना वाजिब है.....??क्या यह सच नहीं हम धनवान लोग अपने अंहकार का उंचा मूल्य बनाए रखने के लिए तमाम चीज़ों का मूल्य उंचा बनाए रखने में मदगार होते हैं.....तुर्रा यह कि अमुक चीज़ ब्रांडेड है......!!
.........दोस्तों जो लोग ब्रांडेड नहीं इस्तेमाल करते.....वो आदमी नहीं होते.....??......जो लोग सीधा-साधा- सरल जीवन जीते हुए ऊँचे से ऊँचे मानक स्थापित करते हैं.....वो लोग आदमी नहीं होते......??......जो लोग चीज़ों को अपने अंहकार के सन्दर्भ में ना लेकर उसकी उपयोगिता के परिप्रेक्ष्य में जांचते हैं.....क्या वो पागल होते हैं....??
............शरीर की सुरक्षा के लिए बनाए गए आवरण को.......जीवन में काम आने वाली उपयोगी चीज़ों को हम आखिरकार किस हद तक पहुँचा देते हैं......??.........क्या सच में ही ब्रांड नाम क्वालिटी का नाम है.....या कि कुछ और.....??..........अगली बार किसी ब्रांडेड वास्तु को खरीदादते वक्त......उसे ऊपर से नीचे निहारें....और यह तौलने की कोशिश अवश्य करें कि.......उस वस्तु के मूल्य के अनुपात में आपके अंहकार का पोषण करने के आलावा उसमें ऐसा क्या है......जो सरल-सी जिन्दगी के अनुपात से कहीं बड़ा मानक है.......!!!!

1 comment:

शिखा शुक्ला said...

आजकल ब्रांडेड की ही धूम है .इन्सान की पहचान उसके ब्रांडेड कपड़ो और सामानों से होने लगी है .लोग ये भूल जाते है की व्यक्तित्व की पहचान गुण होते है न की झूठी अमीरी का दिखावा करने वाले ब्रांडेड सामान,अच्छी रचना