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2.5.09

मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?


चुनाव की आपाधापी और कुर्सी के स्याह युद्ध में बाबा नागार्जुन की ये कविता बरबस ही याद आजाती है

मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?

बजरंगी हूँ नहीं कि निज उर चीर तुम्हें दरसाऊँ !
रस-वस का लवलेश नहीं है, नाहक ही क्यों तरसाऊँ ?
सूख गया है हिया किसी को किस प्रकार सरसाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?
नभ के तारे तोड़ किस तरह मैं महराब बनाऊँ ?
कैसे हाकिम और हकूमत की मै खैर मनाऊँ ?
अलंकार के चमत्कार मै किस प्रकार दिखलाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?
गज की जैसी चाल , हरिन के नैन कहाँ से लाऊँ ?
बौर चूसती कोयल की मै बैन कहाँ से लाऊँ ?
झड़े जा रहे बाल , किस तरह जुल्फें मै दिखलाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?
कहो कि कैसे झूठ बोलना सीखूँ और सिखलाऊँ ?
कहो कि अच्छा - ही - अच्छा सब कुछ कैसे दिखलाऊँ ?
कहो कि कैसे सरकंडे से स्वर्ण - किरण लिख लाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?
कहो शंख के बदले कैसे घोंघा फूंक बजाऊँ ?
महंगा कपड़ा, कैसे मैं प्रियदर्शन साज सजाऊँ ?
बड़े - बड़े निर्लज्ज बन गए, मै क्यों आज लजाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?
लखनऊ - दिल्ली जा - जा मै भी कहो कोच गरमाऊँ ?
गोल - मोल बातों से मै भी पब्लिक को भरमाऊँ ?
भूलूं क्या पिछली परतिज्ञा , उलटी गंग बहाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?
चाँदी का हल , फार सोने का कैसे मैं जुतवाऊँ ?
इन होठों मे लोगों से कैसे रबड़ी पुतवाऊँ ?
घाघों से ही मै भी क्या अपनी कीमत कुतवाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?
फूंक मारकर कागज़ पर मैं कैसे पेड़ उगाऊँ ?
पवन - पंख पर चढ़कर कैसे दरस - परस दे जाऊँ ?
किस प्रकार दिन - रैन राम धुन की ही बीन बजाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?
दर्द बड़ा गहरा किस - किससे दिल का हाल बताऊँ ?
एक की न, दस की न , बीस की , सब की खैर मनाऊँ ?
देस - दसा कह - सुनकर ही दुःख बाँटू और बटाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?
बकने दो , बकते हैं जो , उन को क्या मैं समझाऊँ ?
नहीं असंभव जो मैं उनकी समझ में कुछ न आऊँ ?
सिर के बल चलनेवालों को मैं क्या चाल सुझाऊँ ?
तुम्हीं बताओ मीत कि मै कैसे अमरित बरसाऊँ ?

जुल्मों के जो मैल निकाले , उनको शीश झुकाऊँ ?

जो खोजी गहरे भावों के , बलि - बलि उन पे जाऊँ !

मै बुद्धू , किस भांति किसी से बाजी बदूँ - बदाऊँ ?

तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?

पंडित की मैं पूंछ , आज - कल कबित - कुठार कहाऊँ !

जालिम जोकों की जमात पर कस - कस लात जमाऊँ !

चिंतक चतुर चाचा लोगों को जा - जा निकट चिढाऊँ !

तुम्हीं बताओ मीत कि मैं कैसे अमरित बरसाऊँ ?

2 comments:

Unknown said...

BABA NAGARJUN ki kalam se srijit amritbheenee kavyadhara ko pranaam
.........hamen uplbdh karane k liye aapko dhanyavaad

यशवंत सिंह yashwant singh said...

शानदार कविता है
पढ़ाने के लिए धन्यवाद आशेंद्र जी
यशवंत