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25.1.10

साधक- परिक्रमा-४

विस्फ़ोट पर दिनेश शाक्य ने अमर-मुलायम मुद्दे पर फ़िर कलम चलाई. इतनी बार, इतनी दिशाओं से आई कि अब यह चर्चा बर्दाश्त करना भी दुश्वार होता जा रहा है. दिनेशजी को लिखा-

सङांध इतनी हो गई, सांसे भी दुश्वार.
राजनीति के मुर्दे को, गहरा गाङो यार.
गहरा गाङो यार, कोई नेता-दल-संस्था.
जिन्दा इसे ना कर पायेगी कोई संस्था.
कह साधक कविराय, अमर-मुलायम फ़ितनी.
राजनीति के मुर्दे, सङांध करते इतनी!

सैफ़ई के बहाने फ़िर से अमर चर्चा - विस्फ़ोट पर.
अमर है यह चर्चा भी, अमर सिंह जी की तरह. वैसे इस सारी चर्चा में किडनी बदल की बात थोङी दब सी जाती है. किसी ने नहीं बताया कि अमरसिंह जी को किडनी दी किसने? गरीब मारा गया बिचारा. और अमर सिंहजी अमर हुये.(?)…. की फ़रक पैण्दा है बादशाहो….......पूरा पढकर टिपणी के लिये चटका दें.... साधक उम्मेदसिंह बैद

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