महराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चाहवाण की कैबिनेट द्वारा लिए गये एक फैसले ने महाराष्ट्र में नफरत अलगाववाद की राजनीत करने वालों के पक्ष को शक्ति प्रदान की है। कैबिनेट में लिए गये निर्णय के मुताबिक महाराष्ट्र में उन्हीं टैक्सी चालकों को टैक्सी चलाने का परमिट दिया जायेगा जो मराठी भाषा ठीक से बोल, लिख व पढ़ लेते हो। इस पर राष्ट्र स्तर पर आती तीखी प्रतिक्रियाओं से घबराकर कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व के दबाव में अशोक चाहवाण को निर्णय पर अपना स्पष्टीकरण देकर यू टर्न लेना पड़ा।
कांग्रेस का यह खेल बहुत पुराना है। सत्ता पाने के लिए वह अक्सर ऐसे खेल खेला करती है। कहने को तो यह जमात अपने को धर्म निरपेक्ष व जातिवाद के विरूद्ध कहती है परन्तु इस तरह के शिगूफे वह बराबर छोड़ती रहती है और सम्प्रदायिक व अलगाववादी शक्तियों को ताकत देती रहती है। बाबरी मस्जिद का सोया शेर कांग्रेसियों ने जगाया। फिर शिलान्यास करवाकर हिन्दूवादी शक्तियों के अंदर धार्मिक उबाल पैदा कर राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से हिन्दू कार्ड खेला, परन्तु दाव उलटा पड़ गया लाभ भाजपा के हिस्से में चला गया। बाबरी मस्जिद विंध्वस के समय तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिंहाराव ने मस्जिद बचाने के वह सार्थक प्रयास यह सोच कर वही किये कि भाजपा के हाथ से मुद्दा ही समाप्त कर दिया जाये और केन्द्रीय सुरक्षा बलों को विवादित स्थल में तब भेजा जब कारसेवक मालने को साथ करने के पश्चात अस्थायी मंदिर बनाकर रामजानकी की मूर्ति वहां स्थापित कर गये।
फिर गुजरात में नरेन्द्र मोदी के विरूद्ध कांग्रेस ने हिन्दुत्व का फार्मूला यह सोचकर आजमाया कि नरेन्द्र मोदी के उग्र हिन्दुत्व का विकल्प जनता के सामने रखा जाये मगर न राम ही मिला ना रहीम। हिन्दू वोट तो नरेन्द्र मोदी के गर्मा गर्म ताजा हिन्दुत्व के कारण कांग्रेस द्वारा पर से गये ठण्डे बासी नरम हिन्दुत्व की थाली के पास तक आया उल्टे मुस्लिम वोट भी कांग्रेस से दूर छिटक गया।
इसी तरह कश्मीर में 1973 में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में चुनी गई सरकार में फूट डालकर उनके सगे बहनोई गुल मोहम्मद शाह की पीठ पर हाथ रखकर लोकतंात्रिक सरकार को ध्वस्त कर वहां राष्ट्रपति शासन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगवाया और जगमोहन को गर्वनर बना कर कश्मीरियों पर ऐसा जुल्म ढाया कि पाकिस्तान की आरे नर्मगोशा उनका पैदा शुरू हो गया जिसका लाभ कश्मीर के अलगाव वादी संगठनों ने भरपूर तौर पर लिया और जिसका परिणाम यह है कि कश्मीर अभी तक सुलग रहा है लाखों इंसान मार डाले जा चुके हैं पर्यटन उद्योग से लेकर फल व मेवा उद्योग सभी प्रभावित हुए हैं।
उधर पश्चिम बंगाल में वामपंथी सरकार की हटाने के प्रयास में ममता बनर्जी का साथ देकर नक्सलियों पर चोरी छुपे हाथ रखने का काम भी कांग्रेस के द्वारा ही किया जा रहा है। इससे पूर्व पंजाब में अकालियांे को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से भिंडरा वाला नाम के जनूनी व्यक्ति को भी खड़ा करने का दुष्कर्म कांग्रेस की ही रणनीति का हिस्सा था जिसका परिणाम पूरा पंजाब को और बाद में स्वयं इंदिरा गांधी को अपने प्राणों की आहूति देकर भुगतना पड़ा।
एक बार फिर कांग्रेस वही गलती दोहरा रही है और महाराष्ट्र जैसे औद्योगिक प्रान्त की सुख शांति जो पहले रही शिवसेना व महराष्ट्र निर्माण पार्टी के कारण छिन्न भिन्न हो चुकी है उसमें और शोले भड़काने का काम कांग्रेस कर रही है। स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि बार-बार मुंह की खाने के बाद कांग्रेस ऐसी गलती करती क्यों है तो इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के भीतर विभिन्न करती क्यों है तो इसका जवाब यह है कि कांग्रेस के भीतर विभिन्न विचार धाराओं के व्यक्तियों का संग्रह है जो कांग्रेस की सत्ता पाने की लालच में यह गलतियां कराने पर मजबूर करते हैं।
मोहम्मद तारिक खान
22.1.10
लो क सं घ र्ष !: सत्ता के लिए ललायित कांग्रेस के खेल
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