वीराने में नदिया बनकर बह निकलोगी
अँधियारे में दीपक बनकर जल उठोगी
बन्सी में सुर घोल रागिनी बिखरा दोगी
बन में गन्ध बिखेर फूल सी तुम महकोगी
शब्द बीन कर मेरी बिखरी कविताओं के
झाड पोंछ कर और करीने से समेट कर
भरकर उनमें अर्थ उन्हें पूरा कर दोगी
17.1.10
तुम आओगी
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3 comments:
badhiya rakhna....sudhuwaad...
NARAYAN NARAYAN
बढिया रचना ।
जाने क्रकच योग के बारे मे
https://ruma-power.blogspot.com
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