कल यानि की 24 जनवरी ,रोज की तरह सुबह बिस्तर से चिपका हुआ था तक़रीबन सुबह के 8 बज रहे होंगे |सर्दियों के सुबह में नॉएडा आने के बाद मैं इसी समय पर अक्सर अपनी आँख खोलता हूँ |कभी -कभी पहले भी खोल देता हूँ ,अनूप बाबु जो हमें सुबह- सुबह अखबार मुहैया करते हैं उनकी कृपा से |कल सोचा की चलो आज तो सन्डे है कुछ देर तलक सोते हैं ,लेकिन अनूप जी तो समय से ही आते हैं| मैं अभी जहाँ निवास करता हूँ वहां मेरा बसेरा तीसरे मंजिल पर है |अनूप जी तो इतने उपर आते नहीं है इसलिए दूसरे फ्लोर से ही पेपर फ़ेंक देते हैं |कल भी कुछ ऐसा ही किया उनने पेपर सीधा मेरे दरवाजे पर एक बम की आकर लगा मैं उठा और पेपर समेत कर रूम में वापस आ गया |अख़बार पढने की आदत तो आप सभी जानते ही होंगे कितनी बुरी होती है ,अगर अख़बार आ जाए तो मैं तो उसे बिना पढ़े रह ही नहीं पाता हूँ |मैंने शुरू कर दिया ,मैं फिलहाल तीन अख़बार लेता हूँ एक है अंग्रेजी का भारत का सबसे अधिक बिकने वाला the times of india तो और दो हैं नई दुनिया और दैनिक भास्कर |नई दुनिया को मैं पोलिटिकल न्यूज़ के लिए लेता हूँ |खैर अब आते है कुछ मुद्दे पर ,मैंने पेपर पढना शुरू किया ही था की तब तक मेरे मित्र और कमरे के सहयोगी वेद्पाणी जी की भी निद्रा भंग हो गयी |वेद्पाणी जी भी अखबार में रम गए |मैं सबसे पहले अंग्रेजी वाला अखबार ही देखता हूँ मैं पढना इसलिए नहीं कहूँगा की मैं अखबार को पूरी तरह तो पढ़ ही नहीं सकता |खैर अखबार उलटते -उलटते हुए मेरी नजर एक विज्ञापन पर गयी जो भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा बालिका दिवस के उपलक्ष्य पर जारी की गयी थी |मुझे उसमे बहुत सा फोटो दिखा लेकिन एक ने मुझे गौर करने पर मजबूर कर दिया |मैंने गौर कर के देखा तो मुझे उसमे किसी दूसरे देश के सेना अधिकारी का फोटो लगा |मैंने उसे वहीं पर त्याग दिया और आगे दृष्टि दी |कुछ देर बाद एक प्रक्रिया के बाद वह अखबार वेद्पनी जी के पास गया |उनकी दृष्टि किसी भी चीज़ पर अगर टिक गयी तो उसका पूरा पड़ताल करके ही छोड़ते हैं |उन्होंने मुझे बुलाया और कहा की कश्यप जी देखिये यहाँ क्या है पाकिस्तान के अधिकारी का भारतीय विज्ञापन पर फोटो लगा है |मैंने कहा हाँ मुझे भी लगा कोई अलग देश का ही है फिर हम दोनों गौर कर के देखने लगे तो उन्होंने कहा की इसकी टोपी में चिन्ह देखिये पाकिस्तान का चाँद तारा निशान है |मैंने कहा हाँ इसका बैच भी अलग है |फिर हम दोनों में विमर्श होने लगा मैंने कहा लगता है इस विभाग को जानकारी का अभाव है |तरह तरह के बात निकले ,फिर समाप्त हो गयी |एक बात जो मैं सोच रहा था वह यह क्या की कैसे इतने बड़े जगह पर ऐसा मिस्टेक हो गया |आज मेरे पास वही दो हिंदी के और एक अंग्रेजी के अखबार आये| हिंदी में तो मुख्य पृष्ठ की खबर थी कल वाले विज्ञापन की गलती ,पर जो अंग्रेजी अखबार था उसमे अन्दर एक छोटी से खबर दी गयी थी |मुझे लगा इस अंग्रेजी के अखबार को क्या सिर्फ पैसो से मतलब है क्या वह कुछ देखता है भी की नहीं |मेरा विश्वास अब और तगड़ा हो गया था की इस अंग्रेजी के अखबार में कुछ भी दो अगर उससे पैसे आता है तो वह चाप जायेगा |किसी को भी इस घटना के लिए कम नहीं माना जाना चाहिए ,जो विज्ञापन दे रहा है और जहाँ छप रहा है दोनों जिम्मेदार हैं |इस अंग्रेजी अखबार में जो जो विज्ञापन थी उसमे जो पूर्व पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख तनवीर अहमद की तस्वीर छपी थी वह यह जाहिर करती है की हमारे देश की स्थिति क्या है ?इस जगह पर अगर कोई छोटा आदमी या छोटा संगठन ऐसी गलती करता तो हर कोई उसमे मीन मेख निकलता लेकिन यहाँ तो दोनो मे से एक भी नहीं है |ज्यादा कुछ होगा भी नहीं लेकिन मैं एक सलाह देन चाहूँगा अखबार वाले को की वो कम से कम एक बार विज्ञापन को जांच कर ले छापने से पहले ,अपने आप को आप देश के प्रहरी कहते हैं और ऐसी गलती करते हैं |अगर देश का प्रहरी ही सोते इन्सान की तरह काम करेगा तो देश के आम लोगो के विषय मे ऐसा सोच्न बेकार है की वो सही करेंगे |वैसे इस अंग्रेजी अखबार ने यह दिखा दिया है की उनके लिए पैसा ही सब कुछ है |और मैं मन्त्रालय मैं बैठे लोगो से भी एक बात कहना चाहूँगा की आप तो देश को चलने वाले लोग हो आप अगर ऐसी गलती करेंगे तो कैसे चलेगा देश ?काँग्रेस नीत इस सरकार के इस एक और गलती ने दिखा दिया है की सिर्फ सत्ता पाने से ही सारा काम नहीं होता है, उसको सही से चलाना भी जरूरी होता है |इस सरकार ने लगता है अभी तक सबक नहीं लिया है और करीब -करीब हर मन्त्रालय से लगातार इस प्रकार की गल्तियाँ हो रहिन है |कभी विदेश ,कभी शिक्षा ,कभी कृषि तो अब महिला और बाल विकास मन्त्रालय हर कोई लगातार गलती करता जा रहा हैं ,और देश इस हालात मे आ गया है |अब इनको कुछ ध्यान सही तरह से काम करने पर भी देना चाहिए |
25.1.10
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