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20.1.10

आज की सोच ?

मैंने आज सोचा चलो आज कुछ सोचते है |एक मूड बनाया और सोचने बैठ गया ,लेकिन जब बैठा तो लगने लगा क्या सोचूं ?किसके बारे में सोचूं ?फिर सोचने लगा आज तो वसंत पंचमी है माँ सरस्वती के पूजा का दिन |जब घर में रहता था तो पूरे लगन और मेहनत के साथ इसकी तैयारी में लगा रहता था |कोई इस दौरान कोई काम कह दे तो दो मिनट भी नहीं लगते थे ,किसी काम में न तो होती ही नहीं थी|क्या दिन थे जबरदस्त ,मजेदार किसी चीज़ की फ़िक्र नहीं ?लेकिन आज इस भागती दुनिया में अब मुझे थोड़ी थोड़ी फ़िक्र कभी -कभी होने लगती है जब मेरे कुछ अजीज मित्र नौकरी के बारे में बात करने लगते है |कॉलेज जाने से लेकर सोने तक उनके मुख पर सिर्फ एक ही बात होती है ,आज फलाने से बात करनी है ,यहाँ रिज्यूमे देना है ,इस जगह तो इस आदमी से काम निकल सकता है |फिर मन में बात आती है की आखिर इतनी जो महंगाई बढ़ रही है कैसे गुजारा होगा ,अभी तो बाप के पैसे पर बड़े शान से रहते है |कल कैसे होगा आखिर अब तो 5 महीने बाद लोग भी पूछेंगे क्या हो रहा है ,मुझे तो जबाब भी सोचना पड़ेगा कारण सिर्फ इसलिए की तब तक तो पढाई भी ख़त्म हो जाएगी बॉस |और अगर नौकरी नहीं मिली तो कुछ तो करना होगा ही ,वैसे मेरे एक दोस्त का कहना है एक मस्त ढाबा खोलेंगे और दोनों उसी में अपना समय देंगे |हुक्का पानी का इंतजाम तो इससे हो ही जायेगा |वैसे एक दोस्त का कहना है अगर कुछ नहीं मिलेगा तो राजनीती में घूसा जायेगा ,दिन तो कट ही जायेंगे |अगर इलेक्शन का टाइम रहा तो जुगाड़ अच्छा रहेगा |फिर सोचता हूँ देश में वैसे ही कई बंधू बेरोजगार है सरकार तो कुछ कर नहीं सकी चलो हमारा नाम भी इसमें शामिल हो जायेगा ये भी तो एक गर्व की ही बात है |तब तक नींद टूट गयी और फिर सोचना बंद एक्टिविटी चालू |

1 comment:

arvind said...

friend,apni padhai per dhyan den,aapki noukari se badhkar aapki padhai hai-----aapki padhai hee aapke jeevan ki dishaa tay karehi and give up everything on god. action is your duty reward is not concerned to you.