राजनीती में अगर कोई अपनी बात पर आज भी कायम रहने की हिम्मत दिखा रहा है तो वो ममता बनर्जी ही हैं |ममता सही में दीदी बनने लायक वाली बात पर कायम है |अभी ज्योति बसु के निधन के बाद उनकी आखिरी यात्रा में शामिल न होकर दीदी ने एक अलग ही बात बतलानी चाही है |तृणमूल कांग्रेस ने जो फैसला लिया था वाम दल के किसी भी कार्यक्रम में शामिल न होने की वह ममता ने बसु के लास्ट यात्रा में शामिल न होकर उसको साबित कर दिया |वैसे भी ममता की नजर 2012 के बंगाल चुनाव पर ही केन्द्रित है और ममता उसके लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहीं हैं |ममता ने तो प्रधानमंत्री से बंगाल में मुलाकात करना भी मुनासिब नहीं समझा ,कारण अगर देखा जाए तो प्रधानमंत्री जी के साथ वाम नेताओ की उपस्थिति ही रही है |ममता एक और बात पर कायम है की चाहे जो भी हो जाए ,चाहे किसी भी मंत्रालय में रहें लेकिन उसका काम बंगाल से ही होना चाहए |देश को सही मायनो में आज ऐसे लोगो की कमी हो गयी है जो ममता दीदी की तरह बातो पर कायम हो कर दिखाए |देश के ज्यादातर लोग तो काम देख कर बात करतें है ,उसके हर पहलुओ की ओर ध्यान देते हैं| लेकिन दीदी ने एक सन्देश देना चाहा है उन सभी लोगो को चाहे देश में कुछ भी हो जाए ,आपके फैसले देश को गर्त में ले जाए ,आपके आसपास के लोगो को पीछे कर दे लेकिन आप अपनी बात पर अटल रहो |ममता जी तो एक और बात पर उसी समय से अटल रहीं हैं जब वो अटल बिहारी जी के सरकार में रेलवे मिनिस्टर बनी थी|तब भी उनका मुख्य लक्ष्य रेलवे की दुर्गति करना ही था ओर आज भी है |बंगाल के बाहर कोई भी रेल हादसा हो जाए लेकिन ममता जी जाने का कष्ट नहीं कर सकती हैं |उनके अनुसार तो यही सही लगता है की अरे मेरा तो मुख्य काम बंगाल का वोट लेना है देश जाए भांड में |ममता के जूनियर मंत्री भी लगातार कह रहे है की ममता तो उनको कुछ समझती ही नहीं है ,तो मुझे लगता है की उनको अभी भी पता नहीं चल सका है की आखिर ममता हैं क्या ?अरे बंधू लोग जब वो प्रधानमंत्री को समय नहीं दे पाती हैं तो आप किस खेत के मूली है भाई |ममता की एक ओर बात काबिले तारीफ है की एक तरफ तो वो अपने आप को गरीबो का पूरा ख्याल रखने वाली बताती हैं लेकिन यह मोह भी सिर्फ बंगाल तक ही सीमित है |आखिर बात क्या है यह समझ से परे हैं |मुझे एक बात और लगता है की अगर ममता इस जन्म में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनी तो कहीं यह न हो जाए की 7 रेसकोर्स रोड और रायसीना हिल वाली बिल्डिंग भी कोलकाता शिफ्ट हो जाए |मैं एक बात और भी कहना चाहता हूँ क्या ममता जी को यह नहीं पता चलता की किस राज्य के सबसे ज्यादा लोग रेलवे में सफ़र कर रहें है ?रेलगाड़ी की संख्या उनके लिए कम पड़ रही है तो बढाया जाए |एक बात तो सरकार में बैठे लोगो को भी सोचना चाहए की ऐसे लोगो को उस जगह पर नहीं बैठना चाहए जहाँ सारे देश का मामला हो ,अगर ऐसे ही लोगो को इनसब जगहों पर बार -बार जगह दी गयी तो देश का कायाकल्प नहीं हो सकेगा ,प्रगति नहीं हो सकेगा |राज ठाकरे तो बयान दे कर प्रांतीयता को फैला रहें है और देश को विभाजित करने की कोशिश कर रहें है ,लेकिन ममता जैसे लोग जो काम कर रहें है वो और भी खतरनाक है |सरकार को इसपर धयान देना ही होगा |
22.1.10
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