20.1.10
महाराष्ट्र सरकार का देशविरोधी कदम
देश का बच्चा-बच्चा जानता है कि कांग्रेस ने देश को आजाद कराया.इसके पीछे कांग्रेस पार्टी का क्या उद्देश्य था?आजादी या सत्ता प्राप्ति.वर्तमान काल में उसकी सरकारें जो करती हुई दिखाई देती हैं उससे तो लगता है कि तब के कांग्रेस नेताओं का चाहे जो भी उद्देश्य रहा हो अब के कांग्रेसियों का एकमात्र उद्देश्य कुर्सी प्राप्त करना और उसे बरक़रार रखना है चाहे देश टूट ही क्यों न जाए.उस महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने जहाँ की मिट्टी ने देश को तिलक जैसा राष्ट्रवादी दिया आज देश को तोड़ने वाला घातक कदम उठाया है.उसने फैसला लिया है कि महाराष्ट्र की राजनीतिक और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अब उसी टैक्सी ड्राईवर को गाड़ी चलाने का परमिट दिया जायेगा जो १५ साल से महाराष्ट्र में रह रहा हो.इतना ही नहीं अब उसे ही परमिट दिया जायेगा जो मराठी लिखना और पढना जानता हो.मुंबई में हर साल लगभग ४००० नए परमिट जारी किये जाते हैं.महाराष्ट्र सरकार चाहे जो भी दलील दे उसने हिंदीभाषियों के प्रति दुर्भावना के कारण ही ऐसा कदम उठाया है.यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मुंबई के अधिकांश टैक्सी ड्राईवर गैर मराठी यानी हिंदीभाषी हैं.ये वे लोग हैं जिनके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता और मजबूरी में जीवन रक्षा के लिए अपने घर को छोड़कर दूसरे राज्यों का रूख करते हैं.वे कोई शौक से मुंबई नहीं जाते हैं और न ही इतना पैसा कमाते हैं जिससे मराठियों के जीवन और जीवन स्तर पर खतरा उत्पन्न हो जाए.वैसे भी उसके द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय संविधान के अनुच्छेद १६ (२), १९ (d), (e) और (f) का खुला उल्लंघन तो है ही उच्चतम न्यायालय द्वारा गोलकनाथ-केशवानंद भारती एवं दूसरे मामलों में दिया गए संविधान के मौलिक ढांचें में बदलाव पर लगाये रोक सम्बन्धी निर्णय का भी उल्लंघन है.अब अगर केंद्र की कांग्रेसनीत सरकार में थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो महाराष्ट्र की अपनी ही पार्टी की सरकार को यह आदेश वापस लेने को बाध्य करे.अगर राज्य सरकार न माने तो धारा ३५५ और ३५६ का प्रयोग कर राष्ट्रपति शासन लगाये.वैसे भी प्रधानमंत्री सहित पूरे मंत्रिमंडल राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुरक्षित रखने की शपथ भी पदभार ग्रहण करते समय दिलाई जाती है.देश बचेगा तभी हम बचेंगे और देश तभी बचेगा जब एक रहेगा.पहले भी जब भारत बँटा हुआ था तब हमलावरों के लिए सबसे आसान और असहाय लक्ष्य था और सैंकड़ों साल तक गुलाम भी रहा.
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