जैसा होना था वही हुआ पाकिस्तानी खिलाडियों को आइपीअल -3 में किसी भी टीम के प्रायोजकों ने नहीं ख़रीदा |खरीदने की बात तो तब न होती जब कोई इसके लिए बोली भी लगता ,यहाँ तो बोली भी नहीं लगी |काफी झमेले के बाद तो पाकिस्तानी खिलाडियों को बीड में शामिल किया गया लेकिन वो भी सिर्फ दिखावे के लिए |पाकिस्तानी खिलाडियों को थोड़ी बहुत आशा तो थी की उनको इस बार खेलने का मौका मिल सकता है ,लेकिन कहाँ बंधू ऐसा तो तब होता न जब उनको लेकर कोई गंभीर रहता |यहाँ तो सिर्फ दिकह्वे के लिए उनको निमंत्रण तो दे दिया गया पर भोज में शामिल होने का मौका ही नहीं दिया |पाकिस्तानी के बहुत से खिलाड़ी 20 -20 फॉर्मेट के बेहतरीन खिलाड़ी मने जाते हैं एक बार उनको इस आयोजन में भाग लेने का मौका मिला लेकिन फिर दरवाजे बंद हो गए |पाकिस्तान के द्वारा जो आतंकवादियो को लगातार प्रोत्साहन दिया जाता रहा है उसका असर पहले भी पाकिस्तान पर पड़ चूका है |लेकिन 26 /11 के बाद भारत में उनके देश के खिलाफ एक जो ज्वाला भड़की है उसने दोनों देशों के बीच संबंधो को और भी ख़राब कर दिया है |भारत पहली बार इतना खुल कर पकिस्तान का विरोध कर रहा है ,बात भी सही है एक तरफ आप हमें परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हो और दूसरी तरफ हमसे फायदे की उम्मीद भी रखते हो |भारत ने अब तक कभी भी गलत का साथ नहीं दिया है लेकिन पाकिस्तान इसको समझ ही नहीं सका है |अब जब भारत ने एक और कठोर कदम उठाया तो अब उनको समझ में आ रहा है |मेरे अनुसार देश सबसे पहले है और देश को अगर कोई अनदेखा करता है तो वह देश में रहने का हक़दार नहीं है |सब कुछ पैसा ही नहीं है इसका परिचय इस बार इस नीलामी में दिया गया |अब पाकिस्तान को लग रहा है की भारत ने यह कदम मुंबई हमलो के कारण उठाया है ,पाकिस्तान अगर भारत को इस मामले पर कुछ सहयोग देता तो सब कुछ ठीक हो सकता था लेकिन पाक तो आखिर पाकिस्तान है ,पीठ पैर छुरा घोपने वाला |मुझे लगता है अब भी शायद पाकिस्तान को कुछ समझ आ जाए और वो भारत में होने वाली आतंकवादी गतिविधि का प्रायोजक न बने |अगर वो फिर से इस गतिविधि का प्रायोजक बनता है तो कहीं ऐसा न हो की उनके देश के खिलाडियों को भविष्य में कोई प्रायोजक ही न मिल सके |
23.1.10
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