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7.1.10

यूपी के गांवों को लेकर गुटों में बंटी कांग्र्रेस

देहरादून। उत्तर प्रदेश के ८४ गांवों को उत्तराखंड में मिलाने की कांग्रेसियों की मांग पर ही खुद कांग्रेसी कई गुटो में बंटे हुए नजर आ रहे है। वहीं खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य ने नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत के बयान को उनका निजी बयान बताते हुए इसे कांग्रेस पार्टी का बयान न होने की बात कहने से अब कांग्रेस इस मुद्दे पर गुटो में बंट गई है। शुरू से ही प्रदेश की कांग्रेस कई गुटों में बंटी होने के कारण २००७ का विधनसभा चुनाव बुरी तरीके से हार चुकी है और अब दोबारा से गुटबाजी की आग सुलगनी शुरू हो गयी है। पिछले दिनों समय-समय पर कई बार प्रदेश अध्यक्ष की टांग खिंचाई को लेकर भी कग्रेसी सांसद हाईकमान से लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्राी एनडी तिवारी से भी हस्तक्षेप की मांग कर चुके है और हाईकमान भी प्रदेश अध्यक्ष को राज्य में गुटबाजी की लगाम कसने को दिशा निर्देश दे चुका है। अब उत्तर प्रदेश के ८४ गांवों को उत्तराखंड में शामिल किये जाने की मांग को लेकर खुद कांग्रेसी ही अलग-अलग बयानबाजी करते हुए नजर आ रहे है। जबकि कांग्रेस पार्टी ने इन बयानों से किनारा कर इसे निजी विचार बताया है। वहीं भाजपा इस मुद्दे पर अभी तक अपने पत्ते पूरी तरह साफ नहीं कर सकी है और नये जिलों को बनाये जाने की मांग भी लगातार कई जनपद से उठती हुई नजर आ रही है। पूर्व में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल में नई दो मिशनरियों के साथ-साथ चार नये जिले बनाये जाने की बात कही थी लेकिन केंद्र सरकार ने राज्य म नये जिले बनाये जाने को लेकर अभी फिलहाल रोक लगा दी है। एक तरफ जहां भाजपा २०१२ के होने वाले विधानसभा चुनावों में नये जिलों को बनाकर इसका फायदा लेना चाहती है वहीं उत्तर प्रदेश के ८४ गांवों को उत्तराखंड में शामिल कराकर कांग्रेस इसका फायदा लेने में जुट गई है। लेकिन कांग्रेस का एक धडा जो वोट बैंक की राजनीति के आधर पर अपनी जमीन मजबूत करना चाहता है और प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री को लेकर भी इसे महत्वपूर्ण मुद्दा माना जा रहा है। पूर्व से ही नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत व यशपाल आर्य ने छत्तीस का आंकडा रहा है और दोनों ही नेताओं की गुटबाजी कई मोर्चों में खुलकर सामने भी नजर आयी है। अब खुद कांग्रेसी नेता उत्तर प्रदेश के गांवों को उत्तराखंड में शामिल किये जाने की बात को बयानबाजी करने वाले नेताओं की निजी राय करार दे रहे हैं। ऐसे में यह मुद्दा आने वाले समय में एक बडा गुटबाजी का स्वरूप ले सकता है जो कांग्रेस के लिये शुभ संकेत नहीं माना जा रहा। वहीं सेक्स स्कैंडल में एनडी तिवारी का नाम उछलने के बाद अब उन्होंने भी अपना आशियाना देहरादून में बना लिया है। जिसके बाद प्रदेश का राजनैतिक तापमान पूरी तरह गर्म हो गया है। तिवारी के आने के बाद जहां उनके विरोधी गुट उन्हें घेरने की तैयारी में जुट गए है वहीं २०१२ के होने वाले विधानसभा चुनाव की हर गतिविधि पर एनडी तिवारी अपने खास लोगों को चुनाव की तैयारी में जुट जाने के मूल मंत्र दे रहे है। तिवारी से मिलने वालों में उनके खास लोगों के अलावा पार्टी के कई दिग्गज भी बताये जा रहे है। लेकिन कांग्रेस ने जिस तरह से एनडी तिवारी से किनार करने का फरमान दिया है उससे कोई भी पर्दे के आगे आना नहीं चाह रहा। तिवारी की उत्तराखंड में वापसी क्या गुल खिलायेगी यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन पार्टी में गुटबाजी की संभावना से कोई इन्कार नहीं किया जा सकता।

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