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15.3.10

वो अच्छा है...


जिंदगी में, बंदगी में, आरज़ू में, गुफ़्तगू में,

जो भी मिले वो अच्छा है...

बात में, साथ में, उपहास में या सौगात में,

जो भी मिले वो अच्छा है...

रंग में, संग में और ढंग में,

जो भी मिले वो...
रात में, बरसात में, हाथ में या मुलाकात में,
जो भी मिले वो...

अंधेरों में, उजालों में, चाय के दो प्यालो में
और घटा से उन बालों में,

जो भी मिले वो...

ठोकर में, ढ़ोकर में और जोकर में,

जो भी मिले वो...

प्यार में, इजहार में, तकरार में और इस संसार में,

जो भी मिले वो...

गीत में, रीत में, प्रीत में, मीत में या जीत में,

जो भी मिले वो...

सागर में, सहरा में, तेरा में या मेरा में,

जो भी मिले वो...
खेल में, मेल में, जेल में और सेल में,

जो भी मिले वो...
-हिमांशु डबराल

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