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14.11.10

महान कांग्रेस की क्रांतीकारी करनी


पढने से पहले सोच लें कि आप किस मुद्दे को देखना चाहेंगे । संघ और कांग्रेस का आरोप प्रत्यारोप या फिर कांग्रेस की कपटी चाल को । अभी अभी फेसबुक पर मैने श्री शिवनाथ झा की भेजी कुछ तस्वीरें देखी तो हैरान रह गया कि कितनी खामोशी से  कांग्रेसी लोगों नें हमें गुमराह करके भ्रष्ट इतिहास से परिचित कराते आए हैं । मैं उसी काग्रेसी शिक्षा को श्रद्धांजली देते हुए आजाद कांग्रेसीयों के प्रथम नेता (?) की जन्मतिथी पर कुछ कलमांजली प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
आप हैं आजाद कांग्रेसी मुल्क के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू । इन्होने भारत देश के लिये क्या किये ये नही मालूम सिवाय इसके कि जेल में रहते हुए इन्होने भारत की खोज कर लिये थे । आज है कोई कांग्रेसी जो इस बात का जवाब दे सके कि क्रांतीकारी भी तो जेल जाया करते थे और कितने क्रांतीकारीयों को जेल में लिखने के लिये कागज कलम दी जाती थी ?  जेल में रहकर भारत की खोज करने वाले शख्स के जन्मदिन पर बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन इसके इस रूप से आप कितने परिचित हैं कि भारत के विभाजन का मुख्य जिम्मेदार यही व्यक्ति है, चीन से हमें हार का परिचय दिलाने वाला शख्स यही है । आज भारत की सरकार चीन युद्ध पर कोई बात सार्वजनिक नही कर रही है यहां तक की चीन सरकार भी कहती है कि ऐसा कोई युद्ध 1962 में नही हुआ  तो क्या यही सच्चाई है कि जवाहर नें तिब्बत को बर्फिला रेगिस्तान को पाने के लिये अपने संसाधन झोकने से मना कर दिये थे । छोडिये पुरानी बातों को और नई बातो पर आते हैं


जरा साथ की तस्वीर को गौर से देखिये ये हैं नेहरू के नाती (बेटी का बेटा) राहुल गांधी । अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद राहुल ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया। इस दौरान उनकी कंपनी और सहकर्मी इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ थे कि वो किसके साथ काम कर रहे हैं क्योंकि राहुल यहां एक छद्म नाम रॉल विंसी के नाम से कार्य करते थे। क्या कोई व्यक्ति अपनी पहचान छुपाकर किसी प्रतिष्ठित संस्था में काम कर सकता है । इन्होने तो ऐसा कोई काम नही किये जिससे देशहित दिखलाई पडता हो सिवाय इसके कि गरीबी कि आड में इन्होने सिर्फ गरीबी का मजाक बना कर रख दिये । 

आप इन सरदार जी की तस्वीर को पहचानते हैं ? नही .. या फिर शायद कुछ कुछ ... है नां ... जरा गौर से देखिये इस तस्वीर को ये है खतरनाक आतंकवादी उधम सिंह जिन्होने जालियावालाँ बाग में सैकडों आजादी के दीवानों को गोलियों से भून कर देश में अंग्रेजी हुकुमत का डंका बजाने वाले जनरल डायर की  ब्रिटेन में जाकर गोलियों से निर्ममतापूर्क हत्या कर दी थी और 4 जून 1940 को   हत्या का दोषी ठहराया गया तथा 31 जुलाई 1940 को उन्हें 'पेंटनविले जेल' में महान ब्रिटिश हुकुमत द्वारा फाँसी दे दी गयी । 
                                                   इस महान शहिद के लिये ऐसा कथन अटपटा लग रहा होगा लेकिन इस बात पर आप क्या कहेंगे कि इनका अस्थी कलश ब्रिटेन से भारत 31 जुलाई 1974 को लाया गया । इसके अलावा एक तस्वीर और देख लिजिये



ये हैं महान शहिद ए आजम उधम सिंह  के पौत्र जीत सिंह । ( इनके दुसरे हाथ पर भी गौर किजियेगा )


तो ... कैसा लगा  कांग्रेस शासन का ये क्रांतीकारी कदम

1 comment:

K M Mishra said...

कांग्रेस के असली चेहरे को सामने लाने का प्रयास चलता रहना चाहिये । वंदेमातरम !